बंद हो गई नक्सलियों की दादागिरी... अब नहीं करते ग्रामीणों से वसूली

नक्सल मुक्त अभियान की दिशा में जहां छत्तीसगढ़ में सबसे पहले सुकमा जिले का बड़े सट्टी गांव नक्सल मुक्त हुआ तो वहीं अब बस्तर के दूसरे जिलों में भी नक्सल मुक्त गांव की तरफ बढ़ रहे हैं।

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Kanak Durga Jha
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Naxals hooliganism stopped do not extort money from villagers the sootr
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नक्सल मुक्त अभियान की दिशा में जहां छत्तीसगढ़ में सबसे पहले सुकमा जिले का बड़े सट्टी गांव नक्सल मुक्त हुआ तो वहीं अब बस्तर के दूसरे जिलों में भी नक्सल मुक्त गांव की तरफ बढ़ रहे हैं। दंतेवाड़ा में भी पुलिस अब इसी दिशा में काम कर रही है। जिले में वैसे तो 1 साल से सबसे मजबूत एरिया कमेटी मलांगिर और कटेकल्याण एरिया कमेटी में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना नहीं मिल रही है, इस बीच 3 हत्या की वारदात जिले में जरूर हुई। 

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दंतेवाड़ा में अब बंद हाे गई वसूली

सबसे पहले पोटाली गांव में पूर्व जनपद सदस्य, इसके बाद ककाड़ी गांव में 1 युवक की हत्या हुई और फिर पंचायत चुनाव के दौरान अरनपुर में सरपंच पद के प्रत्याशी की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। इन हत्याओं में किस दलम के नक्सली शामिल थे यह भी स्पष्टु नहीं हो पाया। दंतेवाड़ा में हथियारबंद नक्सलियों की संख्या 7 से 8 के बीच है जबकि मिलिशिया सदस्यों की संख्या 100 से अधिक है। एसपी गौरव राय ने बताया दंतेवाड़ा में जो नक्सली हथियार वाले हैं तो एरिया छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हैं।

 

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एसपी ने बताया बचे हुए नक्सलियों की सूची अपडेट की जा रही है, जो नक्सली जिले में हैं उनको चिन्हांकित किया जा चुका है। नक्सलियों के पास अभी भी समय है आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट आएं। नक्सलियों के पूर्वी बस्तर एरिया में हथियारबंद नक्सलियों की संख्या अधिकः वैसे तो दंतेवाड़ा में नक्सलियों की मौजूदगी अब नहीं है पर इंद्रावती के पार का हिस्सा भी दंतेवाड़ा के हिस्से में है, ये पूर्वी बस्तर का क्षेत्र है जहां 45 से 50 के बीच हथियारबंद नक्सली है। 

मिलिशिया सदस्यों की संख्या 100 के करीब 

जिले में हथियारबंद नक्सली जहां एरिया छोड़ चुके हैं तो वहीं पुलिस की लिस्ट में 100 के करीब मिलिशिया सदस्य भी हैं, जिनसे पुलिस के द्वारा समर्पण की अपील भी की जा रही है। जिले में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभवित क्षेत्र बुरगुम, गादम, नहाड़ी, रेवाली है अब इन गांवों को भी सड़क से जोड़ने में सफलता मिल गई है। 

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गांवों से नक्सलियों को अब नहीं मिल रहा चंदा 

जिले के नक्सल प्रभावित गांवों में नक्सलियों ने गांवों में अलग-अलग रेट तय कर रखे थे, ट्रैक्टर, पिकअप रखने वालों को पैसा देना पड़ता था। घरों से भी रसद के लिए पैसा देना पड़ता था, पर 1 साल से जिले के अरनपुर क्षेत्र में चंदा देने का क्रम बंद हो गया है। पहले अरनपुर गांव से चंदा बंद हुआ था अब धरि-धीरे सभी गांवों से बंद हो रहा है।

FAQ

दंतेवाड़ा जिले में अब नक्सलियों की स्थिति क्या है?
दंतेवाड़ा जिले में अब हथियारबंद नक्सलियों की संख्या केवल 7 से 8 के बीच है, जबकि मिलिशिया सदस्यों की संख्या लगभग 100 है। पुलिस का कहना है कि ज़्यादातर हथियारबंद नक्सली अब जिले से बाहर शिफ्ट हो चुके हैं।
नक्सल प्रभावित गांवों में चंदा वसूली पर क्या असर पड़ा है?
अब जिले के नक्सल प्रभावित गांवों में नक्सलियों द्वारा की जाने वाली चंदा वसूली लगभग बंद हो गई है, विशेषकर अरनपुर क्षेत्र से इसकी शुरुआत हुई और अब यह अन्य गांवों में भी बंद हो रहा है।
पिछले एक साल में दंतेवाड़ा में किन-किन क्षेत्रों को सड़क से जोड़ा गया है?
बुरगुम, गादम, नहाड़ी और रेवाली जैसे नक्सल प्रभावित गांवों को अब सड़क से जोड़ने में सफलता मिल गई है।

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