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छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की आक्रामक रणनीति और लगातार अभियानों ने नक्सली संगठनों को कमजोर कर दिया है। हाल ही में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ के जंगलों में हुए एक बड़े ऑपरेशन में कुख्यात नक्सल कमांडर नंबाला केशव राव उर्फ बसव राजू सहित 27 नक्सलियों को मार गिराया गया। इस घटना ने नक्सली संगठन को गहरा झटका दिया है। अब खबरें हैं कि दो अन्य प्रमुख नक्सली नेता, भूपति और हिड़मा, आत्मसमर्पण पर विचार कर सकते हैं। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि वे शीर्ष नक्सली नेताओं के साथ आत्मसमर्पण के लिए संपर्क में हैं।
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बसव की मौत नक्सलवाद के लिए बड़ा झटका
21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर, बीजापुर, और दंतेवाड़ा के संयुक्त क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने 'ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट' के तहत 42 घंटे तक चले एक बड़े अभियान में नक्सलियों के शीर्ष नेता बसव राजू को ढेर कर दिया। बसव राजू, जिसके सिर पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम था, नक्सली संगठन सीपीआई (माओवादी) का महासचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य था। वह 1970 के दशक से नक्सली आंदोलन से जुड़ा था और कई बड़े हमलों, जैसे 2003 के अलीपीरी बम हमले और 2004 के कोरापुट शस्त्रागार लूट का मास्टरमाइंड था। उसकी मौत को नक्सलवाद के खिलाफ भारत की 30 साल की लड़ाई में सबसे बड़ी सफलता माना जा रहा है।
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मुठभेड़ में दो जवान भी बलिदान
इस ऑपरेशन में 27 नक्सलियों के शव बरामद किए गए, जिनमें 12 महिला नक्सली भी शामिल थीं। मारे गए नक्सलियों पर कुल 12.33 करोड़ रुपये का इनाम था, जिसमें बसव राजू पर अकेले डेढ़ करोड़ रुपये का इनाम था। इस अभियान में सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार, जिसमें एके-47, एसएलआर, इंसास राइफलें, और रॉकेट लांचर शामिल थे, बरामद किए। हालांकि, इस मुठभेड़ में दो जवान भी बलिदान हो गए।
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नक्सली संगठन में हड़कंप, नेतृत्व संकट
बसव राजू की मौत के बाद नक्सली संगठन में नेतृत्व का संकट गहरा गया है। सूत्रों के अनुसार, संगठन के शीर्ष नेता गणपति के 2018 में अचानक गायब होने के बाद बसव राजू ने कमान संभाली थी। अब उनकी मौत ने संगठन को और कमजोर कर दिया है। बताया जा रहा है कि कोई भी नक्सली नेता संगठन की कमान संभालने को तैयार नहीं है, जिसे सुरक्षा बलों के खौफ और नक्सलवाद के कमजोर पड़ते भविष्य से जोड़ा जा रहा है।
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नक्सली संगठन पूरी तरह बिखर चुका : आईजी
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि नक्सली संगठन अब पूरी तरह बिखर चुका है। उन्होंने शीर्ष नक्सली नेताओं जैसे गणपति, देव जी, सोनू, हिड़मा, सुजाता, के. रामचंद्र रेड्डी, और बारसे देवा को आत्मसमर्पण की अंतिम चेतावनी दी। सुंदरराज ने स्पष्ट किया कि अगर ये नेता आत्मसमर्पण नहीं करते तो उनका अंत बसव राजू से भी भयावह होगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि बस्तर पुलिस के पास इन नेताओं के ठिकानों की पुख्ता जानकारी है और किसी भी समय निर्णायक कार्रवाई की जा सकती है।
भूपति और हिड़मा के आत्मसमर्पण की संभावना
नक्सली संगठन के दो प्रमुख कमांडर, भूपति और हिड़मा, अब सुरक्षा बलों के निशाने पर हैं। भूपति का प्रभाव क्षेत्र मुख्य रूप से महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और गोंदिया जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में है, जबकि हिड़मा छत्तीसगढ़ के बस्तर और सुकमा क्षेत्रों में सक्रिय है। हिड़मा को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) का प्रमुख माना जाता है और वह कई बड़े हमलों में शामिल रहा है। दोनों नेताओं के आत्मसमर्पण की संभावना ने नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान को और मजबूती दी है।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी का दावा
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने दावा किया है कि कई छोटे और बड़े नक्सली उनके संपर्क में हैं और अपनी जिंदगी बचाने के लिए आत्मसमर्पण करना चाहते हैं। इसी तरह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा है कि वे भूपति जैसे शीर्ष नक्सली नेताओं के साथ आत्मसमर्पण के लिए बातचीत कर रहे हैं। यह दावा नक्सलियों के कमजोर पड़ते मनोबल और सुरक्षा बलों की बढ़ती दबिश का संकेत देता है।
सुरक्षा बलों की रणनीति और सरकार की नीति
सुरक्षा बलों की रणनीति में हाल के वर्षों में काफी बदलाव आया है। छत्तीसगढ़ में डीआरजी (जिला रिजर्व गार्ड), बस्तर फाइटर, एसटीएफ, और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाइयों ने नक्सलियों के गढ़ अबूझमाड़ को भी चुनौती दी है। सरकार की 'नियद नेल्लानार' और 'लोन वर्राटू' योजनाओं के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास, स्किल डेवलपमेंट, मकान, और जमीन जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने की सराहना
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट की सफलता की सराहना करते हुए कहा कि पिछले कुछ महीनों में छत्तीसगढ़, तेलंगाना, और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 84 ने आत्मसमर्पण किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी इस अभियान को नक्सलवाद के खिलाफ ऐतिहासिक जीत बताया है। सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करना है।
नक्सलियों का कमजोर पड़ता आधार
पिछले 9 महीनों में बस्तर में 287 नक्सली मारे गए, 865 ने आत्मसमर्पण किया, और 830 को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों पर जोर दिया है, जिसमें 330 किलोमीटर सड़क निर्माण, 651 मोबाइल टावर, और स्कूल-बिजली जैसी सुविधाओं का विस्तार शामिल है। यह नीति न केवल नक्सलियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास के जरिए स्थानीय लोगों का विश्वास जीतने पर केंद्रित है।
क्षेत्र में स्थापित हो शांति
बसव राजू की मौत और भूपति व हिड़मा जैसे शीर्ष नेताओं के संभावित आत्मसमर्पण ने नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को नया बल दिया है। सुरक्षा बलों की आक्रामक रणनीति, खुफिया जानकारी, और सरकार की पुनर्वास योजनाओं ने नक्सली संगठन को कमजोर कर दिया है। बस्तर और महाराष्ट्र में नक्सलवाद का अंत अब दूर नहीं लगता। हालांकि, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का पुनर्वास प्रभावी ढंग से हो, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें और क्षेत्र में शांति स्थापित हो।
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