छत्तीसगढ़ में नक्सली इस्तेमाल कर रहे हाई-टेक हथियार, ड्रोन से निगरानी, सुकमा में बरामदगी ने बढ़ाई चिंता

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में अब नक्सली तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, खासकर सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नज़र रखने और हमलों की योजना बनाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। सुकमा जिले के जंगलों से एक ड्रोन बरामद हुआ है।

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Krishna Kumar Sikander
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Naxalites are using high tech weapons in Chhattisgarh the sootr
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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों ने अब तकनीक का सहारा लेना शुरू कर दिया है। सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखने और हमलों की योजना बनाने के लिए नक्सली ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। सुकमा जिले के जंगलों से एक ड्रोन बरामद होने के बाद इस बात की पुष्टि हुई है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से मिले खुफिया इनपुट के आधार पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस खतरे का खुलासा किया है। सुरक्षा बलों को निर्देश दिया गया है कि संदिग्ध ड्रोन दिखने पर उसे तत्काल मार गिराया जाए। NIA की जांच से यह भी सामने आया है कि नक्सलियों के पास करीब 10 ड्रोन हो सकते हैं, जिन्हें संचालित करने के लिए उन्होंने विशेष प्रशिक्षण लिया है।

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सुकमा के जंगल में ड्रोन बरामद

23 फरवरी 2025 को सुकमा जिले के गुंडराजगुडेम जंगल में सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस ने नक्सलियों के ठिकाने से एक ड्रोन बरामद किया। सुकमा की पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मुखबिर की सूचना के आधार पर डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने छापेमारी की।

इस दौरान नक्सलियों की दैनिक उपयोग की सामग्री के साथ-साथ एक ड्रोन और उसके कुछ हिस्से मिले। यह पहली बार है जब छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के पास से ड्रोन बरामद हुआ है, हालांकि पहले भी 2019, 2020 और 2023 में जंगलों में संदिग्ध ड्रोन देखे जाने की खबरें सामने आ चुकी थीं, जिनकी पुष्टि नहीं हुई थी।

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ड्रोन की क्षमता और सीमाएं

पुलिस द्वारा बरामद ड्रोन की रेंज 3 किलोमीटर तक है और यह मुख्य रूप से फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी के लिए इस्तेमाल होने वाला सामान्य ड्रोन है। इसकी कोई सामान (जैसे दवा, बारूद या बम) ले जाने की क्षमता नहीं है। फिर भी, इस ड्रोन का उपयोग नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा रहा था। सुकमा पुलिस का कहना है कि इस तरह के ड्रोन का इस्तेमाल नक्सलियों की रणनीति को और खतरनाक बना सकता है, क्योंकि इससे वे जवानों की सटीक लोकेशन और मूवमेंट की जानकारी जुटा सकते हैं।

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NIA खुफिया इनपुट और ड्रोन सप्लाई का नेटवर्क

जून 2024 में NIA ने छत्तीसगढ़ पुलिस को खुफिया जानकारी दी थी कि ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। यह इनपुट तेलंगाना पुलिस द्वारा तीन माओवादी सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद मिला। इनमें से एक आरोपी बीजापुर, छत्तीसगढ़ का रहने वाला था। NIA की जांच में पता चला कि इन आरोपियों ने तेलंगाना, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को ड्रोन की आपूर्ति की थी।

इसके अलावा, 29 जून 2024 को दिल्ली में NIA ने मथुरा के विशाल सिंह नामक एक आरोपी को गिरफ्तार किया, जिसने सात साल से नक्सलियों को ड्रोन सप्लाई करने और उनके संचालन की ट्रेनिंग देने की बात कबूल की। विशाल ने बिहार के छकरबंदा-पचरुखिया वन क्षेत्र में CPI (माओवादी) के उत्तरी क्षेत्र ब्यूरो (NRB) को ड्रोन उपलब्ध कराए थे।

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NIA की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि नक्सलियों के पास कुल 10 ड्रोन होने की संभावना है, जिन्हें संचालित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण लिया गया है। अगस्त 2024 में NIA ने हरियाणा और पंजाब में CPI (माओवादी) की इकाई के प्रमुख अजय सिंघल उर्फ अमन को भी गिरफ्तार किया था।

इसके अतिरिक्त, 2013 में बेंगलुरु की एक निजी कंपनी से जुड़े कुछ व्यक्तियों को नाइट विजन डिवाइस सप्लाई करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। ये सभी घटनाएं नक्सलियों की उस साजिश का हिस्सा हैं, जिसके तहत वे उत्तरी भारत में अपनी कमजोर होती पकड़ को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

पहले भी थी ड्रोन की आशंका

नक्सलियों द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल की खबरें 2018 से सामने आ रही थीं, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि फरवरी 2025 में सुकमा में ड्रोन बरामद होने के बाद ही हुई। 2019 में केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संदिग्ध ड्रोन देखे जाने पर उन्हें मार गिराने के निर्देश जारी किए थे। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि माओवादी ड्रोन का उपयोग न केवल निगरानी के लिए कर रहे हैं, बल्कि भविष्य में इनका इस्तेमाल हथियार या विस्फोटक ले जाने के लिए भी हो सकता है, जो सुरक्षा बलों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

NIA की जांच और भविष्य की रणनीति

NIA इस मामले की गहन जांच कर रही है। विशाल सिंह के डिजिटल उपकरणों और डेटा की जांच से नक्सलियों की रणनीतियों और उनके नेटवर्क का खुलासा होने की उम्मीद है। NIA यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ये ड्रोन नक्सलियों की किस कमेटी के पास हैं और इनका उपयोग कहां-कहां हो रहा है। सुकमा पुलिस ने ड्रोन की संख्या और अन्य इनपुट के बारे में सुरक्षा कारणों से खुलासा करने से इनकार किया है।

बस्तर में नक्सलियों पर कड़ा प्रहार

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। 1 जनवरी 2024 से जून 2025 तक बस्तर संभाग में 426 से अधिक नक्सली मुठभेड़ों में मारे गए हैं, जिनमें 217 नक्सली 2024 में और 200 से अधिक 2025 के पहले छह महीनों में ढेर हुए। इनमें CPI (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी के चार सदस्य, स्टेट कमेटी के 16 सदस्य और 136 महिला नक्सली शामिल हैं।

दंडकारण्य क्षेत्र में 281 नक्सलियों का सफाया हुआ है। इसके अलावा, 787 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 789 ने आत्मसमर्पण किया है।नक्सलियों के लिए बढ़ता खतरासुकमा में ड्रोन की बरामदगी और NIA की जांच से यह साफ है कि नक्सली अपनी रणनीति को तकनीकी रूप से उन्नत करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, सुरक्षा बलों ने भी ड्रोन कैमरों का उपयोग शुरू कर दिया है, जिससे नक्सलियों की लोकेशन का पता लगाने में मदद मिली है।

सुकमा और बीजापुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सभी पुलिस कैंपों में ड्रोन उपलब्ध कराए गए हैं, जो सर्च ऑपरेशन और क्षेत्र की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस तकनीकी जंग में सुरक्षा बलों की बढ़त नक्सलियों के लिए बड़ा झटका साबित हो रही है।

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