सिविल इंजीनियर परीक्षा में माइक्रोकैमरा और वॉकी-टॉकी का खेल, बीए परीक्षा में सामूहिक नकल

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में परीक्षाओं में नकल का नया और चौंकाने वाला रूप सामने आया है। राम दुलारे स्कूल में आयोजित PWD सिविल इंजीनियर परीक्षा में एक अभ्यर्थी ने हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर नकल की कोशिश की, जिसे NSUI कार्यकर्ताओं ने पकड़ लिया।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में परीक्षाओं में नकल का नया और चौंकाने वाला रूप सामने आया है। राम दुलारे स्कूल में आयोजित PWD सिविल इंजीनियर एग्जाम में एक अभ्यर्थी ने हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर नकल की कोशिश की, जिसे NSUI कार्यकर्ताओं ने पकड़ लिया। 

वहीं, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की बीए भाग-2 के एग्जाम में सामूहिक नकल का सनसनीखेज मामला सामने आया, जहां 22 छात्रों की उत्तरपुस्तिकाओं में जवाब हूबहू एक जैसे पाए गए। ये घटनाएं न केवल एग्जाम सिस्टम की खामियों को उजागर करती हैं, बल्कि नकल के लिए अपनाए जा रहे नए-नए तरीकों पर भी सवाल उठाती हैं।

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PWD सिविल इंजीनियर एग्जाम में हाईटेक नकल का कारनामा

बिलासपुर के राम दुलारे स्कूल में PWD सिविल इंजीनियर भर्ती परीक्षा के दौरान एक हैरान करने वाला नकल का मामला सामने आया। एक महिला अभ्यर्थी, जिसे अब स्थानीय लोग 'मुन्ना बहन' कहकर पुकार रहे हैं, ने अपने कॉलर में माइक्रोकैमरा और वॉकी-टॉकी छिपा रखा था।

इस हाईटेक उपकरण के जरिए वह एग्जाम हॉल के बाहर खड़ी एक ऑटो में बैठी अपनी सहयोगी से संपर्क में थी, जो उसे प्रश्नों के जवाब बता रही थी। माइक्रोकैमरा के जरिए प्रश्नपत्र की तस्वीरें बाहर भेजी जा रही थीं, और वॉकी-टॉकी के माध्यम से जवाब प्राप्त किए जा रहे थे। यह पूरी साजिश 'मुन्ना भाई MBBS' की तर्ज पर रची गई थी, लेकिन NSUI के कार्यकर्ताओं की सतर्कता ने इसे नाकाम कर दिया।

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कार्यकर्ताओं ने नकल कर रही अभ्यर्थी और उसकी सहयोगी को रंगे हाथों पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना नकल के लिए तकनीक के दुरुपयोग का एक गंभीर उदाहरण है, जो एग्जाम सिस्टम में कड़ी निगरानी और तकनीकी सुरक्षा की जरूरत को रेखांकित करती है।

बीए भाग-2 के एग्जाम में सामूहिक नकल का खुलासा

दूसरी ओर, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की बीए भाग-2 की वार्षिक एग्जाम में सामूहिक नकल का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह घटना गुंडरदेही के माता कर्मा कला, वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय में हुई, जहां अर्थशास्त्र विषय के 'प्रिंसिपल ऑफ मैक्रो इकोनोमिक्स' पेपर की जांच के दौरान 22 छात्रों की उत्तरपुस्तिकाओं में जवाब शब्दशः एक जैसे पाए गए। 

एग्जाम के दौरान कक्ष में सब कुछ सामान्य दिख रहा था, लेकिन उत्तरपुस्तिकाओं की जांच ने नकल की पूरी कहानी उजागर कर दी। मूल्यांकनकर्ताओं ने पाया कि इन 22 उत्तरपुस्तिकाओं में न केवल जवाब एक जैसे थे, बल्कि शब्द, वाक्य, और लेखन शैली भी हूबहू मिलती थी। 

ऐसा लगता है मानो किसी ने सभी छात्रों को एकसाथ उत्तर बोलकर लिखवाए हों। यह बीए की वार्षिक एग्जाम में सामूहिक नकल का संभवतः पहला मामला है, जिसने विश्वविद्यालय प्रशासन को सकते में डाल दिया है।

नकल के कारण और परिणाम

PWD सिविल इंजीनियर परीक्षा में हाईटेक नकल का मामला तकनीक के दुरुपयोग और परीक्षा केंद्रों पर निगरानी की कमी को दर्शाता है। वहीं, बीए एग्जाम में सामूहिक नकल का मामला कक्ष निरीक्षकों की लापरवाही और एग्जाम प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। दोनों ही मामलों ने शिक्षा और भर्ती प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। 

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NSUI कार्यकर्ताओं ने PWD एग्जाम में नकल पकड़े जाने के बाद मांग की है कि सभी एग्जाम केंद्रों पर सीसीटीवी और जैमर जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाए। वहीं, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने बीए एग्जाम में नकल के मामले की जांच के लिए एक समिति गठित करने का फैसला किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि दोषी छात्रों और संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन और समाज पर प्रभाव

ये घटनाएं न केवल एग्जाम सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करती हैं, बल्कि समाज में नैतिकता और ईमानदारी जैसे मूल्यों पर भी सवाल उठाती हैं। हाईटेक नकल और सामूहिक नकल के मामले मेधावी छात्रों और ईमानदार अभ्यर्थियों के लिए अन्याय का कारण बन रहे हैं। स्थानीय लोगों और छात्र संगठनों ने मांग की है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियम लागू किए जाएं और दोषियों को सजा दी जाए।

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परीक्षा प्रणाली में किन सुधारों की है जरूरत? 

इन घटनाओं ने छत्तीसगढ़ की एग्जाम सिस्टम में सुधार की तत्काल जरूरत को रेखांकित किया है। PWD और विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिए कि...
कड़ी निगरानी : एग्जाम सेंटर पर सीसीटीवी, जैमर, और बायोमेट्रिक सत्यापन जैसे उपाय लागू किए जाएं।
कठोर सजा : नकल करने वालों और सहायता करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
प्रशिक्षण : कक्ष निरीक्षकों और कर्मचारियों को नकल रोकने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाए।
तकनीकी सुरक्षा : हाईटेक नकल को रोकने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग बढ़ाया जाए।

नकल से परीक्षा प्रणाली की कमजोरियां उजागर 

बिलासपुर में सामने आए ये नकल के मामले एग्जाम सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करते हैं। चाहे वह सिविल इंजीनियर भर्ती एग्जाम में माइक्रोकैमरा और वॉकी-टॉकी का हाईटेक खेल हो या बीए एग्जाम में 22 छात्रों की सामूहिक नकल, ये घटनाएं शिक्षा और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग को और मजबूत करती हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाए जाएं ताकि मेधावी और ईमानदार अभ्यर्थियों का हक सुरक्षित रहे।

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