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जनता की जेब से सरकार टैक्स वसूलती है और इससे विधायकों को तमाम सुविधाएं देती है, ताकि वे बिना किसी तकलीफ के जनसेवा कर सकें। लाखों रुपए प्रति महीने की तमाम सुविधाएं फ्री में मिलने के बाद भी इन विधायकों की नीयत में खोट बना ही रहता है। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ में सामने आया है। यहां विधायक किराए के नाम पर हर महीने 30 रुपए ले रहे हैं। इसके बाद भी उन्होंने सर्किट हाउस में डेरा डाल रखा है यानी कब्जा कर रखा है। इसमें सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस, दाेनों पार्टियों के विधायक शामिल हैं। वहीं, पत्थलगांव की गोमती साय, तखतपुर के धर्मजीत सिंह और भरतपुर सोनहत की रेणुका सिंह विधानसभा से किराया नहीं लेतीं, लेकिन सर्किट हाउस में डेरा जमा रखा है।
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महज 250 रुपए रोज पर मिलता है कमरा
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार विधायकों को राजधानी में रुकने के लिए विधानसभा हर महीने 30 हजार रुपए किराया देती है। कोई विधायक अगर यह सुविधा नहीं लेता है तो उसे विधायक विश्राम गृह दिया जाता है। छत्तीसगढ़ के 90 में से 54 विधायकों ने किराए का विकल्प अपनाया है। वहीं, 2 एमएलए विधायक विश्राम गृह में रहते हैं। इनके अलावा 18 विधायकों ने अब तक दोनों से कोई विकल्प नहीं चुना है। इनके बाद शेष बचे मुख्यमंत्री और मंत्रियों को बंगले मिले हुए हैं।
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इसमें चौंकाने वाला खुलासा यह है कि 54 में से 8 विधायक ऐसे हैं, जो किराया लेने के बाद भी एक महीने से सर्किट हाउस में ठहरे हुए हैं। इसमें से 3 बीजेपी के और पांच विधायक कांग्रेस के शामिल हैं। इन सभी ने विधानसभा को किराएदारनामा दिया हुआ है। उल्लेखनीय है कि सर्किट हाउस में विधायकों को महज 250 रुपए रोज पर कमरा मिलता है।
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माननीय बना रहे अजीब बहाने
विधायक दीपेश साहू रूम नंबर 207 में रुके हुए हैं। उनका कहना है कि डेढ़ महीने से वे सर्किट हाउस नहीं गए, जबकि वहां के मैनेजर वेंकटेश का कहना है कि सत्र के दौरान वे बीच-बीच में आते हैं। उनके लिए कमरा नंबर 207 एक महीने से बुक है।
विधायक इंद्रशाह मंडावी का कहना है कि वे किराए के मकान में रहते हैं, जबकि वे सर्किट हाउस में रुके हुए थे। इसकी पुष्टि भी वहां के स्टाफ ने की है। उनके लिए रूम नंबर 502 बुक है।
अकलतला विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि उन्होंने रायपुर में किराए का मकान ले रखा है। वहां कुछ काम चल रहा है, इसलिए सर्किट हाउस में ठहरे हैं।
बेमेतरा विधायक दीपेश साहू का कहना है कि जब भी विधानसभा सत्र चलता है तो मैं सर्किट हाउस में रुकता हूं। किराए का मकान ले रखा है। जब बीच-बीच में आता हूं, तो वहां रुकता हूं।
डोंगरगढ़ विधायक हर्षिता स्वामी बघेल का कहना है कि किराए में मौसी लोग का घर है। अभी मम्मी साथ में हैं तो सर्किट हाउस में रुकी हैं। पीएसओ लोग आते हैं तो उनको किराए के घर में भेज देती हैं।
जांजगीर चांपा विधायक व्यास कश्यप का कहना है कि किराए का मकान ले रखा है। गनमैन, ड्राइवर और पीए सर्किट हाउस में रुकते हैं। वह कभी किराए के मकान में
रुकते हैं तो कभी सर्किट हाउस में ठहर जाते हैं।
खैरागढ़ विधायक यशोदा वर्मा का कहना है कि किराए का मकान थोड़ा दूर है, इसलिए विधायक विश्राम गृह में रुकी हैं।। कभी-कभी किराए के मकान में भी रुकती हैं। उनका कहना है कि वे अकेली रहती हैं, तो दूर से आने-जाने में परेशानी होती है।
मोहला मानपुर विधायक इंद्रशाह मंडावी का कहना है कि वे विधानसभा से किराया ले रहे हैं। सत्र शुरू हुआ था, तब से सर्किट हाउस में कमरा बुक कर रखा है। वहां स्टाफ वाले रहते हैं।
अभनपुर विधायक इंद्र कुमार साहू का कहना है कि वे गांव से आना-जाना करते हैं। एक परिचित हैं, उनके लिए कमरा बुक रखा है। वे भी वहां उठने-बैठने के लिए कभी-कभी चले जाते हैं।
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