छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर पिछले 15 दिनों से कर्रेगटटा की पहाड़ियों पर सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच चल रही मुठभेड़ के बीच नक्सलियों ने एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा की है। तेलुगु कैडर के नक्सल संगठन के प्रवक्ता जगन ने इस बावत एक प्रेस नोट जारी किया है। प्रेस नोट में युद्धविराम का ऐलान किया है। हालांकि सुरक्षाबलों या सरकार की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है कि उनकी ओर से भी अब कार्रवाई की जाएगी या नहीं।
प्रेस नोट तेलुगु में किया जारी
जगन ने तेलुगु में जारी प्रेस नोट में लिखा है कि तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी,पूर्व CM चंद्रशेखर राव और कविता ने भी शांति वार्ता के लिए पहल की थी। शांति वार्ता के लिए समिति भी बनाई गई। कई बुद्धिजीवी और मशहूर हस्तियां इसी मुद्दे पर अभियान चला रहे हैं। वार्ता राज्य और देश में लोकतांत्रिक माहौल लाने का प्रयास समझा जाना चाहिए। इन प्रयासों को सकारात्मक प्रभाव देने के लिए छह माह तक युद्धविराम की घोषणा कर रहे हैं।
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अब तक चार बार कर चुके हैं अपील
इससे पहले नक्सलियों ने सरकार से शांति वार्ता के लिए कुल 4 पत्र जारी किया गया। नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने दो बार और नक्सलियों के DKSZCM रूपेश ने दो बार पत्र जारी किया था। अब जगन के इस 5वें पत्र छह माह तक युद्धविराम की घोषणा करने की बात लिखी हुई है।
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चौतरफा घिरने के बाद बैकफुट पर नक्सली
माना जा रहा है कि सुरक्षाबलों के ऑपरेशन संकल्प में चौतरफा घिरने के बाद नक्सली बैकफुट पर हैं। उनके टॉप कमांडर और खूंखार नक्सली बुरी तरह घिरे हुए हैं। एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा नक्सलियों की रणनीति का हिस्सा हो सकती है। युद्ध विराम के बहाने उनके टॉप कमांडर और खूंखार नक्सली सुरक्षित निकल जाएंगे और नक्सलियों को खुद को भी मजबूत करने का मौका मिल जाएगा।
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आत्मसमर्पण की जगह युद्ध विराम संदेहजनक
महत्वपूर्ण बात यह है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त का संकल्प लिया है। साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि नक्सलियों के पास दो ही विकल्प हैं। पहले आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटे और दूसरा मरने के लिए तैयार रहें। नक्सलियों ने खुद ही दूसरा विकल्प चुना है। ऐसे में नक्सलियों का एकतरफा युद्ध विराम संदेहजनक है। उनके पास आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का विकल्प है। नक्सलियों का आत्मसमर्पण की जगह युद्ध विराम की घोषणा गले नहीं उतर रही है।
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