छत्तीसगढ़ में पलायन रोकने मोदी ने दिए 5 हजार करोड़, 6 महीने में 24 हजार लोगों ने छोड़ा प्रदेश

पिछले छह महीने में यानी साल 2025 के जनवरी से जून तक 24 हजार लोग छत्तीसगढ़ छोड़ चुके हैं। इस सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक हर महीने 4 हजार लोग छत्तीसगढ़ छोड़ रहे हैं। इस दौरान 5 हजार करोड़ रुपए लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए ही खर्च किए गए हैं।

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Arun Tiwari
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Modi gave 5 thousand crores to stop migration the sootr
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रायपुर : छत्तीसगढ़ में पलायन बड़ी चुनौती है। रोजगार की तलाश में लोग बड़े पैमाने पर दूसरे राज्यों का रुख करते हैं। बड़ा गंभीर सवाल है कि क्या सरकार बदलने के बाद पलायन रुका है। द सूत्र के पास सबसे ताजा रिपोर्ट है। पिछले छह महीने में यानी साल 2025 के जनवरी से जून तक 24 हजार लोग छत्तीसगढ़ छोड़ चुके हैं।

इस सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक हर महीने 4 हजार लोग छत्तीसगढ़ छोड़ रहे हैं। ये हालात तब हैं कि जबकि इस दौरान पांच हजार करोड़ रुपए लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए ही खर्च किए गए हैं। यह फंड मनरेगा में रोजगार के लिए मोदी सरकार ने प्रदेश सरकार को दिया है। पलायन का सबसे बड़ा केंद्र जांजगीर चांपा और महासमुंद जिला है। यह सवाल नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा में भी उठाया है।  

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पलायन है कि रुकता नहीं 

छत्तीसगढ़ आदिवासी राज्य है और पलायन का बड़ा केंद्र भी है। प्रदेश की जमीन के अंदर अकूत खनिज संपदा है। यह जमीन बिजली के लिए कोयला तो उद्योगों के लिए लोहा उगलती है। यहां पर अंबानी,अडानी,बिड़ला,जिंदल और मित्तल जैसे बड़े बिजनेसमैन की इंडस्ट्री चलती हैं। लेकिन इसके बाद भी यहां पर पलायन है कि रुकता नहीं। यहां के लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख करते हैं। कोरोना के समय मजदूरों का पलायन एक बड़ी समस्या बनकर सामने आया था।

इसके बाद सरकारों ने इसको रोकने के लिए प्रयास भी शुरु किए। द सूत्र ने छत्तीसगढ़ में पलायन के हालातों पर पड़ताल की। द सूत्र के पास पलायन और उसको रोकने के लिए खर्च किए गए फंड की ताजा रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ से हर महीने चार हजार से ज्यादा लोग पलायन कर रहे हैं। 2025 के पिछले छह महीने में 24 हजार से ज्यादा लोग अपने प्रदेश को छोड़ चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा संख्या आदिवासियों की ही है। सबसे ज्यादा पलायन जांजगीर चांपा और महासमुंद जिले से हो रहा है। 

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6 महीनों में इन जिलों में इतना पलायन : 

जांजगीर चांपा - 8708
महासमुंद - 6424
बिलासपुर - 3491
कबीरधाम - 2524
मुंगेली - 1423
बलरामपुर - 688
सक्ती - 594
मोहेला मानपुर - 162
जशपुर - 86
कोरबा - 5 
कुल - 24105

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पलायन रोकने 5 हजार करोड़ खर्च 

24 हजार तो वो संख्या है जो सरकारी रिकॉर्ड में है। असल में पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। पलायन रोकने के लिए मोदी सरकार ने मनरेगा के लिए 5 हजार करोड़ से ज्यादा का फंड दिया है। यह फंड पूरा खर्च भी हो गया। सरकार ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि इस फंड के जरिए लाखों लोगों को रोजगार दिया है। 

- 2024-25 में मोदी सरकार ने मनरेगा के लिए 4102 करोड़ रुपए दिए। इसमें से महज 412 करोड़ बाकी हैं और सारे खर्च हो गए। 

- 2025-26 में जून के महीने तक 1447 करोड़ रुपए का फंड दिया गया। यह भी पूरा खर्च हो गया और सिर्फ 126 करोड़ रुपए ही बाकी बचे हैं।

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मनरेगा में इतने लोगों को दिया गया काम 

अब हम आपको मनरेगा की रिपोर्ट दिखाते हैं। इस रिपोर्ट में जनवरी से मई 2025 तक के जिलेवार रोजगार के आंकड़े दिए हुए हैं। हम इसमें आपको  
उन पांच जिलों के आंकड़े बताते हैं जहां पर सबसे ज्यादा पलायन है। 
इन जिलों में इतने लोगों को मिला काम : 
जांजगीर चांपा - 25 लाख लोग
महासमुंद - 16 लाख लोग
बिलासपुर - 30 लाख लोग
कबीरधाम - 24 लाख लोग
मुंगेली - 19 लाख लोग

यानी इतने लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार मिला है। मनरेगा में भ्रष्टाचार भी बड़ा मसला है। इन जिलों में डिप्टी सीएम विजय शर्मा का गृह जिला और वित्त मंत्री ओपी चौधरी का प्रभार वाला जिला भी शामिल है। पलायन रोकने के लिए सरकार बैठकें कर एक्सपर्ट की राय भी ले चुकी है। लेकिन सवाल यह है कि यह पलायन रुकेगा कैसे। सरकार यदि इसकी मॉनिटरिंग करेगी और कॅरप्शन के कीड़े को कुछ हद तक निकालपाने में सफल होगी तभी सुशासन के तहत कुछ काम बन सकता वर्ना यह पलायन इसी तरह सांय सांय होता रहेगा। 

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