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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में शिक्षक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को लेकर बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने नवीन पदस्थापना आदेश के बावजूद स्कूल में कार्यभार ग्रहण न करने वाले चार शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
यह निर्णय तब लिया गया जब इन शिक्षकों ने स्थानांतरण को चुनौती देते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग को स्वीकार्य योग्य नहीं मानते हुए युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को सही ठहराया।
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क्या है युक्तियुक्तकरण?
युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य अतिशेष (excess) शिक्षकों को एकल या शिक्षक विहीन विद्यालयों में पदस्थ करना है ताकि स्कूलों में शिक्षकों की संख्या संतुलित की जा सके और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
कोरबा जिले में यह प्रक्रिया काउंसलिंग के माध्यम से की गई, जिसमें कई शिक्षकों को नए विद्यालयों में भेजा गया।
शिक्षकों ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया
चार शिक्षकों ने नवीन पदस्थापन को चुनौती देते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने अस्थायी रूप से युक्तियुक्तकरण पर रोक लगाते हुए शिक्षकों को जिला स्तरीय युक्तियुक्तकरण समिति के समक्ष अभ्यावेदन (प्रतिवेदन) प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। समिति को एक सप्ताह के भीतर फैसला देने के लिए कहा गया था।
क्या कहा समिति ने?
शिक्षकों के अभ्यावेदन पर सुनवाई के बाद समिति ने पाया कि उनकी मांगें स्वीकार योग्य नहीं हैं। इसके बाद सभी संबंधित शिक्षकों को दिनांक 30 जून 2025 को जारी पत्र के माध्यम से तत्काल नवीन स्कूल में कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश दिया गया।
1️⃣ युक्तियुक्तकरण के तहत हुआ पदस्थापनकोरबा जिले में चार शिक्षकों को काउंसलिंग के माध्यम से नए स्कूलों में पदस्थ किया गया था। 2️⃣ शिक्षकों ने कार्यभार नहीं संभालानवीन पदस्थ स्कूलों में ज्वाइनिंग न कर शिक्षकों ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दाखिल की। 3️⃣ कोर्ट ने याचिका खारिज कीहाईकोर्ट ने शिक्षकों की मांग को अस्वीकार कर अभ्यावेदन अमान्य कर दिया और कार्यभार संभालने का निर्देश दिया। 4️⃣ कार्यभार नहीं संभालने पर कार्रवाईशिक्षकों ने आदेश के बावजूद ज्वाइनिंग नहीं की, जिस पर DEO ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी थी। 5️⃣ चार शिक्षक निलंबितछत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत चार शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। |
कार्यभार ग्रहण नहीं किया, हुआ निलंबन
इसके बावजूद जब चार शिक्षकों ने अब तक पदांकित संस्थान में कार्यभार नहीं संभाला, तो DEO ने उनके खिलाफ छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 की नियम 3 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
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प्रशासन का सख्त संदेश
यह कार्रवाई स्पष्ट संकेत है कि शासन अब युक्तियुक्तकरण आदेशों की अवहेलना को बर्दाश्त नहीं करेगा। शिक्षकों को स्थानांतरण आदेशों का पालन करना अनिवार्य है, वरना कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
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