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Kabirdham Doctor Couple Murder: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में साल 2017 में हुए डॉक्टर दंपति के अंधे हत्याकांड को पुलिस ने आखिरकार 8 साल बाद सुलझा लिया है। इस सनसनीखेज दोहरे हत्याकांड का मुख्य आरोपी डॉक्टर दंपति का पूर्व वाहन चालक सत्यप्रकाश साहू निकला, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने 14 घंटे की लंबी पूछताछ में अपना जुर्म स्वीकार कर लिया।
क्या था पूरा मामला?
6 अप्रैल 2017, कबीरधाम जिले के कैलाश नगर में शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. गणेश सूर्यवंशी और उनकी पत्नी डॉ. उषा सूर्यवंशी की लाशें उनके घर के आंगन में पड़ी मिली थीं। पुलिस मौके पर पहुंची और मामले को हत्या मानते हुए जांच शुरू की, लेकिन काफी प्रयासों के बावजूद आरोपी का कोई सुराग नहीं मिल पाया, और मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला गया।
नई शुरुआत, नई जांच, नया खुलासा
मामले में नया मोड़ तब आया जब एसपी धर्मेन्द्र सिंह ने कबीरधाम जिले की कमान संभाली। उन्होंने इस पुराने हत्याकांड की फाइल दोबारा खोली और विशेष टीम गठित कर दोबारा जांच शुरू कराई। तकनीकी विश्लेषण, पुराने बयान और संदिग्धों के रिकॉर्ड खंगालने के बाद संदेही सत्यप्रकाश साहू पुलिस के रडार पर आया।
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आरोपी ड्राइवर का चौंकाने वाला कबूलनामा
पुलिस पूछताछ में आरोपी सत्यप्रकाश साहू ने बताया कि वह पहले डॉक्टर के घर ड्राइवर के रूप में कार्यरत था और उसने डॉक्टर को 1.80 लाख रुपये उधार दिए थे। बाद में उसके खिलाफ ब्लैकमेलिंग की शिकायत हुई, जिसके बाद वह गंडई भाग गया। आर्थिक संकट में फंसे आरोपी ने जब डॉक्टर से पैसे वापस मांगने के लिए उनके घर पहुंचा, तब वहां पति-पत्नी के बीच जोरदार झगड़ा चल रहा था।
आरोपी के अनुसार:
डॉक्टर ने गुस्से में आकर भारी पत्थर से पत्नी के सिर पर वार किया। पत्नी ने जवाब में डॉक्टर पर पत्थर फेंका। दोनों घायल हो गए और डॉक्टर ने पत्नी की हत्या कर दी। यह देखकर आरोपी डर गया कि डॉक्टर उसे भी मार देगा, इसलिए उसने डॉक्टर पर हमला कर उसे मार डाला।
हत्या के बाद आरोपी ने खून के धब्बे साफ किए, शवों को आंगन में खींचकर रखा और रातभर वहीं रुका। सुबह बस से दुर्ग भाग गया। जाते समय डॉक्टर का मोबाइल भी ले गया, जिसे गंडई में 1900 रूपए में गिरवी रख दिया।
हत्यारे की निर्भीकता, हत्या के बाद लौट कर देखा माहौल
5 अप्रैल को हत्या करने के बाद 6 अप्रैल को वह दोबारा डॉक्टर के घर गया और देखा कि अभी तक किसी को घटना की जानकारी नहीं है। जब मीडिया और पुलिस वहां पहुंचे, तो वह भीड़ में शामिल होकर मौके का जायजा ले रहा था।
तकनीकी, साइबर और मानसिक धैर्य का कमाल
कोतवाली थाना और साइबर सेल की टीम ने इस जटिल केस को सुलझाने में निर्णायक भूमिका निभाई। 8 साल पुराने सबूतों, कॉल डिटेल, और पुराने रिकॉर्ड्स की मदद से संदिग्ध की पहचान हुई। 14 घंटे की पूछताछ में आरोपी ने पूरी कहानी बारीकी से बताई, जिससे पुलिस के भी होश उड़ गए।
इनाम की घोषणा और टीम को सराहना
आईजी अभिषेक शांडिल्य (IPS) ने इस केस के खुलासे पर 30,000 रूपए इनाम की घोषणा की। एसपी धर्मेन्द्र सिंह (IPS) ने भी टीम को 10,000 रूपए इनाम देने की घोषणा की।
जिन अधिकारियों का विशेष योगदान रहा:
कोतवाली प्रभारी निरीक्षक लालजी सिन्हा
साइबर प्रभारी निरीक्षक मनीष मिश्रा
उप निरीक्षक संतोष ठाकुर, एएसआई बंदे सिंह मरावी, चंद्रकांत तिवारी
हवलदार वैभव कलचुरी, आरक्षक चुम्मन साहू, लेखा चंद्रवंशी, अमित सिंह, गज्जू सिंह, धर्मेन्द्र मरावी
यह केस छत्तीसगढ़ पुलिस की धैर्य, तकनीकी दक्षता और संकल्प का उदाहरण है। वर्षों पुराने दोहरे हत्याकांड को सुलझाना न सिर्फ एक बड़ी जांच सफलता है, बल्कि यह पीड़ित परिवार के लिए भी न्याय की ओर एक बड़ा कदम है।
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