अरपा भैंसाझार नहर मुआवजा घोटाले में राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को दोषी पाते हुए संचालक भू अभिलेख ने बर्खास्त कर दिया है। जांच में उसके खिलाफ 24 गंभीर आरोप सही पाए गए, जिसमें फर्जी खसरा नंबर, भूमि अधिग्रहण में हेरफेर और अवैध मुआवजा वितरण शामिल है। राजस्व निरीक्षक मुकेश ने ये सारी गड़बड़ियां सकरी में पटवारी के पद पर रहते हुए की। इससे पहले पटवारी दिलशाद अहमद निलंबित हो चुका था।
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भू-अर्जन में गड़बड़ी
अब कमिश्नर महादेव कावरे ने पूर्व एसडीएम, नायब तहसीलदार और सिंचाई विभाग के अफसरों पर भी कार्रवाई के लिए शासन को दोबारा पत्र लिखा है। सकरी पटवारी हल्का नंबर 45 में पदस्थ आरआई मुकेश साहू पर भू-अर्जन में गंभीर गड़बड़ी करने का आरोप था। जांच समिति गठित की गई थी। जांच रिपोर्ट में, 24 जुलाई 2021 को तत्कालीन पटवारी मुकेश साहू को दोषी ठहराते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी।
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कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। संतोषजनक जवाब न मिलने पर 26 जुलाई 2021 को निलंबित कर दिया गया। मुकेश साहू ने भू-अर्जन प्रकरण क्रमांक 35/31-82/2017-18 में चार अलग-अलग रकबे दशति हुए विरोधाभासी प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। इसके अलावा, बटांकित खसरा नंबरों को बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के मर्ज करने का दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई थी।
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ऐसे हुआ बीस गुना मुआवजा लेने का खेल
खेल 1: सरकारी मुआवजे के लिए कृषि और डायवटेंड भूमि की दर अलग है। डायवटेंड में 20 गुना ज्यादा होता है। इस प्रकरण में भी यही गड़बड़ी की गई। नहर से दूर स्थित डायबटेंड जमीन का मुआवजा दे दिया गया।
खेल 2: नहर के लिए अधिग्रहित भूमि के दायरे को बदलकर मुआवजा बढ़ाया गया। नहर के अलाइनमेंट में हॉरिजेंटल (समांतर) आने वाली जमीन को वर्टिकल (लंबवत) दिखाया गया, जिससे मुआवजा कई गुना बढ़ गया।
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