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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के देवभोग तहसील में बहने वाली तेल नदी से हो रहे अवैध रेत परिवहन पर खनिज विभाग ने आज बड़ी कार्रवाई की है। जिला खनिज अधिकारी रोहित साहू के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई में कुल 18 ट्रैक्टरों को जब्त किया गया है। सभी जब्त वाहनों को देवभोग थाना में जमा किया गया है।
ट्रैक्टर मालिकों ने जताया आक्रोश
कार्रवाई के बाद ट्रैक्टर मालिकों ने विरोध जताया और एसडीएम कार्यालय पहुंचकर अपना पक्ष रखा। इनका कहना था कि राज्य सरकार ने विधानसभा में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के लिए रेत के परिवहन पर छूट देने की घोषणा की थी, लेकिन अब उसी को आधार बनाकर कार्रवाई की जा रही है।
पंचायत प्रमाण पत्र भी दिखाए गए
कुछ चालकों, जैसे विद्याधर ध्रुव (सिनापली) ने पंचायत का प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया, जिसमें PMAY हितग्राहियों के लिए रेत सप्लाई की अनुमति का उल्लेख था। हालांकि, SDM कार्यालय ने नियमों का हवाला देते हुए कोई राहत नहीं दी और कार्रवाई को सही ठहराया।
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रेत माफिया द्वारा उगाही और पुराने घाटों से चोरी
हालांकि ट्रैक्टर चालकों पर कार्रवाई की गई, भारी वाहन (हाइवा) और रेत माफिया की गतिविधियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जानकारी के अनुसार, 10 जून को रेत परिवहन पर रोक के बावजूद, प्रति ट्रैक्टर ₹300 की अवैध वसूली जारी थी।
कुछ को ₹600 की भंडारण रॉयल्टी पर्चियां दी गईं, लेकिन वास्तविक भंडारण स्थल की बजाय रेत घाट से ही माल उठाया जा रहा था।
रात में चोरी से सप्लाई जारी
पुरना पानी घाट पर रात के अंधेरे में फोकलेन मशीन लगाकर हाइवा से रेत की सप्लाई हो रही थी। इन गतिविधियों की ऊपरी स्तर तक शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई केवल ट्रैक्टर वालों तक सीमित रही।
मामले की दोहरी शिकायत की पुष्टि
जिला खनिज अधिकारी रोहित साहू ने पुष्टि की कि कार्रवाई दो अलग शिकायतों के आधार पर की गई है- कुम्हड़ाई घाट पर अवैध परिवहन और पुरना पानी घाट पर रेत माफिया द्वारा अवैध उगाही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कुम्हड़ाई घाट पर कार्रवाई की गई है और बाकी शिकायतों की अलग से जांच कर उचित कदम उठाए जाएंगे।
नियमों पर उठे सवाल, ट्रैक्टर मालिकों की आपत्ति
ट्रैक्टर मालिकों का कहना है कि जब देवभोग क्षेत्र में भंडारण की अनुमति दी गई, उस वक्त वैध खदान शुरू ही नहीं हुई थी। केवल 10 दिनों तक वैध खदान चालू रही, फिर बंद हो गई। ऐसे में विभाग ने भंडारण स्थल का सत्यापन कैसे किया, यह गंभीर सवाल बन गया है।
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छोटे हितग्राहियों पर चोट, बड़े माफिया को राहत?
स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्रैक्टरों से सस्ती रेत मिलने से PMAY जैसे निर्माण कार्यों में सुविधा हो रही थी। अब ट्रैक्टरों पर रोक के चलते बड़े रसूखदारों के हाइवा फिर से सक्रिय हो जाएंगे। प्रति हाइवा 10,000 से 15,000 रूपए में रेत सप्लाई का रात का काला कारोबार फिर से तेज हो सकता है।
1️⃣ 18 ट्रैक्टर जब्त 2️⃣ ट्रैक्टर मालिकों का विरोध 3️⃣ बड़े वाहन बचे रहे 4️⃣ दोहरी शिकायतें, एकतरफा कार्रवाई 5️⃣ भविष्य में अवैध सप्लाई की आशंका |
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माफियाओं पर सवाल बरकरार
ट्रैक्टर मालिक सरकारी योजनाओं के हित में कार्य कर रहे थे या नियमों का उल्लंघन, इस पर प्रशासन की दोहरी नीति पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं, रेत माफियाओं पर प्रत्यक्ष कार्रवाई नहीं होना, मामले को और भी संवेदनशील और विवादास्पद बना रहा है।
आने वाले दिनों में देखना होगा कि भंडारण, सत्यापन और अवैध उगाही के मुद्दों पर प्रशासन कितनी पारदर्शी और निष्पक्ष जांच करता है।
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