इजराइल-ईरान युद्ध की आंच कांकेर तक: ईरान में फंसे मर्चेंट नेवी कर्मी मयंक साहू

ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते युद्ध जैसे हालात का असर अब भारत के अंदरूनी हिस्सों तक महसूस किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक के ग्राम कन्हारगांव निवासी मयंक साहू भी इस संकट का सामना कर रहे हैं।

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Harrison Masih
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ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते युद्ध जैसे हालात का असर अब भारत के अंदरूनी हिस्सों तक महसूस किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक के ग्राम कन्हारगांव निवासी मयंक साहू भी इस संकट का सीधा सामना कर रहे हैं। मयंक पिछले छह महीनों से ईरान में मर्चेंट नेवी कंपनी में कार्यरत हैं और अब युद्ध के चलते वहीं फंसे हुए हैं।

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परिजनों की चिंता, प्रधानमंत्री को लिखी गुहार

मयंक साहू के परिवार का कहना है कि उन्होंने बेटे की सुरक्षित वापसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। परिजनों ने आग्रह किया है कि केंद्र सरकार ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए और मयंक समेत सभी भारतीयों को स्वदेश लौटाया जाए।

"हमारा दिन-रात एक जैसा हो गया है। हर पल डर लगा रहता है कि मयंक किस हालात में होगा। बस एक ही उम्मीद है कि सरकार हमारे बेटे को सकुशल घर वापस लाए।"
— गंधर्व साहू, मयंक के पिता

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मयंक की नौकरी और युद्ध के हालात

मयंक साहू ने चेन्नई से मर्चेंट नेवी का कोर्स पूरा किया था, जिसके बाद उन्हें ईरान की एक मर्चेंट कंपनी में नौ महीने के अनुबंध पर नियुक्ति मिली। वह अपने परिवार का सपना पूरा करने के लिए विदेश गए थे, लेकिन अब वह बदलते भू-राजनीतिक हालात के कारण वहीं फंसे हुए हैं।

इधर, ईरान और इज़राइल के बीच लगातार बिगड़ते रिश्तों और सैन्य तनाव के चलते वहां रह रहे विदेशी नागरिकों, खासकर भारतीयों, की सुरक्षा को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं।

सरकार से सुरक्षित वापसी की अपील

भारत सरकार ने पहले भी युद्धग्रस्त क्षेत्रों से "ऑपरेशन सुरक्षा" जैसी पहल के जरिए कई भारतीयों को स्वदेश लौटाया है। अब मयंक के परिजन भी यही उम्मीद कर रहे हैं कि केंद्र सरकार इस दिशा में त्वरित कदम उठाएगी।

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"हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि हमारा बेटा सही-सलामत घर लौटे।"
— मयंक की माँ (भावुक स्वर में)

यह मामला न सिर्फ एक परिवार की व्यक्तिगत चिंता है, बल्कि उन कई भारतीयों की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है, जो युद्ध क्षेत्र में रोज़ाना जान के जोखिम के बीच काम कर रहे हैं। मयंक साहू की स्थिति ने कांकेर जैसे शांत जिले में भी वैश्विक संकट की सीधी झलक दे दी है।

सरकार की ओर से यदि तुरंत हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो यह संकट और गहरा सकता है। अब निगाहें इस पर हैं कि क्या प्रधानमंत्री कार्यालय मयंक समेत अन्य फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने के लिए कोई विशेष कदम उठाता है या नहीं।

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