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साइबर ठगों ने एक बार फिर चौंकाने वाला तरीका अपनाते हुए जांजगीर जिले में रहने वाले 65 वर्षीय रिटायर्ड कर्मचारी तुषार कर देवांगन से 32 लाख रुपए से अधिक की ठगी कर ली। ठगों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी, साथ ही व्हाट्सएप पर एक फर्जी डिजिटल अरेस्ट वारंट भी भेजा गया, जिससे डरकर पीड़ित ने बड़ी रकम ठगों द्वारा बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दी।
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कैसे हुआ साइबर फ्रॉड?
तुषार कर देवांगन वर्ष 2022 में सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं और जांजगीर के शंकर नगर वार्ड क्रमांक 18 में निवासरत हैं। 3 जुलाई को उन्हें दो व्यक्तियों विजय खन्ना और रश्मि शुक्ला का कॉल आया, जिन्होंने खुद को टेलीकॉम अथॉरिटी अधिकारी और सीबीआई प्रोसेसिंग ऑफिसर बताया।
उन्होंने दावा किया कि एक मोबाइल नंबर उनके नाम पर रजिस्टर्ड है, जिसका दुरुपयोग हो रहा है, और इसे कोलाबा पुलिस स्टेशन में मनी लॉन्ड्रिंग केस में दर्ज किया गया है।
कुछ देर बाद उन्हें एक व्यक्ति की फोटो और एक फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेजा गया, जिसमें उन्हें डिजिटल अरेस्ट की धमकी दी गई। फिर एक फर्जी केनरा बैंक एटीएम कार्ड भी दिखाया गया, जिस पर पीड़ित का नाम था और दावा किया गया कि इससे मनी लॉन्ड्रिंग हो रही है।
डर का फायदा उठाकर 32 लाख की ठगी
साइबर ठगों ने कहा कि आपके बैंक खातों में जो भी पैसा है, वह हमारे बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दें ताकि जांच की जा सके कि वह पैसा आपका है या मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। डरे और मानसिक दबाव में आए पीड़ित ने 3 जुलाई से 17 जुलाई के बीच फोनपे और नेट बैंकिंग के ज़रिए ठगों के खातों में ₹32,54,966 ट्रांसफर कर दिए।
ठगी का एहसास और FIR दर्ज
18 जुलाई के बाद जब सभी नंबर बंद हो गए, तब तुषार देवांगन को शक हुआ। उन्होंने गूगल पर कोलाबा थाने का नंबर ढूंढकर मुंबई पुलिस से संपर्क किया। वहां से पता चला कि उनके खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं है और यह साइबर फ्रॉड का मामला है।
इसके बाद पीड़ित ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज करवाई, जहां BNS की धारा 318(4), 3(5) के तहत अपराध क्रमांक 649/25 दर्ज किया गया है।
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पुलिस की अपील
जांजगीर पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे इस तरह के कॉल, व्हाट्सएप संदेश या गिरफ्तारी वारंट से सावधान रहें। किसी भी सरकारी एजेंसी के नाम पर पैसे की मांग की जाए, तो पहले स्थानीय पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें।
सावधानी ही बचाव
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि साइबर ठगी के तरीके लगातार बदल रहे हैं, और अब ठग डिजिटल गिरफ्तारी, फर्जी केस, और सरकारी पहचान का दुरुपयोग कर रहे हैं। बुजुर्ग नागरिकों और रिटायर्ड कर्मचारियों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
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