नक्सलियों ने की बसवराजू समेत 28 के मारे जाने की पुष्टि

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के अबूझमाड़ में मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ ऐतिहासिक सफलता हासिल की। इस ऑपरेशन में बसवराजू सहित 27 नक्सलियों को मार गिराया गया। नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने इसकी पुष्टि की।

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Krishna Kumar Sikander
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Naxalites confirmed the killing of 28 people including Basavaraju the sootr
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छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में 21 मई 2025 को हुई एक भीषण मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ ऐतिहासिक सफलता हासिल की। इस ऑपरेशन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव और देश के सबसे वांछित नक्सली नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू सहित 27 नक्सलियों को मार गिराया गया।

इस मुठभेड़ को नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है। नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी (DKSZC) के प्रवक्ता विकल्प ने एक प्रेस नोट जारी कर इस घटना में अपने 28 साथियों के मारे जाने की पुष्टि की, जिसमें बताया गया कि एक नक्सली का शव उनके साथी अपने साथ ले गए।

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ऐसे शुरू हुई थी मुठभेड़ 

नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव जिलों की डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) और अन्य सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम को खुफिया सूचना मिली थी कि बसवराजू कई वरिष्ठ नक्सली नेताओं के साथ नारायणपुर-बीजापुर-दंतेवाड़ा ट्राई-जंक्शन के अबूझमाड़ जंगल में मौजूद है। इस सूचना के आधार पर शुरू किए गए ‘ऑपरेशन कगार’ में सुरक्षा बलों ने 50 घंटे से अधिक समय तक चले अभियान में नक्सलियों को चारों ओर से घेर लिया।

बताया जाता है कि एक सरेंडर नक्सली की निशानदेही ने इस ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुठभेड़ के दौरान दोनों ओर से भारी गोलीबारी हुई। सुरक्षा बलों ने रणनीतिक और साहसिक कार्रवाई करते हुए नक्सलियों को भारी नुकसान पहुंचाया। इस ऑपरेशन में DRG का एक जवान शहीद हो गया, जबकि एक अन्य घायल हुआ।

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नक्सलियों का प्रेस नोट

मुठभेड़ के बाद, दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने एक प्रेस नोट जारी कर स्वीकार किया कि इस मुठभेड़ में उनके 28 साथी मारे गए। प्रेस नोट के अनुसार, पुलिस को 27 नक्सलियों के शव मिले, जबकि एक नक्सली का शव उनके साथी अपने साथ ले गए। इस प्रेस नोट में बसवराजू की मौत को नक्सली संगठन के लिए बड़ा झटका बताया गया।

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बसवराजू् था नक्सलियों का सबसे बड़ा नेता

नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू, जिसे कई अन्य नामों जैसे गगन्ना, प्रकाश, केशव, और कमलेश से भी जाना जाता था, नक्सली संगठन CPI (माओवादी) का महासचिव और सेंट्रल कमेटी व पोलित ब्यूरो का प्रमुख सदस्य था। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियान्नापेट गांव में 10 जुलाई 1955 को जन्मा बसवराजू ने वारंगल के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की डिग्री हासिल की थी।

वह 2018 से संगठन का नेतृत्व कर रहा था और 2010 के दंतेवाड़ा हमले (जिसमें 76 CRPF जवान शहीद हुए थे) और 2003 के अलीपीरी बम हमले का मास्टरमाइंड था। उस पर विभिन्न राज्यों में कुल 10 करोड़ रुपये का इनाम था, जिससे वह देश का सबसे वांछित नक्सली बन गया था।

बसवराजू छह फीट लंबा, शारीरिक रूप से फिट और AK-47 से लैस रहता था। वह तेलुगु, हिंदी, अंग्रेजी और गोंडी भाषा में धाराप्रवाह बोलता था और अपनी विशेष सशस्त्र इकाई ‘कंपनी 7’ के साथ अबूझमाड़ और एओबी जोनल कमेटी क्षेत्र में सक्रिय था।

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मारे गए अन्य नक्सली

मुठभेड़ में मारे गए 27 नक्सलियों में कई वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल थे, जिनमें जंगू नवीन उर्फ मधु (45 वर्ष), दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी का सदस्य, जिस पर 25 लाख रुपये का इनाम था। चार कंपनी पार्टी कमेटी सदस्य: संगीता (35), भूमिका (35), रोसन उर्फ टीपू, और सोमली (30), प्रत्येक पर 10 लाख रुपये का इनाम। शेष 21 नक्सली सक्रिय माओवादी कार्यकर्ता थे, जिनमें से प्रत्येक पर 8 लाख रुपये का इनाम था।

ऑपरेशन की सफलता और प्रभाव

इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किए, जिसमें बसवराजू के ठिकाने से एक डायरी भी मिली, जिसमें उसने अपने साथियों को DRG से बचने और छिपने की सलाह दी थी। DRG की मजबूत रणनीति और स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों की जानकारी ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया। DRG में स्थानीय युवा, सरेंडर नक्सली, और पीड़ित परिवारों के सदस्य शामिल हैं, जो नक्सलियों की गतिविधियों और क्षेत्र की भौगोलिकता से अच्छी तरह वाकिफ हैं। 
इस ऑपरेशन को भारत सरकार के 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे ‘राष्ट्रीय गौरव का क्षण’ करार दिया और कहा कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के बाद छत्तीसगढ़, तेलंगाना, और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 84 ने आत्मसमर्पण किया।

जश्न और श्रद्धांजलि

ऑपरेशन की सफलता के बाद DRG जवानों ने नारायणपुर में नाच-गाकर और रंग-गुलाल खेलकर जश्न मनाया। परिजनों ने जवानों की आरती उतारकर उनका स्वागत किया। हालांकि, इस मिशन में शहीद हुए जवान को श्रद्धांजलि दी गई और घायल जवान के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की गई। नारायणपुर मुठभेड़ नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक निर्णायक कदम है। यह ऑपरेशन न केवल सुरक्षा बलों की रणनीतिक सफलता को दर्शाता है, बल्कि नक्सलियों के मनोबल को तोड़ने में भी महत्वपूर्ण है। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत सरकार और सुरक्षा बल नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।

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