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Nagar Nigam Election Result 2025 : छत्तीसगढ़ कांग्रेस अपने अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। कमाल की बात ये है कि यह बुरा दौर पिछले एक साल या यूं कहें कि 12 महीने के दौरान आया है। कांग्रेस के लिए यह चिंता से ज्यादा चिंतन की बात है कि उसने ऐसा कौन सा काम किया है कि उसे हार पर हार मिल रही है।
जनता ने सिर्फ कमल ही नहीं खिलाया है बल्कि हाथ पूरी तरह साफ कर दिया है। Congress को यह जरूर सोचना चाहिए कि उसने कौन सा काम किया कि जनता रूपी जनार्दन को हाथ साफ करना पड़ा। एक साल से Congress सिर्फ हार ही नहीं रही बल्कि मुकाबले में ही नजर नहीं आ रही। यह बीजेपी की जीत से ज्यादा कांग्रेस की करारी हार है।
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नॉन परफॉर्मर साबित हुई कांग्रेस
न कांग्रेस का संगठन और न ही कांग्रेस के वे नेता जो साल भर पहले सरकार में बैठे थे,वे भी परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं। सबसे पहले विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार मिली जबकि भूपेश बघेल दोबारा मु्ख्यमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारी कर रहे थे, उन्होंने नए कपड़े भी सिलवा लिए थे, लेकिन मुंह तक पहुंचने से पहले सत्ता का प्याला फूट गया और वे दोबारा घूंट नहीं ले पाए।
छह महीने बाद लोकसभा के चुनाव आए और कांग्रेस 11 सीटों में से बमुश्किल एक सीट ही जीत पाई। छह महीने पहले सरकार के मुखिया रहे भूपेश बघेल खुद चुनाव हार गए। तीसरा चुनाव रायपुर दक्षिण की विधानसभा सीट के उपचुनाव के रूप में आया, लेकिन यहां भी Congress ने पानी नहीं मांगा। अब नगरीय निकाय चुनाव की बारी थी। जिन दस नगर निगम में Congress का कब्जा था उन सभी में वो औंधे मुंह गिर गई। सवाल यही है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो 14 महीने में जनता का मन पूरे 180 डिग्री घूम गया।
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सबसे बड़ी बात तो ये है कि Congress में अब कोई ऐसा चेहरा नहीं बचा है जो जनता के बीच में खुद को साबित करते हुए उनको अपना सा नजर आता हो या उन पर अपना प्रभाव डाल पा रहा हो। कांग्रेस इन एक साल में हर मोर्चे पर फेल पर फेल होती जा रही है। Congress का सबसे बड़ा चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं। वे न अपनी सरकार दोबारा बनवा पाए और न ही खुद लोकसभा चुनाव जीत पाए। पीसीसी चीफ दीपक बैज अध्यक्ष जरुर हैं लेकिन वे सिर्फ नाम के अध्यक्ष बन कर रह गए।
वे ऐसे नॉन परफॉर्मर अध्यक्ष रहे कि सवा साल में अपनी कार्यकारिणी तक नहीं बना पाए। विधानसभा चुनाव लड़े तो हार गए और लोकसभा चुनाव में खुद की सीट पर टिकट तक हासिल नहीं कर पाए। उप मुख्यमंत्री रहे टीएस सिंहदेव कभी अगला चुनाव लड़ने तो कभी न लड़ने के अंतरद्वंद में ही जूझ हैं। कांग्रेस के प्रभारी सचिन पायलट भी पार्टी को उड़ान नहीं भरवा सके। इसकी का असर है कि Congress के नाराज कार्यकर्ता खुलेआम मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे।
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Chhattisgarh Congress का एक और मर्ज है जो रहता तो हमेशा है लेकिन वक्त-वक्त पर ज्यादा उभर आता है। Congress में पार्टी कम और गुट ज्यादा नजर आते हैं। एक दीपक बैज का गुट है, एक भूपेश बघेल का,एक टीएस सिंहदेव का तो एक चरणदास महंत का। जिस तरह संगम के पानी में सब धाराएं अलग अलग नजर आती हैं उसी तरह Congress में हमेशा ये गुट दिखाई देते हैं। इसका बुरा असर कांग्रेस के विधायकों और कार्यकर्ताओं पर पड़ता है।
भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव महीनों से जेल में बंद हैं, लेकिन Chhattisgarh Congress उनको जेल से बाहर नहीं ला पाई है। न दीपक बैज ने और न ही भूपेश बघेल की तरफ से यह कोशिश नजर आई। देवेंद्र यादव तो बाहर नहीं आ पाए और कवासी लखमा जेल चले गए। भूपेश सरकार में सीएम के करीबी और प्रभावी अफसर भी जेल में चक्की पीस रहे है। जनता पर ये असर पड़ा हो या न पड़ा हो, लेकिन बीजेपी ने अपने सुशासन का भोंपू बजाकर जनता को इन घोटालों का नाम जरुर रटवा दिया।
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बीजेपी ने यह चुनाव भी मोदी की गारंटी और विष्णु के सुशासन पर लड़ लिए। जबकि निकाय चुनाव तो सड़क,बिजली,पानी और स्थानीय समस्याओं पर लड़े जाते हैं। यह चुनाव बीजेपी के सुशासन पर मुहर का नहीं बल्कि Congress के खिलाफ वोट का रहा है। Chhattisgarh Congress ने चिंतन कर यदि अपनी कमजोरियों को नहीं सुधारा तो उसके वजूद के लिए जरुर संकट बढ़ जाएगा।