पूर्व मंत्री कवासी लखमा का खेल, शराब घोटाला के पैसे से बेटे-बहू और बेटी को गिफ्ट की जमीन

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच में भले ही तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा खुद को बार-बार अनपढ़ बता बचने की कोशिश कर रहे हों। लेकिन, ED ने अपनी जांच में उनका पूरा हिसाब किताब निकाल लिया है।

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VINAY VERMA
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CG News: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच में भले ही तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा खुद को बार-बार अनपढ़ बता बचने की कोशिश कर रहे हों। लेकिन, ED ने अपनी जांच में उनका पूरा हिसाब किताब निकाल लिया है।

ED ने अपने चौथे पूरक चालान में यह खुलासा किया है कि कवासी लखमा ने न केवल खुद इस घोटाले से कमाया। बल्कि अपने परिवार को भी उपकृत किया। 

ED के चालान में जो प्रमुख नाम हैं, उसमें बेटे हरीश कवासी के अलावा, बहू शीतल कवासी, बेटी संगीता और बोंके कवासी को जमीन गिफ्ट दी है। इतना ही नहीं रिश्तेदारों और कर्मचारियों के नाम से जमीन कारोबार में पैसा लगाया गया है।

हरीश कवासी के पास कितनी संपति है? 

ED की रिपोर्ट के अनुसार कवासी लखमा ने खुद के लिए 2 करोड़ 24 लाख 94 हजार रुपए का मकान लिया। बेटे हरीश कवासी को 1.40 करोड़ का मकान और 7.46 लाख की जमीन दिलाया। 45 लाख का अनसिक्योर्ड लोन भी हरीश कवासी को मिला।

बहु शीतल कवासी को 21.9 लाख की जमीन गिफ्ट में दी गई। बेटी संगीता कवासी को भी पेट्रोल पंप के लिए 4.36 लाख की जमीन उपलब्ध कराई गई। 

बोंके कवासी 58.43 लाख रुपए की जमीन, एक रिश्तेदार कवासी भीमा को 4 करोड़ 10 लाख 30 हजार रुपए जगदलपुर में सीमेंट फैक्ट्री के लीज ट्रांसफर के लिए और भू-भाटक के लिए दिए गए। कर्मचारी राजेश नारा के नाम से 46.26 लाख की जमीन खरीदी गई है।

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सुकमा में कांग्रेस भवन कितने करोड़ में बना है? 

ED के हिसाब से कवासी परिवार के अलावा कारोबारी जयदीप भदौरिया को एक करोड़ रुपए उधार दिए गए। महुआ के कोल्ड स्टोरेज के स्टॉकिंग के लिए भी 2.50 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है।

ED के अनुसार शराब घोटाले के 1.33 करोड़ रुपए सुकमा के कांग्रेस भवन निर्माण में भी लगाया गया है। इसका लेखा जोखा एक डायरी से मिला है।

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शराब घोटाले में से पार्टी फंड में कितने रुपए दिए? 

शराब घोटाले की ईडी जांच में खुलासा किया है कि शराब घोटाला में से 1500 करोड़ रुपए पार्टी फंड में भी दिए गए हैं। हालांकि ED ने राजनीतिक दल के नाम का खुलासा नहीं किया है।

विपक्ष में रहते हुए भाजपा इस पर लगातार सवाल उठा रही थी। सरकार बनते ही भाजपा ने इसकी विधिवत जांच शुरू कराई। EOW के बाद इस जांच में एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट यानी ED की एंट्री हुई और इसका खुलासा हुआ।

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शराब घोटाले के लिए बनाया सिंडिकेट

कवासी लखमा के आबकारी मंत्री बनते ही शराब माफियाओं ने एक सिंडिकेट तैयार किया। जिसके मुखिया खुद कवासी लखमा थे। इसे अलावा अनिल टुटेजा की भी प्रमुख भूमिका थी। जो की एक रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर थे।

रायपुर मेयर एजाज ढेबर के भाई और कारोबारी अनवर ढेबर को भी प्रमुख बताया जाता है। इसके संचालन के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट से अरुण पति त्रिपाठी को प्रतिनियुक्ति पर विभाग में लाया गया।

ED के चालान में शराब नीति में बदलाव का भी जिक्र किया गया है। ED के अनुसार 2018 में जब कांग्रेस सत्ता में आई तो उस दौरान शराब नीति में सम्भवतः इसलिए बदलाव किया गया कि आने वाले दिनों में इस षड्यंत्र को अंजाम दिया जा सके। 

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60 लाख से अधिक शराब की पेटियां बेच डाली

जांच रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2019 से यह अवैध शराब बिक्री मामला घोटाला शुरू हुआ। शुरुआत में 800 पेटी शराब से भरी 200 ट्रक डिक्सलरी से हर माह निकलती थी। एक पेटी को 2840 रुपए में बेचा जाता था।

उसके बाद पार्ट बी के नाम से 400 ट्रक प्रति महीना शराब की सप्लाई शुरू हो गई। प्रति पेटी शराब 3880 रुपए में बेची गई। जांच में खुलासा हुआ कि 3 साल में 60 लाख 50 हजार 950  शराब की पेटियां अवैध रूप से बेची गई।

सिंडिकेट में अवैध कमाई का कमीशन

इसमें इस बात का भी जिक्र है कि अनिल टुटेजा जो की रिटायर्ड IAS अधिकारी थे। उन्हें, 150 रुपए प्रति पेटी कमीशन मिलता था। अनवर ढेबर को 150 रुपए प्रति पेटी, बीएसपी कर्मी अरविंद सिंह को 75 रुपए प्रति पेटी, हर जिले के आबकारी अधिकारी को 150 रुपए प्रति पेटी और डिस्लरी प्रबंधक को 600 रुपए प्रति पेटी कमीशन मिलता था।

जांच में 29 अधिकारियों का जिक्र

ED ने अपनी जांच में आबकारी विभाग के 29 अधिकारियों को दोषी बताया है। जिला अधिकारियों को प्रति पेटी 150 रुपए मिलता था। इन अधिकारियों ने शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर के करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। इन पैसों का जमीन मकान और कारोबार में निवेश किया गया है। अब इन्हें कोर्ट में पेश होना होगा। विशेष कोर्ट ने समन जारी किया है।

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