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Bastar. छत्तीसगढ़ समेत देश के नक्सल प्रभावित राज्यों में सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से नक्सली संगठन अब बौखला गया है। बस्तर में हो रहे लगातार एनकाउंटर, आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी से नक्सल नेटवर्क कमजोर पड़ा है। इसी बीच नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी (Central Committee) ने एक पत्र जारी कर 24 अक्टूबर को देशव्यापी बंद (Bharat Bandh) का ऐलान किया है।
नक्सल संगठन का दावा- फोर्स ने 700 लोगों की हत्या की
करीब दो पन्नों के इस पर्चे को नक्सली अभय के नाम से जारी किया गया है। इसमें लिखा है कि “साल 2022 से अब तक देशभर में चलाए गए नक्सल ऑपरेशनों में फोर्स ने हमारे 700 साथियों और आम नागरिकों की हत्या की है।”
पर्चे में प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री के उस बयान का भी जिक्र है, जिसमें कहा गया था कि “31 मार्च 2026 तक देशभर से नक्सलवाद का पूरी तरह अंत कर दिया जाएगा।”
नक्सलियों का आरोप है कि हाल के महीनों में कर्रेगुट्टा (बीजापुर), सुकमा, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और झारखंड जैसे इलाकों में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाए गए हैं, जिसमें उनके कई शीर्ष सदस्य मारे गए (Naxalites announce nationwide strike)।
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18 से 23 अक्टूबर तक ‘विरोध सप्ताह’ मना रहे नक्सली
पर्चे के मुताबिक, नक्सली संगठन ने पहले ही 18 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक ‘विरोध सप्ताह’ (Protest Week) मनाने का एलान किया था। अब इस विरोध का विस्तार करते हुए उन्होंने 24 अक्टूबर को भारत बंद का ऐलान किया है। नक्सलियों ने कहा है कि बंद के दौरान वे शांतिपूर्ण विरोध करेंगे, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने आशंका जताई है कि इस अवधि में हमले या हिंसा की कोशिशें भी हो सकती हैं।
संगठन को हुआ बड़ा नुकसान- कई शीर्ष नक्सली मारे गए
पर्चे में यह भी स्वीकार किया गया है कि पिछले साढ़े पांच महीनों में नक्सली संगठन को भारी नुकसान हुआ है।
केंद्रीय कमेटी के कई बड़े सदस्य — बालकृष्णा, चंद्रहासा, लोकेश, कट्टारामचंद्र रेड्डी, कडारी सत्यनारायण रेड्डी एनकाउंटर में मारे गए हैं। इसके अलावा कई SZC (State Zonal Committee), DKSZCM (Dandakaranya Special Zonal Committee), DVCM और ACM कैडर के सदस्य भी मारे या गिरफ्तार किए गए हैं।
सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर
नक्सलियों के बंद के एलान के बाद छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना और ओडिशा के नक्सल प्रभावित जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। CRPF, DRG, STF और BSF की टीमें संवेदनशील इलाकों में गश्त बढ़ा रही हैं। प्रशासन ने आम जनता से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
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नक्सल संगठन की चिंता- तेजी से घट रहा असर
विशेषज्ञों का मानना है कि बीते एक वर्ष में नक्सल आंदोलन अपने सबसे कमजोर दौर में है। बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण, सफल ऑपरेशन और बढ़ती विकास गतिविधियों ने नक्सलवाद को गहरी चोट पहुंचाई है। अब यह बंद एलान नक्सलियों की राजनीतिक उपस्थिति जताने की आखिरी कोशिश माना जा रहा है।
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