Maa Chandrahasini Temple: कई सालों तक नदी किनारे सोईं थी माता... राजा को दिया दर्शन

Maa Chandrahasini Temple: वैसे तो छत्तीसगढ़ में कई देवी मंदिर हैं। लेकिन, जब बात चंद्रहासिनी देवी माता मंदिर की बात आती हैं तो श्रद्धालुओं की उत्सुकता बढ़ जाती हैं।

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Kanak Durga Jha
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Maa Chandrahasini Temple history thousand year old
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Maa Chandrahasini Temple Thousand Year Old History: वैसे तो छत्तीसगढ़ में कई देवी मंदिर हैं। लेकिन, जब बात चंद्रहासिनी देवी माता मंदिर की बात आती हैं तो श्रद्धालुओं की उत्सुकता बढ़ जाती हैं। जांजगीर चांपा जिले के चन्द्रपुर में स्थापित माता का मंदिर मां चंद्रहासिनी मंदिर के नाम से पूरे विश्व में सुप्रसिद्ध है।

मां चंद्रहासिनी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है। हजारों साल पुराने धार्मिक कथा से जुड़ा मंदिर सुंदर कलाकृतियों से सजा हुआ है। यहां भगवान शिव और माता पार्वती का 100 फीट ऊंचा मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति देख भक्तगण मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

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जानिए मां चंद्रहासिनी मंदिर का इतिहास

Hamar Chhattisgarh: चंद्रहासिनी देवी का मंदिर,चंद्रपुर (Chandrahasini  Temple,Chandrapur)

चंद्रमा के आकार की विशेषताओं के कारण उन्हें चंद्रहासिनी और चंद्रसेनी मां के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि चंद्रसेनी देवी ने सरगुजा को छोड़ दिया और उदयपुर और रायगढ़ होते हुए महानदी के किनारे चंद्रपुर की यात्रा की। महानदी की पवित्र शीतल धारा से प्रभावित होकर माता रानी विश्राम करने लगीं। इसके बाद उन्हें नींद आ गई। वर्षों व्यतीत हो जाने पर भी उनकी नींद नहीं खुली। 

एक बार संबलपुर के राजा चंद्रहास की सवारी यहां से गुजरी। चंद्रसेनी देवी पर गलती से उनके पैर लग जाने से चोट लग गई। जिससे वे माता की नींद टूट गई, फिर एक दिन देवी ने उन्हें एक सपने में दर्शन दिए और उन्हें एक मंदिर बनाने और वहां एक मूर्ति स्थापित करने के लिए कहा। इसके बाद राजा ने इसी स्थान पर माता के भव्य मंदिर का निर्माण किया। हर साल नवरात्रि के अवसर पर सिद्ध शक्तिपीठ मां चंद्रहासिनी देवी मंदिर चंद्रपुर में महाआरती के साथ 108 दीपों की पूजा की जाती है।


108 दीपों से होती है आरती

कहा जाता है कि नवरात्रि पर्व के दौरान 108 दीपों के साथ महाआरती में शामिल होने वाले भक्त मां के अनुपम आशीर्वाद का हिस्सा बनते हैं। सर्वसिद्धि की दाता मां चंद्रहासिनी की पूजा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि उत्सव के दौरान भक्त नंगे पांव मां के दरबार में पहुंचते हैं और कर नापकर मां की विशेष कृपा अर्जित करते हैं।

 

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