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Kawasi Lakhma filed bail petition: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। यह याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच में प्रस्तुत की गई है। अदालत ने मामले की सुनवाई अगस्त के पहले सप्ताह में तय की है।
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जमानत याचिका में कार्रवाई को दी चुनौती
कवासी लखमा ने जमानत याचिका के साथ-साथ ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) और ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की कार्रवाई को भी चुनौती दी है। उनका कहना है कि जांच एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई पूर्वाग्रह से ग्रसित है।
चार्जशीट में गंभीर खुलासे
विशेष कोर्ट में 1100 पन्नों की चार्जशीट पेश की गई है, जिसमें पूर्व मंत्री को 64 करोड़ रूपए का कमीशन मिलने का दावा किया गया है। यह राशि कथित तौर पर शराब की आपूर्ति, टेंडर प्रक्रिया और अधिकारियों की पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के जरिए अर्जित की गई थी।
चार्जशीट के अनुसार:
- कवासी लखमा ने मंत्री पद की शक्तियों का दुरुपयोग किया।
- नीतिगत फैसलों में हस्तक्षेप, अधिकारियों की पदस्थापना में प्रभाव और टेंडर प्रक्रिया में विकृति को बढ़ावा दिया।
- एक सुनियोजित समानांतर नकद व्यवस्था बनाई गई, जिससे पूरे आबकारी विभाग को भ्रष्टाचार के जरिये चलाया गया।
आर्थिक विश्लेषण से खुली परतें
वित्तीय विश्लेषण और दस्तावेजी साक्ष्यों से यह साबित हुआ है कि कवासी लखमा ने अपने पद का दुरुपयोग कर शराब व्यापारियों और ठेकेदारों से बड़ी मात्रा में कमीशन वसूला। एसीबी ने बताया कि घोटाले से मिले 64 करोड़ रूपए में से 18 करोड़ का अवैध निवेश और खर्च के दस्तावेजी प्रमाण एजेंसियों के पास हैं।
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निजी हितों में हुआ धन का उपयोग
एसीबी का कहना है कि लखमा ने इस घोटाले से मिले पैसे का उपयोग अपने और अपने परिवार के निजी हितों के लिए किया। इसके जरिए उन्होंने अवैध संपत्तियाँ अर्जित कीं और वित्तीय लाभ उठाया।
5 पॉइंट्स में समझें पूरा मामला1️⃣ पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। 2️⃣ हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई अगस्त के पहले सप्ताह में तय की है। 3️⃣ चार्जशीट में लखमा पर 64 करोड़ रूपए का कमीशन लेने का आरोप है। 4️⃣ आरोप है कि लखमा ने मंत्री पद का दुरुपयोग कर टेंडर और पोस्टिंग में हस्तक्षेप किया। 5️⃣ 18 करोड़ रूपए के अवैध निवेश और खर्च के दस्तावेजी साक्ष्य एसीबी को मिले हैं। |
आगे की कार्रवाई
अब नजरें हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जो अगस्त के पहले सप्ताह में होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोर्ट उन्हें जमानत देता है या एजेंसियों को आगे जांच के लिए और समय मिलता है। शराब घोटाले में यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
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