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खरसिया-नवा रायपुर-परमलकसा के लिए खरोरा, मंदिर हसौद, आरंग और अभनपुर तहसील के 35 गांवों से होकर नई रेल लाइन निकलने वाली है। जिन गांवों से यह रेललाइन गुजरेगी उन गांवों में भी मुआवजे के लिए भारतमाला की तर्ज पर बड़ा खेल होने की आशंका है। इनमें से अधिकांश गांवों की एक-एक जमीनों के कई टुकड़े कर रजिस्ट्री कराए गए हैं।
इनमें कुछ ने तो जमीनों को दान पत्र के माध्यम से अपने परिवार के सदस्यों के नाम करवा लिया है। लगभग छह साल पहले बने इस प्रस्ताव के बाद से बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीदी बिक्री की गई है हालांकि अभी अप्रैल महीने में ही जमीनों की खरीदी बिक्री पर रोक लगाई गई है।
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रेलवे की ओर से जिला कलेक्टर को 9 अप्रैल 2025 को जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक की चिट्ठी जारी की गई थी। इस चिड्डी के आधार पर कलेक्टर ने एसडीएम को 15 अप्रैल को चिड्डी जारी कर खरीदी-बिक्री रोकने के आदेश दिए थे। महेंद्र गांधी, अंकित गांधी, अनिता गांधी, पिंकी गांधी इन चारों के नाम पर थनौद, तर्रा, नवागांव में अलग-अलग 36 टुकड़े किए गए हैं।
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इनमें से अधिकांश जमीनों के टुकड़े 0.04 हेक्टेयर के हैं। परिवार के सदस्यों को दानदाता और खुद को दानग्राहिता तो कुछ में खुद को दानदाता और परिवार के अन्य सदस्यों को दानग्राहिता बताया गया है। इनमें से अधिकांश जमीनों की रजिस्ट्री 2025 में ही करवाई गई है। इसमें गड़बड़ी की आशंका इसलिए भी है क्योंकि भारतमाला सड़क परियोजना में जमीनों का बंटाकन कर 74 करोड़ तथा रावघाट जगदलपुर रेललाइन में 100 करोड़ का मुआवजा घोटाला हो चुका है।
रेलवे ने कलेक्टर को चिट्ठी लिखकर जिन गांवों से होकर रेल लाइन गुजर रही है उन सभी गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे बिलासपुर के उप मुख्य अभियंता राकेश कुमार दिव्य ने जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक लगाने के लिए रायपुर कलेक्टर को 9 अप्रैल को चिट्टी लिखी थी।
रेलवे की ओर से कलेक्टर को भेजी गई चिट्टी में स्पष्ट है कि प्रस्तावित रेल लाइन की जानकारी होने के बावजूद कुछ लोग और दलाल बिना किसी वैध अनुमति या कानूनी जांच के जमीन के लेन-देन में लिप्त हो जाते हैं। इससे आने वाले समय में गांवों के लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करने के साथ ही सार्वजनिक परियोजना के काम में भी मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। इसलिए इस पर रोक लगाना जरूरी है।
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