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छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। नक्सल संगठन को करारा झटका देते हुए, माओवादी संगठन की पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी ने एक प्रेस नोट जारी कर अपने सात शीर्ष कमांडरों के मारे जाने की पुष्टि की है। इस प्रेस नोट में सेंट्रल कमेटी सदस्य गौतम उर्फ सुधाकर और तेलंगाना स्टेट कमेटी के सदस्य भास्कर सहित सात माओवादियों के मारे जाने की बात स्वीकारी गई है। यह मुठभेड़ बीजापुर जिले के इंद्रावती नेशनल पार्क क्षेत्र में 5, 6 और 7 जून 2025 को हुई थी।
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इन मुठभेड़ों में बने निशाना
बीजापुर जिले के इंद्रावती नेशनल पार्क क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने तीन दिनों तक चले एक बड़े नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सात माओवादियों को ढेर किया। इस अभियान में जिला रिजर्व गार्ड (DRG), विशेष कार्य बल (STF), और कोबरा (CoBRA) की संयुक्त टीमों ने हिस्सा लिया। 5 जून को शुरू हुए इस ऑपरेशन में पहले दिन सेंट्रल कमेटी सदस्य गौतम उर्फ सुधाकर मारा गया, जिस पर एक करोड़ रुपये का इनाम था। सुधाकर को नक्सल संगठन का एक प्रमुख रणनीतिकार माना जाता था, जो कई बड़े हमलों में शामिल रहा था। अगले दिन, 6 जून को, तेलंगाना स्टेट कमेटी के SZC सदस्य भास्कर राव, जिस पर 45 लाख रुपये का इनाम था, सहित चार अन्य नक्सली मारे गए। 7 जून को दो और माओवादियों को ढेर किया गया। मुठभेड़ स्थल से सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किए, जिनमें एके-47 राइफल, इंसास राइफल, SLR, और अन्य स्वचालित हथियार शामिल हैं। इसके अलावा, विस्फोटक सामग्री, दस्तावेज, और माओवादियों के दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी जब्त की गईं।
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नक्सलियों का प्रेस नोट
पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी के सचिव मोहन ने प्रेस नोट जारी कर संगठन के सात शीर्ष नेताओं के मारे जाने की पुष्टि की। इस प्रेस नोट में मारे गए माओवादियों में सेंट्रल कमेटी सदस्य टेंटू लक्ष्मी नरसिम्हा चालम उर्फ गौतम (67 वर्ष), जो आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के प्रगदावरम गांव का निवासी था, और भास्कर राव का नाम शामिल है। यह पहली बार है जब नक्सल संगठन ने इतने बड़े पैमाने पर अपने शीर्ष नेताओं की हत्या को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है। प्रेस नोट में संगठन ने इस नुकसान को "बड़ा झटका" करार दिया और इसे सुरक्षाबलों की आक्रामक कार्रवाई का परिणाम बताया।
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सुरक्षाबलों की रणनीति और सफलता
इस ऑपरेशन की सफलता को केंद्रीय गृह मंत्रालय और छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सलवाद विरोधी नीति का हिस्सा माना जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में, सुरक्षाबलों ने बस्तर क्षेत्र में अपनी कार्रवाइयों को तेज कर दिया है। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया कि पिछले 17 महीनों में 409 हार्डकोर माओवादियों को ढेर किया गया है, और इस साल जनवरी 2024 से अब तक 257 नक्सली मारे जा चुके हैं। इसके अलावा, 861 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया और 789 ने आत्मसमर्पण किया है। सुरक्षाबलों ने इस अभियान में खुफिया जानकारी और आधुनिक तकनीक, जैसे ड्रोन, का उपयोग किया। माओवादियों के गढ़ माने जाने वाले सघन जंगलों और कठिन इलाकों में ऑपरेशन को अंजाम देना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन जवानों की रणनीतिक योजना और समन्वय ने इसे सफल बनाया।
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नक्सल संगठन पर प्रभाव
इस मुठभेड़ ने नक्सल संगठन की कमर तोड़ दी है। मारे गए सात नक्सलियों में से पांच की पहचान हो चुकी है, जिसमें गौतम उर्फ सुधाकर और भास्कर राव जैसे बड़े नेता शामिल हैं। सुधाकर नक्सल संगठन का तकनीकी विशेषज्ञ और रणनीतिकार था, जो संगठन के संचार और तकनीकी नेटवर्क को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। भास्कर राव तेलंगाना में नक्सल गतिविधियों का प्रमुख संचालक था। इन नेताओं के खात्मे से नक्सल संगठन में नेतृत्व का संकट गहरा गया है। बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि माओवादियों के पास अब केवल चार पोलित ब्यूरो सदस्य और 14 सेंट्रल कमेटी सदस्य बचे हैं, जो संगठन की कमजोर स्थिति को दर्शाता है।
सरकार और सुरक्षाबलों का रुख
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस सफलता पर सुरक्षाबलों की प्रशंसा की है। विजय शर्मा ने इसे नक्सलवाद के खिलाफ "सर्जिकल स्ट्राइक" करार दिया और कहा कि यह ऑपरेशन केंद्र और राज्य सरकार की "डबल इंजन" नीति का परिणाम है। उन्होंने माओवादियों को चेतावनी दी कि वे आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट आएं, वरना उनका अंत निश्चित है। केंद्र सरकार की नीति के तहत, बस्तर क्षेत्र में नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए हैं, और नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के लिए पुनर्वास योजनाएं भी लागू की गई हैं, जिसके तहत उन्हें आर्थिक सहायता और रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
नक्सलियों की स्थिति
यह मुठभेड़ नक्सल संगठन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि सेंट्रल कमेटी सदस्य जैसे शीर्ष नेताओं का खात्मा संगठन की संरचना और मनोबल को गहरा नुकसान पहुंचाता है। बस्तर में माओवादियों के खिलाफ लगातार कार्रवाइयों के कारण संगठन में भगदड़ की स्थिति है। सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों के पास अब सीमित संसाधन और नेतृत्व बचा है, और वे लगातार सुरक्षाबलों के रडार पर हैं।
संयुक्त प्रयासों से मिली सफलता
बीजापुर के नेशनल पार्क क्षेत्र में हुई इस मुठभेड़ ने नक्सलवाद के खिलाफ छत्तीसगढ़ में चल रहे अभियान की ताकत को दर्शाया है। सात शीर्ष नक्सली कमांडरों के मारे जाने की पुष्टि ने सुरक्षाबलों के हौसले को और बुलंद किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय और छत्तीसगढ़ सरकार के संयुक्त प्रयासों से नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने की दिशा में तेजी से प्रगति हो रही है। यह ऑपरेशन न केवल सुरक्षाबलों की रणनीतिक क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि नक्सलवाद का अंत अब निकट है।
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