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रायपुर नगर निगम ने राजस्व बढ़ाने के लिए नया कदम उठाया है। अब शहर और इसके बाहरी क्षेत्रों में खाली पड़े डायवर्टेड प्लॉट्स के मालिकों से टैक्स यानी कर वसूला जाएगा। यह निर्णय 13 जून को आयोजित राजस्व प्रशिक्षण शिविर में लिया गया, जिसमें महापौर मीनल चौबे, सभापति सूर्यकांत राठौड़ और आयुक्त विश्वदीप मौजूद थे।
शिविर में महापौर ने माना कि निगम की आय बढ़ाने के लिए नए स्रोतों पर ध्यान देना जरूरी है। बीते वित्तीय वर्ष में निगम का राजस्व 300 करोड़ रुपये तक नहीं पहुंच पाया था। हालांकि, विधानसभा और नगरीय निकाय चुनावों की व्यस्तता को देखते हुए सरकार ने कर जमा करने की अंतिम तारीख को अप्रैल तक बढ़ाया था, जिससे राजस्व 300 करोड़ रुपये को पार कर गया।
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70,000 प्रॉपर्टी पर नहीं हो सकी टैक्स वसूली
नगर निगम की 3.25 लाख प्रॉपर्टी में से 70,000 प्रॉपर्टी पर टैक्स वसूली नहीं हो सकी। इनमें 20,000 प्रॉपर्टी केंद्र-राज्य सरकार और धार्मिक संस्थानों की हैं, जिनसे केवल पेयजल टैक्स लिया जाता है। राजस्व विभाग ने पहली बार शेष 50,000 प्रॉपर्टी को टैक्स के दायरे में लाने के लिए अपनी टैक्स वसूली टीम को प्रशिक्षण दिया। इस बावत राजस्व उपायुक्त डॉ. अंजलि शर्मा ने कहा कि कर्मचारियों को समय-समय पर प्रशिक्षित करना जरूरी है।
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डायवर्सन की तारीख से टैक्स गणना
शहर में खाली प्लॉट्स की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, और जमीन का खरीद-फरोख्त एक बड़ा व्यवसाय बन गया है। इसलिए, निगम ने खाली प्लॉट्स पर कर वसूली को सख्त करने का फैसला किया है। कर की गणना डायवर्सन की तारीख से होगी, न कि रजिस्ट्री की तारीख से, क्योंकि डायवर्सन के बाद ही जमीन की कीमत में वृद्धि होती है। इसके लिए निगम अगले दो महीनों में सर्वे शुरू करेगा।
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50 करोड़ अतिरिक्त राजस्व की उम्मीद
अधिकारियों का अनुमान है कि खाली प्लॉट्स से कर वसूली से निगम को कम से कम 50 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। इसके लिए जिला प्रशासन के राजस्व विभाग से सहयोग लिया जाएगा ताकि प्लॉट मालिकों की सटीक पहचान हो सके। निगम सभी 70 वार्डों में पटवारी हल्का नंबर और राजस्व रिकॉर्ड का डेटा तैयार करने में जुट गया है।
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कृषि भूमि पर निर्माण तो छूट नहीं
अब कृषि भूमि के नाम पर कर से छूट नहीं मिलेगी। यदि निगम क्षेत्र की कृषि भूमि पर दो कमरे का मकान, हॉल, गोडाउन या व्यावसायिक वाहनों की पार्किंग पाई गई, तो वह इसके दायरे में आएगी। हालांकि, यदि भूमि पर वास्तव में कृषि उपज हो रही है, तो उससे कर नहीं लिया जाएगा। यह कदम निगम की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और शहर के विकास के लिए संसाधन जुटाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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