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Photograph: (the sootr)
रेतीले धोरों वाले जैसलमेर के गोगदे गांव में महिलाओं ने अपनी बेटियों की शिक्षा के लिए संघर्ष शुरू कर दिया है। इस गांव में महिलाएं अभी भी परंपरागत मर्यादाओं में बंधी हुई हैं, लेकिन जब वे घूंघट ओढ़कर सड़क पर उतरती हैं, तो यह एक गहरी सामाजिक समस्या को दर्शाता है। हाल ही में दर्जनों महिलाएं सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करके विधायक छोटू सिंह भाटी के सरकारी आवास तक पहुंची और इससे पहले उन्होंने अपने स्कूल पर ताला जड़ दिया था। यह महिला आंदोलन बेटियों की शिक्षा के लिए है।
गोगदे गांव के स्कूल की स्थिति
गोगदे गांव का स्कूल फिलहाल केवल कक्षा 8 तक ही संचालित हो रहा है। वर्तमान में यहां 127 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें से 22 छात्राएं कक्षा 8 में हैं। हालांकि कक्षा 8 के छात्रों के लिए यह व्यवस्था सरकार के मानकों के अनुसार पूर्णतः उचित है। समस्या यह है कि विद्यालय के आसपास 14 किलोमीटर के दायरे में कोई उच्च माध्यमिक विद्यालय नहीं है। इससे गांव की बेटियां अपनी आगे की पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो रही हैं। माता-पिता को चिंता है कि लंबी दूरी तय करना न तो सुरक्षित है और ना ही व्यावहारिक।
महिलाओं का आंदोलन, विधायक से मुलाकात
महिलाओं ने अपनी इस गंभीर समस्या को लेकर विधायक छोटू सिंह भाटी से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। भावुक होकर उन्होंने कहा कि हमने अपनी बेटियों को स्कूल भेजने का सपना देखा था, लेकिन अब आगे की शिक्षा के लिए स्कूल नहीं है, तो वे कैसे पढ़ेंगी? महिलाओं ने यह भी बताया कि कक्षा 8 के बाद बेटियां घर के चूल्हे-चौके तक ही सीमित रह जाती हैं। उन्होंने विधायक से मांग की कि गोगदे विद्यालय को शीघ्र उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत किया जाए।
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ज्ञापन और आगे का संघर्ष
महिलाओं ने बाद में जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर भी ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि पूर्व में कई बार ज्ञापन दिए गए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं आया है। उनका कहना है कि सरकार बेटी पढ़ाओ की बात तो करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। शिक्षा का अधिकार सिर्फ नारे तक सीमित रह गया है। ग्रामीणों ने विधायक और जिला कलेक्टर को चेतावनी दी है कि अगर जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो वे आंदोलन को जिला मुख्यालय तक ले जाएंगे।
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