3 लाख का आम! जानिए क्यों मियाजाकी की रखवाली कर रहे खूंखार डॉग्स

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय आम महोत्सव में देश-दुनिया की हजारों किस्मों के आमों की महक और स्वाद ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय आम महोत्सव में देश-दुनिया की हजारों किस्मों के आमों की महक और स्वाद ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लेकिन सबका ध्यान खींचा जापान के विश्वप्रसिद्ध और दुनिया के सबसे महंगे आम ‘मियाजाकी’ ने, जिसकी कीमत 3 लाख 45 हजार रुपए प्रति आम तक जाती है। इस आम को महज देखने के लिए भी भीड़ उमड़ रही है।

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बस्तर के जंगल से लेकर अफगानिस्तान-पाकिस्तान तक के आम

इस महोत्सव में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के जंगलों में उगने वाले छोटे, गोल-मटोल देसी आमों से लेकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान की विदेशी वैरायटी भी पेश की गई हैं। इन आमों के स्वाद, बनावट और सुगंध ने आम लोगों से लेकर विशेषज्ञों तक को आकर्षित किया।

हूर पाकिस्तानी पर विवाद, नेम प्लेट हटाई गई

महोत्सव के दौरान "हूर पाकिस्तानी" नामक एक आम की वैरायटी भी प्रदर्शित की गई, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया। ‘हूर’ शब्द को पाकिस्तान की अप्सरा से जोड़कर देखे जाने और नाम को लेकर आपत्ति जताए जाने के बाद आयोजकों ने उसकी नेम प्लेट हटा दी। आयोजकों ने सफाई दी कि नाम को लेकर भ्रम की स्थिति बनी थी।

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बिना गुठली वाला 'सिंधू' आम भी आकर्षण का केंद्र

पाकिस्तान और भारत, दोनों में उगने वाला ‘सिंधू आम’ भी इस बार चर्चा में रहा। इसकी खासियत यह है कि यह लगभग बिना गुठली वाला होता है। विशेषज्ञ इसे 'सीड-लेस मैंगो' के नाम से पहचानते हैं।

360 डिग्री सुरक्षा में 'मियाजाकी', नहीं बिकते सिर्फ शोकेस होते हैं

सूरजपुर जिले के कमलपुर क्षेत्र में रहने वाले कोल इंडिया के रिटायर्ड जीएम राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने अपने निजी बाग में जापान, अफगानिस्तान, थाईलैंड, फिलिपींस जैसे देशों के प्रीमियम आम उगाए हैं। उन्होंने बताया कि मियाजाकी आम की सुरक्षा के लिए दो अल्सेशियन डॉग्स और CCTV कैमरे लगाए गए हैं। यह आम वे केवल शौकिया तौर पर उगाते हैं, और इसे बेचते नहीं, केवल प्रदर्शनों में शोकेस करते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी हुए आमों के दीवाने

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने महोत्सव का दौरा करते हुए कई किस्मों के आम देखे और सबसे बड़ा आम उठाकर फोटो खिंचवाई। उन्होंने कहा कि, "आज मैंने कई ऐसी आमों की प्रजातियां देखी जो जीवन में पहली बार देख रहा हूं। इनमें से बीजापुर की ‘हाथीझुल’ किस्म तो एक अद्भुत उदाहरण है, जिसका वजन 2 से 4 किलो तक होता है।”

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2000+ वैरायटी, 450+ किसान, 56 आम से बने व्यंजन

इस महोत्सव में 2000 से ज्यादा किस्मों के आम, 450 से अधिक किसानों की भागीदारी और 56 आम से बने व्यंजनों का प्रदर्शन किया गया। इस आयोजन को देखने के लिए दूर-दूर से आम प्रेमी, किसान, बागवानी विशेषज्ञ और अधिकारी पहुंचे।

विदेशी आमों की पैदावार में छत्तीसगढ़ की मिट्टी बनी वरदान

राजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि सरगुजा क्षेत्र की मिट्टी और वातावरण विदेशी आम की किस्मों की पैदावार के लिए बेहद अनुकूल है। यही कारण है कि जापान के मियाजाकी जैसे आम यहां अच्छे से फल-फूल रहे हैं।

राष्ट्रीय आम महोत्सव सिर्फ एक फलों की प्रदर्शनी नहीं, बल्कि कृषि, संस्कृति, स्वाद और विविधता का जीवंत संगम बन गया है। यह आयोजन न केवल आमों की नई वैरायटी से लोगों को अवगत करवा रहा है, बल्कि छत्तीसगढ़ को फलों के अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर उभारने का भी अवसर दे रहा है। अगर आप आम प्रेमी हैं, तो यह महोत्सव किसी स्वर्गिक अनुभव से कम नहीं।

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