Kaushalya Dham History : छत्तीसगढ़ का प्राचीन गांव चंदखुरी, जिसे ‘कौशल्या धाम’ के नाम से जाना जाता है। चंदखुरी में मान्यताओं, धार्मिक आस्था और पौराणिक कहानियों का अद्भुत संगम है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहां भगवान राम की मां, देवी कौशल्या का ननिहाल था, और यहाँ राम की उपस्थिति आज भी महसूस की जाती है। खासकर दीपावली के दौरान, यहाँ के निवासियों की आस्था है कि राम अपने ननिहाल आते हैं और यहां के माहौल में उनकी उपस्थिति होती है। इस मान्यता के चलते चंदखुरी का यह उत्सव विशेष और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हो गया है, जहाँ हर दीपावली धूमधाम से मनाई जाती है।
जानिए क्या है चंदखुरी का इतिहास
चंदखुरी छत्तीसगढ़ का एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व का गांव है। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान देवी कौशल्या का मायका था, और राम के लिए यह ननिहाल के रूप में उनकी माँ की जड़ों से जुड़ा है। यहाँ की मिट्टी से लेकर वातावरण तक में रामायण काल की गूँज और उनके संस्मरण महसूस किए जाते हैं। चंदखुरी के निवासी इस बात पर गर्व करते हैं कि वे भगवान राम से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं और उन्हें विशेष रूप से ‘राम के ननिहाल’ के निवासी होने का सौभाग्य मिला है।
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यहां के मंदिर और धार्मिक स्थल विशेषकर कौशल्या माता का मंदिर, ग्रामीणों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। दीपावली के दौरान इस गाँव में भक्ति और प्रेम के दीप जलते हैं, जो भगवान राम और उनके परिवार को समर्पित होते हैं। इस अवसर पर भगवान राम की एक विशेष पूजा की जाती है, जिसे देखने के लिए आसपास के गांवों से भी लोग चंदखुरी पहुंचते हैं। यहाँ दीपावली के दिन राम के आगमन का स्वागत एक भव्य आयोजन के साथ किया जाता है, और मान्यता है कि इस दिन भगवान राम सभी भक्तों के मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
दीपावली के दिन ननिहाल आते हैं राम
दीपावली के समय चंदखुरी को विशेष रूप से सजाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि दीपावली के दिन राम चंदखुरी अपने ननिहाल में आते हैं और अपने ननिहाल के लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। गाँव के लोग उनके स्वागत के लिए विशेष पूजा, भजन-कीर्तन और दीप प्रज्वलन करते हैं। गाँव में एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें सभी ग्रामीण और मंदिर के पुजारी मिलकर भगवान राम के प्रतीकात्मक स्वरूप का स्वागत करते हैं।
इस गांव में दीपावली के अवसर पर परंपरागत गीत और रामायण की कहानियां सुनाई जाती हैं, जो इस त्योहार को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में एक नई दिशा प्रदान करती हैं। बच्चों से लेकर वृद्ध तक, सभी में इस पर्व को लेकर विशेष उत्साह और प्रेम दिखता है।
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धार्मिक इतिहास को बटोरता हुआ चंदखुरी
दीपावली के दिन यहां रामायण के प्रसंगों का मंचन भी किया जाता है। खासकर राम वनवास और राम की लंका विजय के प्रसंग का ग्रामीण लोग मिलकर मंचन करते हैं। यह आयोजन ना केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भगवान राम की शिक्षा और उनके आदर्शों से भी अवगत कराता है। राम की वापसी को दीपावली के रूप में मनाना, इस परंपरा को संजोने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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लाखों की संख्या में दर्शन के लिए आते हैं भक्त
चंदखुरी की यह विशेषता पर्यटकों को भी आकर्षित करती है। हर साल दीपावली के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु पहुँचते हैं जो इस अद्भुत दृश्य को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं। कौशल्या धाम में दीपावली का यह त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन चुका है।
चंदखुरी के निवासियों के अनुसार, दीपावली पर राम का ननिहाल आगमन इस बात का प्रतीक है कि आस्था और विश्वास से जुड़ी यह परंपरा युगों तक जीवित रहेगी। इस पर्व से यहां के लोग अपने गौरवशाली अतीत और धार्मिक आस्थाओं को संजोए रखने का प्रयास करते हैं।
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