मस्जिदों को देना होगा पाई-पाई का हिसाब, हर महीने होती करोड़ों की कमाई

Mosque audit report Wakf Board order : वक्फ बोर्ड की संपत्ति के हिसाब किताब के बाद अब मस्जिदों की कमाई का बही खाता तैयार होने लगा है। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने मस्जिदों के प्रमुख मौलानाओं को फरमान जारी कर दिया है।

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Arun Tiwari
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Mosque audit report Wakf Board order : वक्फ बिल की मंजूरी के बाद छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने नया फरमान जारी कर दिया है। अब मस्जिदों को अपनी कमाई की पाई पाई का हिसाब देना होगा। अभी तक मस्जिदें इस तरह के हिसाब किताब से मुक्त थीं। मस्जिदों को हर साल करोड़ों की कमाई होती है।

इस आमदनी का कोई ऑडिट नहीं होता। इस फरमान में यह साफ कह दिया है कि हर मस्जिद की कमाई का ऑडिट जरुरी होगा। जो ऑडिट नहीं कराएगा उसको जेल जाना पड़ेगा। राज्य वक्फ बोर्ड एक पोर्टल बना रहा है जिसमें मस्जिदों के मौलाना को आमदनी और खर्च का हिसाब डालना जरुरी होगा। 

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मस्जिद की कमाई - हिसाब पाई-पाई


वक्फ बिल का संसद में पेश होना,संशोधनों के साथ केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद बदलाव दिखाई देने लगा है। वक्फ बोर्ड की संपत्ति के हिसाब किताब के बाद अब मस्जिदों की कमाई का बही खाता तैयार होने लगा है। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने मस्जिदों के प्रमुख मौलानाओं को फरमान जारी कर दिया है।

इस फरमान में कहा गया है कि मस्जिदों की कमाई की पाई पाई का हिसाब अब उनको देना जरुरी होगा। मस्जिदों को बैंक में अपना खाता खुलवाना होगा। इसके अलावा वक्फ बोर्ड अपना नया पोर्टल तैयार कर रहा है। इस पोर्टल में प्रदेश की सभी मस्जिदों की कमाई और खर्च का पूरा हिसाब किताब होगा। 

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ऐसे होती है मस्जिदों की कमाई 


वक्फ बोर्ड इस कमाई का हिसाब किताब इसलिए मांग रहा है क्योंकि उनकी सालाना कमाई करोड़ों में है। यह कमाई कहां जाती है इसका कोई हिसाब किताब ही नहीं मांगा जाता। मुतवल्ली अपने हिसाब से इस आमदनी को खर्च करते हैं। मस्जिदों को जुमे यानी शुक्रवार की नमाज में नमाजी झोली में पैसे डालते हैं। बड़ी मस्जिदों में एक दिन की आमदनी 35 हजार तक होती है।

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महीने में चार से पांच जुमे हुए तो यह कमाई डेढ़ लाख रुपए महीने तक हो जाती है। साल में एक मस्जिद की कमाई 18 से 20 लाख रुपए तक होती है। छत्तीसगढ़ में छोटी बड़ी सब मिलाकर 1800 से ज्यादा मस्जिदें हैं। इस तरह यह कमाई करोड़ों में पहुंच जाती है। वक्फ बोर्ड ने कहा है कि इस कमाई का ऑडिट होगा। और यदि तीन साल तक ऑडिट नहीं कराया तो जिम्मेदार को कानून के मुताबिक जेल तक जाना पड़ सकता है। 

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कांग्रेस का प्रचार किया तो छह मौलानाओं को नोटिस 


इससे पहले वक्फ बोर्ड ने एक और फरमान जारी किया था। इसमें कहा गया था कि मस्जिदों की तकरीर की जानकारी बोर्ड को देनी होगी। बोर्ड ने कहा था कि मस्जिदों को राजनीति का अड्डा नहीं बनाया जा सकता। इस फरमान से आगे बढ़ते हुए वक्फ बोर्ड ने कार्रवाई भी कर दी है। बोर्ड ने छह मुतवल्लियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इनमें रायपुर के 2, कांकेर का 1, दल्लीराजा का 1, बिलासपुर का 1 और अंबिकापुर के 1 मुतवल्ली शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी। बोर्ड नोटिस के बाद इनको हटाने की कार्रवाई भी करने जा रहा है। 

पढ़ाई-लिखाई में खर्च होगा पैसा 


वक्फ बोर्ड अपनी संपत्ति से होने वाली कमाई और मस्जिदों की आमदनी का 30 फीसदी पैसा शिक्षा के लिए खर्च करेगा। इसके अलावा रायपुर में एक बॉयज होस्टल और एक गर्ल्स होस्टल भी बनाया जा रहा है। यानी इतना तो साफ हो गया है कि नए वक्फ बिल के बाद सिर्फ धर्म विशेष के नाम पर स्वायत्त रहने वाले धर्म स्थल भी इसके दायरे में आ गए हैं।

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