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छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत कार्यरत 16,000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने स्वास्थ्य सेवाओं को गंभीर संकट में डाल दिया है। नियमितीकरण सहित 10 सूत्रीय मांगों को लेकर 18 अगस्त से शुरू हुई इस हड़ताल के खिलाफ अब प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है।
NHM आयुक्त सह मिशन संचालक ने सभी हड़ताली कर्मचारियों को 24 घंटे के भीतर कार्यस्थल पर लौटने का अंतिम अल्टीमेटम जारी किया है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि अनुपालन न करने पर सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी।
दूसरी ओर, NHM संविदा कर्मचारी संघ ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा। इस बीच, मितानिन दीदियों ने भी अपनी मांगों को लेकर 4 सितंबर को मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने की चेतावनी दी है।
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10 सूत्रीय मांगें और अनसुनी गुहार
NHM के संविदा कर्मचारी पिछले दो दशकों से नियमितीकरण, ग्रेड पे निर्धारण, 27% लंबित वेतन वृद्धि, पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना, अनुकंपा नियुक्ति, और न्यूनतम 10 लाख रुपये का कैशलेस चिकित्सा बीमा जैसी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने कोविड-19 महामारी सहित हर आपातकालीन स्थिति में अपनी जिम्मेदारी निभाई, लेकिन सरकार ने उनकी मूलभूत सुविधाओं को अनदेखा किया। NHM कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने कहा, "हमने 160 से अधिक ज्ञापन सरकार को सौंपे, रैलियां निकालीं, और प्रदर्शन किए, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब हमारी मजबूरी है कि हम हड़ताल पर हैं।"
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'नो वर्क, नो पे' और सेवा समाप्ति की चेतावनी
स्वास्थ्य विभाग ने हड़ताल को "लोकहित के विरुद्ध और अनुचित" करार देते हुए सभी जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHO) को निर्देश जारी किए हैं कि वे अनुपस्थित कर्मचारियों का विवरण जमा करें और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करें।
NHM आयुक्त ने कहा कि कार्यकारिणी समिति की बैठक में सक्षम स्तर पर निर्णय लिया गया है, और हड़ताली कर्मचारियों को 24 घंटे के भीतर ड्यूटी जॉइन करने का अंतिम मौका दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने भी सख्ती दिखाते हुए कहा, "संविदा कर्मचारियों को काम नहीं करने पर वेतन नहीं मिलेगा। यह लंबा अंतराल नहीं चलेगा।"
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हड़ताल में कर्मचारी की हार्ट अटैक से मौत
हड़ताल के बीच एक दुखद घटना ने सभी का ध्यान खींचा। जगदलपुर में हड़ताल में शामिल NHM ब्लॉक अकाउंट मैनेजर बीएस मरकाम की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। वे 12 दिनों से लगातार धरने पर थे। इस घटना ने कर्मचारियों के बीच शोक की लहर पैदा कर दी, और साथियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। यह घटना हड़ताली कर्मचारियों की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर पड़ रहे दबाव को दर्शाती है।
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टीकाकरण और आपातकालीन सेवाएं ठप
हड़ताल के कारण प्रदेशभर में स्वास्थ्य सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं। SNCU (विशेष नवजात देखभाल इकाई), ब्लड बैंक, लैब सेवाएं, और जननी सुरक्षा व शिशु सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम लगभग ठप हो गए हैं। बिलासपुर के CMHO डॉ. शुभा गारेवाल ने दावा किया कि नियमित कर्मचारियों के जरिए टीकाकरण कार्यक्रम जारी है।
लेकिन कर्मचारी संघ के महासचिव कौशलेश तिवारी ने कहा कि टीकाकरण कार्य "लगभग बंद" हो चुका है। नारायणपुर और अबूझमाड़ जैसे सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह NHM कर्मचारियों पर निर्भर हैं, और हड़ताल के कारण मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।
CM हाउस घेराव की चेतावनी
NHM कर्मचारियों की हड़ताल के साथ-साथ मितानिन दीदियां भी अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आई हैं। सोमवार को रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मितानिनों ने ऐलान किया कि यदि उनकी तीन सूत्रीय मांगें—मानदेय वृद्धि, नियमितीकरण, और सामाजिक सुरक्षा पूरा नहीं हुईं, तो 4 सितंबर को 75,000 से अधिक मितानिनें राजधानी में जुटकर मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगी। मितानिनों का कहना है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं, लेकिन उनकी मेहनत का उचित सम्मान नहीं मिल रहा।
कर्मचारियों की मजबूरी, "न आटा है, न दाल है"
हड़ताल के 13वें दिन बालोद जिला मुख्यालय में एक मासूम बच्ची की तस्वीर ने सभी का ध्यान खींचा, जिसके हाथ में तख्ती थी: "न आटा है, न दाल है, घर का बुरा हाल है, संविदा ने बिगाड़ा हाल है।" यह दृश्य कर्मचारियों और उनके परिवारों की आर्थिक तंगी को दर्शाता है। कर्मचारियों का कहना है कि कम वेतन, असुरक्षा, और नियमित कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित होने के कारण उन्हें हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा।
सरकार और कर्मचारियों के बीच तनातनी
NHM कर्मचारियों ने सरकार पर 2023 के विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया है। कर्मचारियों का कहना है कि बीजेपी ने नियमितीकरण का वादा किया था, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। दूसरी ओर, सरकार का तर्क है कि NHM कर्मचारी केंद्र सरकार के अधीन हैं, जिसके कारण राज्य स्तर पर निर्णय लेना जटिल है। कर्मचारियों ने साफ कहा है कि वे मौखिक आश्वासनों पर भरोसा नहीं करेंगे और लिखित आदेश के बिना हड़ताल खत्म नहीं करेंगे।
स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती
NHM कर्मचारियों की हड़ताल और मितानिनों का प्रस्तावित आंदोलन छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बन गया है। सांसद विजय बघेल ने कर्मचारियों की मांगों को जायज ठहराते हुए सरकार से वादों को पूरा करने की अपील की है। लेकिन सरकार के सख्त रुख और सेवा समाप्ति की चेतावनी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और कर्मचारी किसी सहमति पर पहुंच पाएंगे, या यह गतिरोध और गहराएगा, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा।
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