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रायपुर : छत्तीसगढ़ के मंत्रियों के इन दिनों बहुत चर्चे हो रहे हैं। मंत्रीजी की मेहरबानी से कॅरप्शन के जीरो टॉलरेंस से जीरो हट गया है यानी साहब खूब कमाई कर रहे हैं। एक माननीय जो जनता के सेवक हैं लेकिन रवैया बिल्कुल राजा जैसा है। एक मेडम जो पेशे तो प्रोफेसर हैं लेकिन 20 सालों से उन्होंने कोई क्लास नहीं ली लेकिन फिर भी ठाठ से चल रही है नौकरी। आखिर क्यों खुले घूम रहे हैं शराब घोटाले में शामिल अधिकारी। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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मंत्री मेहरबान तो साहब पहलवान
छत्तीसगढ़ का तकनीकी विश्वविद्यालय पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। आरोप हैं तो क्या हुआ हमारा कौन क्या बिगाड़ लेगा। क्योंकि हमारे सिर पर है प्रदेश के भारी भरकम मंत्रीजी का हाथ। मंत्री और उनके ओएसडी की साहब लोगों पर अपार कृपा बरस रही है। विश्वविद्यालय में पदस्थ सिंडिकेट पिछली भूपेश सरकार का खासमखास था लेकिन सरकार बदली तो इन्होंने भी पाला बदल लिया और बाकी सूटकेस जिंदाबाद तो है ही। पिछली सरकार के समय यूनिवर्सिटी में जिम्मेदार पद पर बैठे ससुर ने दामाद को बड़े पद का प्रभार दे दिया। बेटी को भी सरकार की अनुमति के बिना इस यूनिविर्सटी में अटैच कर दो तीन प्रभार दे दिए। अब परिवार मिलकर गोरखधंधा चला रहा है। शिकायत राज्यपाल महोदय को कई बार की जा चुकी है। लेकिन कोई भी जांच नहीं हुई केवल चिट्ठी चिट्ठी का खेल चल रहा है। अब मंत्रीजी मेहरबान होंगे तो साहब तो पहलवान होंगे ही।
हम माननीय हैं छाता लगाओ
एक तो विधायक और उस पर सत्ताधारी पार्टी के विधायक। है न गजब का कांबिनेशन। यदि सत्ताधारी पार्टी के विधायक हों और रसूखदार ना हों ये तो फिर शर्मिंदगी वाली बात हो गई। वैसे लोकतंत्र में जनता राजा होती है और नेता सेवक। लेकिन यह सिर्फ कहने सुनने की बातें हैं। बीजेपी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री की एक फोटो बहुत वायरल हो रही है। माननीय पेड़ लगाने पहुंचे थे। एक जमीन खोद रहा था, दूसरा पानी दे रहा था और नेताजी खड़े थे, यहां तक तो ठीक है लेकिन नेताजी को एक महिला पुलिस अधिकारी छाता लगाए हुए थी क्योंकि उनको धूप लग रही थी। महिला पुलिस अधिकारी भी छोटी मोटी नहीं थ्री स्टार अधिकारी थी। वाह रे लोकतंत्र और वाह रे जनता के सेवक।
प्रोफेसरी का काम,जलवे तमाम
एक तरफ तो सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त कर रही है तो दूसरी तरफ कुछ ऐसे हैं लोग हैं जो सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे। स्कूलों में टीचर नहीं हैं और मंत्रालय में इनकी फौज लगी हुई है। एक मेडम जिनका मूल पद भूगोल प्रोफेसर का है जो अब प्रमोशन पाकर प्राचार्य तक बन गई हैं। लेकिन इन्होंने अपना भूगोल अपने हिसाब से तय कर रखा है। ये उच्च शिक्षा विभाग में अटैच हैं और ओएसडी का प्रभार पिछले 10 सालों से संभाल रही हैं। इससे पहले वे नगरीय प्रशासन विभाग और ग्राम निवेश विभाग में भी पदस्थ रही हैं। वे पिछले 20 सालों से गैर शैक्षणिक कार्य कर रही हैं। वे एक कॉलेज की प्राचार्य हैं लेकिन काम प्रशासनिक कर रही हैं। अब उनकी शिकायत हुई है। लेकिन सरकार को नजर आए तब न कोई कार्यवाही होगी।
ये कैसा जीरो टॉलरेंस
इन दिनों छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक गलियारों में बड़ा सवाल तैर रहा है। सवाल तो ये है कि शराब घोटाले में लीन 29 आबकारी अफसर कब गिरफ्तार किए जाएँगे। प्रदेश में क्या किसी भी मामले में गिरफ़्तार होने का क्राइटीरिया अलग अलग है। जब शराब घोटाले की चार्जशीट में इनका नाम आ गया। सरकार ने सस्पेंड कर दिया। न्यायालय ने इन सरकारी कारिंदों की अग्रिम जमानत भी रद्द कर दी है फिर वो कौन लोग हैं जो इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजने से बचा रहे हैं। ये कैसा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस है जो घोटालेबाजों को खुली हवा में सांस लेने दे रहा है। आखिर इन पर मेहरबानी क्यों है।
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