छिंदारी डैम के लिए 41 लाख के भुगतान के बावजूद अधूरे और घटिया कार्य

छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में पर्यटन विकास के नाम पर एक और भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। जलाशय को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए वन विभाग को 41 लाख रुपये की स्वीकृति मिली थी, लेकिन भारी अनियमितताओं और सरकारी धन के दुरुपयोग की पोल खोल दी।

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Krishna Kumar Sikander
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Despite payment of Rs 41 lakh for Chhindari Dam, incomplete and poor quality work the sootr
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छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में पर्यटन विकास के नाम पर एक और भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा के नेतृत्व में ‘मिशन संडे’ की टीम ने छिंदारी गांव के रानी रश्मि देवी सिंह जलाशय का निरीक्षण किया। इस जलाशय को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए वन विभाग को 41 लाख रुपये की स्वीकृति मिली थी, लेकिन मौके पर स्थिति ने भारी अनियमितताओं और सरकारी धन के दुरुपयोग की पोल खोल दी।

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निरीक्षण में खुलासा: अधूरे कार्य, घटिया गुणवत्ता

‘मिशन संडे’ की जांच में पाया गया कि अधिकांश कार्य या तो अधूरे हैं या बेहद खराब गुणवत्ता के साथ किए गए हैं। किचन शेड, मचान, कुर्सियां और अन्य व्यवस्थाएं सस्ती सामग्री जैसे बांस और कमजोर लकड़ियों से बनाई गई हैं, जो टिकाऊ नहीं हैं। हैरानी की बात यह है कि अधूरे और निम्नस्तरीय कार्यों के लिए वन विभाग ने 41 लाख रुपये का पूरा भुगतान कर दिया है। ग्रामीणों ने भी गुस्सा जाहिर करते हुए बताया कि विकास के नाम पर केवल खानापूर्ति हुई है और कागजों में कार्य पूर्ण दिखाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है।

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स्वीकृत कार्यों की स्थिति  

स्थल समतलीकरण : अधूरा  

किचन शेड : बांस और सस्ती लकड़ी से घटिया निर्माण  

बोर खनन : स्थिति अस्पष्ट  

टेंट-मचान : अधूरे और खराब गुणवत्ता  

सोलर लाइटिंग : अनुपस्थित  

बोटिंग व्यवस्था : नहीं के बराबर  

सौंदर्यीकरण : नगण्य  

कुर्सियां और बैठने की व्यवस्था: सस्ती सामग्री, टिकाऊपन का अभाव

टीम का अनुमान है कि वास्तविक लागत 10-12 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए थी, लेकिन कागजों में 41 लाख रुपये खर्च दिखाए गए हैं।

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विधायक ने जताई नाराजगी, कार्रवाई की मांग

निरीक्षण के बाद विधायक यशोदा वर्मा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जनहित की योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब 41 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं, तो कार्य अधूरे क्यों हैं? उन्होंने इस मामले को विधानसभा में उठाने और वन मंत्री से सोशल ऑडिट की मांग करने की घोषणा की।

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फर्जी कोटेशन का आरोप

मिशन संडे के संयोजक मनराखन देवांगन ने कहा कि परियोजना की लागत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक नए एनजीओ को फर्जी कोटेशन के जरिए लाखों रुपये का लाभ पहुंचाया गया है। उन्होंने इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की।

यह मामला केवल एक परियोजना की विफलता नहीं, बल्कि सरकारी योजनाओं के प्रति गंभीर लापरवाही का प्रतीक है। यदि ऐसे मामलों पर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो जनहित की योजनाएं कागजों तक सीमित रह जाएंगी और जनता का प्रशासन पर विश्वास और कमजोर होगा।

 

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