जशपुर में जर्मन पर्यटक हुए जनजातीय कला और संस्कृति के दीवाने, ट्रिप्पी हिल्स प्रोग्राम ने किया प्रभावित

छत्तीसगढ़ का जशपुर अब विदेशी सैलानियों के लिए संस्कृति और परंपरा का नया केंद्र बन रहा है। जर्मनी से आए दो पर्यटकों ने यहां की जनजातीय कला, हस्तशिल्प और जीवनशैली को करीब से देखा।

author-image
Harrison Masih
New Update
jashpur-tribal-culture-german-tourists-experience-trippy-hills-tourism the sootr
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Jashpur. छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की खूबसूरती और जनजातीय संस्कृति अब दुनिया भर के यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करने लगी है। हाल ही में जर्मनी से आए दो पर्यटक, श्री बर्नहार्ड और श्रीमती फ्रांजिस्का, यहां के पारंपरिक जीवन, कला और लोगों की आत्मीयता से गहराई से प्रभावित हुए।

दोनों पर्यटक क्षेत्रीय स्टार्टअप ‘ट्रिप्पी हिल्स’ के “अनुभवात्मक पर्यटन कार्यक्रम” (Experiential Tourism) के तहत जशपुर पहुंचे थे, जहाँ उन्होंने जनजातीय समाज की अनूठी जीवनशैली को नजदीक से देखा और समझा।

ये खबर भी पढ़ें... आदिवासी महिलाओं ने जशपुर को बनाया ब्रांड, 'जशप्योर' की कोदो-कुटकी अब ऑनलाइन

मलार समुदाय की शिल्पकला ने जीता दिल

यात्रा की शुरुआत मलार समुदाय से हुई, जो अपने शानदार हस्तनिर्मित आभूषणों और पारंपरिक शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए गहनों और कलात्मक वस्तुओं को देखकर विदेशी मेहमान दंग रह गए। उन्होंने कारीगरों से बातचीत की और उनकी रचनात्मकता की तारीफ की।

पहाड़ी कोरवा जनजाति के गांव में पारंपरिक जीवन का अनुभव

इसके बाद दोनों पर्यटक विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा के गांव पहुँचे। यहाँ उन्होंने ग्रामीणों के साथ समय बिताया और उनकी सरल जीवनशैली, पारंपरिक घरों, खेती और प्रकृति से गहरे जुड़ाव को महसूस किया। विदेशी पर्यटकों ने कहा कि यह अनुभव उन्हें आधुनिक जीवन से दूर “शांति और सादगी” की ओर ले गया।

ये खबर भी पढ़ें... डल झील जैसी हाउस बोट अब छत्तीसगढ़ में भी: झुमका जलाशय में पहली बार मिलेगा वाटर टूरिज्म का आनंद

8de60820-ae00-499d-8303-14909f7db854

अगरिया समुदाय की लौह गलाने की परंपरा बनी आकर्षण का केंद्र

यात्रा के दौरान अगरिया समुदाय ने अपनी पारंपरिक तकनीक से लौह गलाने (Iron Smelting) का जीवंत प्रदर्शन किया। यह दृश्य दोनों जर्मन मेहमानों के लिए बेहद रोमांचक रहा, क्योंकि उन्होंने पहली बार बिना आधुनिक उपकरणों के पारंपरिक तरीके से धातु तैयार होते देखा।

स्थानीय हाट-बाजार में झलकी जशपुर की जीवंत संस्कृति

जशपुर में जर्मन टूरिस्ट की यात्रा का समापन स्थानीय हाट-बाजार में हुआ। वहाँ रंगीन वस्त्र, मिट्टी के बर्तन, पारंपरिक जनजातीय संगीत और नृत्य ने जशपुर की असली सांस्कृतिक धड़कन को दर्शाया। दोनों पर्यटकों ने स्थानीय व्यंजन भी चखे और ग्रामीणों के साथ नृत्य किया।

ये खबर भी पढ़ें... कोरबा में बनेगा छत्तीसगढ़ का पहला एक्वा पार्क, मछली पालन और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

ये खबर भी पढ़ें... CG Job News: जशपुर और बस्तर में खुलेंगे 4 नए सरकारी कॉलेज,132 पदों पर भर्ती की मिली मंजूरी

जशपुर बन रहा है नया पर्यटन केंद्र

जशपुर की हरी-भरी वादियां, झरने, गुफाएं और जनजातीय परंपराएं अब पर्यटकों को नई दिशा में ले जा रही हैं। “ट्रिप्पी हिल्स”, “कल्चर देवी” और “अनएक्सप्लॉरड बस्तर” जैसे स्थानीय समूह इस क्षेत्र को “संस्कृति और अनुभव आधारित पर्यटन” का नया केंद्र बनाने में लगे हैं।

यह पहल न केवल पर्यटन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि स्थानीय समुदायों को आर्थिक अवसर और अपनी पहचान को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने का मौका भी दे रही है।

मलार समुदाय jashpur जशपुर में जर्मन टूरिस्ट ट्रिप्पी हिल्स जशपुर
Advertisment