बस्तर में नक्सलियों से लोहा ले रहे कमांडो ने पास की UPSC की परीक्षा

बस्तर के चांदामेटा गांव में अपनी पहली पदस्थापना के दौरान राजू ने जब यह देखा कि क्षेत्र के स्कूलों को नक्सलियों ने ढहा दिया है और गांव में कोई स्कूल नहीं है। इसके बाद उन्होंने कैंप में ही बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।

author-image
Kanak Durga Jha
New Update
Commando fighting Naxalites Bastar passed UPSC exam the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नक्सलियों ने स्कूल तोड़े तो सुरक्षा कैंप को ही पाठशाला बनाकर बच्चों को अक्षर ज्ञान देने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडो राजू बाघ ने लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा 871वीं रैंक के साथ उत्तीर्ण कर ली है।

ये खबर भी पढ़िए...बीजेपी पार्षद भिलाई स्टील प्लांट से तांबे का तार चोरी करते पकड़ा

राजू के गांव में कोई स्कूल नहीं

बस्तर के चांदामेटा गांव में अपनी पहली पदस्थापना के दौरान राजू ने जब यह देखा कि क्षेत्र के स्कूलों को नक्सलियों ने ढहा दिया है और गांव में कोई स्कूल नहीं है। इसके बाद उन्होंने कैंप में ही बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, जिससे प्रेरित होकर बस्तर के कई सुरक्षा कैंपों में सुरक्षा बल ने बच्चों को शिक्षा देने की पहल शुरू की और इससे बस्तर के ग्रामीणों का भरोसा जीतने में सुरक्षा बल को सफलता मिली। 

तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सीमा पर करेंगुट्टा की पहाड़ी पर पिछरते चार दिन से चल रहे हिड़मा समेत शीर्ष नक्सलियों के विरुद्ध अब तक के सबसे बड़ा अभियान का हिस्सा कमांडो राजू भी हैं। उन्होंने बताया कि वे सोमवार अभियान के लिए निकल ही रहे थे, तभी उन्हें जानकारी मिली कि उनका चयन यूपीएससी में हुआ है।

ये खबर भी पढ़िए...रेलवे के चीफ इंजीनियर को CBI ने 32 लाख रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया

अभी उनकी टुकड़ी मुठभेड़ स्थल से लगभग सात किमी की दूरी पर है। अपनी टीम के साथ चार दिन से जंगल में ही रुके हुए हैं। इस समय दोपहर का तापमान लगभग 42 डिग्री है और गर्म हवाएं भी चुनौतियां बढ़ा रही हैं। वे कहते हैं, इस समय कर्तव्य प्रथम है। अभियान से लौटने के बाद मित्रों और परिवार के साथ परीक्षा में चयन होने की खुशी मनाएंगे। 


आइएएस से प्रेरणा, पत्नी के साथ ने दिलाई सफलता 

राजू कहते हैं कि चांदामेटा में कैप स्थापना के दौरान तत्कालीन कलेक्टर चंदन कुमार से मिले तो आइएएस बनकर देश सेवा में योगदान देने की प्रेरणा मिली। डेढ़ वर्ष पहले स्कूल की कनिष्ठ पूर्णिमा से उनका विवाह हुआ। जो वर्षा में मुख्य नगरपालिका अधिकारी है।

विवाह पश्चात वापस कर्तव्य पच पर लौटे, पत्नी से अपने मन की बात कही। इस पर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए प्रोत्साहित किया। साथ देने खुद भी पढ़ाई शुरू की। परीक्षा में पूर्णिमा को सफलता नहीं मिली, पर राजू पहले ही प्रयास में सफल रहे। यद्यपि ये कहते हैं कि आइएएस बनने के लिए यह पर्याप्त रैंकिग नहीं है, पर आगे भी प्रयास करते रहेंगे। 

ये खबर भी पढ़िए...सीजी के अफसर महान, नान घोटाला करने वालों का खुद ही कर दिया कल्याण

FAQ

राजू बाघ ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत क्यों की?
राजू बाघ ने देखा कि नक्सलियों ने क्षेत्र के स्कूलों को तोड़ दिया है और गांव में कोई स्कूल नहीं है, इसलिए उन्होंने अपने कैंप को ही पाठशाला बनाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।
राजू बाघ को यूपीएससी की परीक्षा में सफलता की प्रेरणा किससे मिली?
राजू बाघ को चांदामेटा में पदस्थापना के दौरान तत्कालीन कलेक्टर चंदन कुमार से मिलकर आइएएस बनने की प्रेरणा मिली।
राजू बाघ की यूपीएससी की तैयारी में उनकी पत्नी पूर्णिमा की क्या भूमिका रही?
राजू बाघ की पत्नी पूर्णिमा ने उन्हें यूपीएससी की तैयारी के लिए प्रोत्साहित किया और साथ देने के लिए खुद भी पढ़ाई शुरू की, हालांकि उन्हें इस बार सफलता नहीं मिली।

 

ये खबर भी पढ़िए...रेलवे के चीफ इंजीनियर को CBI ने 32 लाख रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया

UPSC | Chhattisgarh UPSC result | IAS | Bastar News in Hindi | Bastar News | छत्तीसगढ़ बस्तर न्यूज | यूपीएससी के रिजल्ट

यूपीएससी के रिजल्ट यूपीएससी छत्तीसगढ़ बस्तर न्यूज Bastar News Bastar News in Hindi IAS Chhattisgarh UPSC result UPSC