मुस्लिम युवती ने पहचान छिपाकर हिन्दू युवक से की शादी, धर्म परिवर्तन का बनाया दबाव, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

धमतरी के एक युवक ने हिंदू रीति-रिवाज से विवाह किया, लेकिन बाद में पता चला कि पत्नी मुस्लिम परिवार से है और शादी के समय धर्म छिपाया गया था। आरोप के अनुसार, विवाह के बाद पत्नी और ससुराल पक्ष युवक पर मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बनाने लगे।

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Harrison Masih
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Dhamtari. धर्म छिपाकर शादी करने, पति पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने और बार-बार आत्महत्या की धमकी देने जैसे गंभीर आरोपों वाले मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। यह मामला धमतरी जिले के एक कारोबारी और उसकी पत्नी से जुड़ा है, जहां पत्नी ने खुद को हिंदू बताकर शादी की थी, लेकिन बाद में उसकी मुस्लिम पहचान उजागर हुई और उसने पति पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया।

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मामला क्या है?

धमतरी के कारोबारी युवक की शादी 2018 में कुरुद क्षेत्र की युवती से हिंदू रीति-रिवाज के साथ हुई थी। शादी के समय युवती और उसके परिवार वालों ने खुद को हिंदू बताया था। शादी के कुछ महीने बाद महिला के पिता ने पति को अधारी नवगांव स्थित दरगाह ले जाकर बताया कि दोनों पर भूत का साया है, और उन्हें हर गुरुवार वहां आने को कहा। लगभग 7-8 महीने तक लगातार दरगाह जाने और कारोबार में नुकसान होने के बाद पति को संदेह हुआ। उसे पता चला कि उसकी पत्नी और ससुराल वाले वास्तव में मुस्लिम परिवार से हैं, जिन्होंने पहचान छिपाकर शादी की थी।

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दरगाह जाने से सामने आई सच्चाई

सच्चाई सामने आने पर पति ने पत्नी को दरगाह जाने और मायके जाने से मना कर दिया। इसके बाद पत्नी और उसके माता-पिता ने पति पर मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया, जिसे पति ने अस्वीकार कर दिया। धर्म बदलने से मना करने पर पत्नी का व्यवहार बदल गया; वह आए दिन झगड़ा करने लगी और पति के साथ गाली-गलौज करती थी। 25 सितंबर 2019 को विवाद के बाद पत्नी ने खुद पर केरोसिन डालकर माचिस जलाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। हालांकि, पति ने किसी तरह उसे बचा लिया। पति ने आरोप लगाया कि पत्नी और ससुराल वाले मिलकर उसे लगातार मानसिक रूप से परेशान कर रहे थे और बार-बार सुसाइड की धमकी देती थी।

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फैमिली कोर्ट और हाई कोर्ट का फैसला

पति ने पत्नी के व्यवहार से तंग आकर कुटुंब न्यायालय (Family Court) में तलाक के लिए अर्जी दी, जिसे दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद मंजूर कर लिया गया। तलाक आदेश के खिलाफ पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील की और कहा कि पति उसे अपने साथ नहीं रखना चाहता, इसलिए उसने बेबुनियाद आरोप लगाए हैं।

हाई कोर्ट की टिप्पणी:

हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि: "आत्महत्या के लिए बार-बार धमकी देना पति के साथ क्रूरता है। जब इस तरह की घटनाएं लगातार होती हैं, तो कोई भी पति-पत्नी शांति से नहीं रह सकता। क्रूरता का मतलब है पति-पत्नी के साथ इतनी क्रूरता से पेश आना जिससे उसके मन में यह डर पैदा हो कि दूसरे पक्ष के साथ रहना उसके लिए नुकसानदायक होगा। पत्नी के काम इतने गंभीर हैं कि पति को दर्द और तकलीफ हुई है, जो शादी के कानून में क्रूरता मानी जाएगी।"

कोर्ट ने पाया कि पति ने इस बात के पर्याप्त सबूत पेश किए हैं कि पत्नी बार-बार आत्महत्या की धमकी देती थी और एक बार कोशिश भी की थी। पत्नी के व्यवहार को देखते हुए, हाई कोर्ट ने तलाक के खिलाफ पत्नी की अपील को खारिज कर दिया।

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