नहीं ये यमुना नहीं छत्तीसगढ़ की आगर नदी है.... नदी में झाग ही झाग

दूर से देखने पर यह नजारा किसी फोम पार्टी या “जमीन पर उतरे बादल” की तरह लगता है। लेकिन असलियत इससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। स्थानीय लोग और पर्यावरण विशेषज्ञ इसे महज इत्तेफाक नहीं, बल्कि नदी में बढ़ते प्रदूषण का साफ संकेत मान रहे हैं।

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Kanak Durga Jha
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No this is not Yamuna but Agar river Chhattisgarh
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छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में इन दिनों आगर नदी पर बना खर्राघाट स्टॉपडेम सोशल मीडिया पर सुर्खियों में है। यहां नदी में झाग की मोटी सफेद चादर फैल गई है। दूर से देखने पर यह नजारा किसी फोम पार्टी या “जमीन पर उतरे बादल” की तरह लगता है। लेकिन असलियत इससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। स्थानीय लोग और पर्यावरण विशेषज्ञ इसे महज इत्तेफाक नहीं, बल्कि नदी में बढ़ते प्रदूषण का साफ संकेत मान रहे हैं।

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मुंगेली में रासायनिक खतरा

एक तरफ स्टॉपडेम में पानी का शांत बहाव, तो दूसरी ओर जलकुंभी की हरियाली और यह झाग, जिसने इलाके को सेल्फी स्पॉट में बदल दिया है बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं बड़ी संख्या में इसे देखने पहुंच रहे हैंलेकिन बेहद कम लोग समझ पा रहे हैं कि यह नजारा एक चेतावनी भी हैविशेषज्ञों के मुताबिक, नदी में इतने झाग का बनना सामान्य प्रक्रिया नहीं होती

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यह अक्सर केमिकलयुक्त नाले, डिटर्जेंट, फॉस्फेट या किसी फैक्ट्री के अपशिष्ट जल के सीधे नदी में मिल जाने का नतीजा हो सकता है इसके अलावा, जलकुंभी की अधिकता भी पानी में ऑक्सीजन की कमी और जैव असंतुलन की ओर इशारा कर रही है

सोशल मीडिया पर वायरल, हकीकत में खतरनाक

खर्राघाट स्टॉपडेम के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही हैं लोग इसे “नदियों में जमी हुई बर्फ” जैसा बता रहे हैं पर सच्चाई यह है कि यह सुंदरता सिर्फ देखने भर की है झाग असल में नदी के बिगड़ते स्वास्थ्य का सबूत हैस्थानीय निवासी बताते हैं कि “हर साल बारिश होती है, लेकिन ऐसा झाग हमने कभी नहीं देखा ये सुंदर तो लग रहा है, लेकिन डरावना भी है

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FAQ

आगर नदी के खर्राघाट स्टॉपडेम में झाग क्यों बन गया है और यह कितना खतरनाक है?
खर्राघाट स्टॉपडेम में झाग बनने की वजह रासायनिक प्रदूषण है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह झाग संभवतः केमिकलयुक्त नालों, डिटर्जेंट, फॉस्फेट या फैक्ट्री के अपशिष्ट जल के सीधे नदी में बहने से बना है। यह नजारा दिखने में आकर्षक जरूर है, लेकिन नदी के बिगड़ते पारिस्थितिक संतुलन और खतरे के संकेत को दर्शाता है।
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों की इस झाग को लेकर क्या राय है?
स्थानीय लोग इसे पहले कभी न देखे गए दृश्य के रूप में देख रहे हैं, जो डरावना भी है और आकर्षक भी। वहीं पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी मात्रा में झाग का बनना प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि गंभीर जल प्रदूषण का संकेत है। यह घटना पानी में ऑक्सीजन की कमी, जैव असंतुलन और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
क्या सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें और वीडियो इस मुद्दे को सही रूप में दिखा रहे हैं?
सोशल मीडिया पर आगर नदी के झाग वाले दृश्य को “बर्फ जैसी सुंदरता” या “फोम पार्टी” बताया जा रहा है, लेकिन यह केवल सतही आकलन है। असलियत में यह एक चेतावनी है, जो नदी के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय संकट की ओर इशारा करती है। यह वायरल दृश्य दिखने में सुंदर जरूर है, लेकिन इसके पीछे का कारण गंभीर रूप से खतरनाक है।

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