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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के देवभोग थाना क्षेत्र में बीते वर्ष रहस्यमयी तरीके से लापता हुई एक नाबालिग युवती अचानक अपने घर लौट आई है। यह वही मामला है जिसने अगस्त 2024 से अब तक पुलिस, परिजन और आदिवासी समाज को गहरी चिंता में डाला हुआ था। युवती के गायब होने के बाद पुलिस ने अपहरण और हत्या की आशंका जताते हुए गांव के एक युवक को हिरासत में लिया था और यहां तक कि श्मशान में कब्र तक खुदवाई गई थी। अब युवती का लौट आना पूरे प्रकरण को एक नया मोड़ दे रहा है।
बुआ के घर से हुई थी गायब
अगस्त 2024 में नाबालिग युवती ग्राम चलना पदर में अपनी बुआ के घर रह रही थी, जहां से वह अचानक लापता हो गई। परिवार द्वारा थाने में गुमशुदगी और अपहरण की शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद देवभोग पुलिस ने जांच शुरू की।
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फोन कॉल से खुला संदेह का सिरा
जांच के दौरान युवती की कॉल डिटेल खंगालने पर पता चला कि वह गांव के ही 40 वर्षीय लालधर गौड़ से लगातार संपर्क में थी। संदेह के आधार पर पुलिस ने उसे 31 जनवरी 2025 को हिरासत में लिया। पूछताछ में गोलमोल जवाब मिलने पर पुलिस को हत्या की आशंका हुई।
कब्र खुदी, मिला 10 साल पुराना कंकाल
लालधर की निशानदेही पर पुलिस ने गांव के श्मशान में एक कब्र खुदवाई, जिसे कार्यपालिक दंडाधिकारी की मौजूदगी में खोला गया। कब्र से एक कंकाल बरामद हुआ, लेकिन फॉरेंसिक जांच में पता चला कि यह कंकाल करीब 10 साल पुराना है और इस केस से कोई संबंध नहीं है। इसके बाद मामले की जांच ठंडी पड़ गई थी।
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मंगलवार की रात लौटी घर
मंगलवार रात वह युवती पुरनापानी स्थित कुरलापारा में अपने माता-पिता के पास अचानक पहुंच गई। परिजनों ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी। देवभोग थाना प्रभारी फैजुल होदा शाह ने बताया कि अब युवती बालिग हो चुकी है और उसका बयान बीएनएस धारा 183 के तहत न्यायालय में दर्ज कराया जाएगा।
बयान के बाद तय होगी कानूनी दिशा
पुलिस के अनुसार, युवती ने बताया कि वह इन 9 महीनों से बालोद जिले में अपने एक रिश्तेदार के घर रह रही थी। अब न्यायालय के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। यदि युवती के बयान से कोई आपराधिक तथ्य सामने आता है, तो उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी।
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थाने का घेराव और समाज की नाराजगी
इस मामले ने तब तूल पकड़ लिया जब पुलिस हिरासत में लिए गए लालधर गौड़ को लेकर आदिवासी समाज ने गंभीर आरोप लगाए। 27 मार्च को आदिवासी विकास परिषद के नेताओं लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम के नेतृत्व में देवभोग थाने का घेराव किया गया। आरोप था कि पुलिस ने लालधर को हिरासत में शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी, जिससे उसका एक पैर टूट गया।
अब जबकि युवती खुद सामने आ गई है, यह मामला गहराते सवालों के साथ एक नया मोड़ ले चुका है। क्या युवती अपनी मर्जी से गई थी? क्या लालधर गौड़ को झूठा फंसाया गया? क्या पुलिस की शुरुआती जांच में चूक हुई? इन सभी सवालों के जवाब अब न्यायालय और जांच एजेंसियों पर निर्भर हैं।
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