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छत्तीसगढ़ में योग के नाम पर मजाक चल रहा है। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर प्रदेश भर में आयोजन होता है। जिसमें तमाम नेता, मंत्री, विधायक और सांसद जनों ने इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया में अपलोड करते हैं। पत्र पत्रिकाओं और टीवी चैनल में भी उसे छापने-चलाने के लिए अनुरोध किया जाता है। साल 2024 में आयोजन पर 8 करोड़ 72 लाख 50 हजार रुपए खर्च किए गए। साल 2025 में इससे भी ज्यादा खर्च हुआ है। आयोजन का उद्देश्य लोगों में इसके प्रति जागरुकता लाना और स्वस्थ रखना बताया जाता है, जबकि हकीकत में जागरूक करने वाला आयोग अपने प्रशिक्षकों को ही 18 महीने से से मानदेय नहीं दे रहा है। प्रशिक्षक बता रहे हैं कि वे जब मानदेय की बात करते हैं तो फाइल चलने की बात कह कर उन्हें टाल दिया जाता है।
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बिना ट्रैक सूट VIP's नहीं करने आते योग
साल 2024 के आंकड़ों के मुताबिक 8 करोड़ 72 लाख 50 हजार रुपए खर्च हुए। जिसमे टेंट पांडाल, नाश्ता, टी-शर्ट में के अलावा ट्रैकसूट पर खर्च होता है। ट्रैकसूट आयोजन में आने वाले नेता, मंत्री, विधायक, सांसद के अलावा IAS-IPS के अलावा अन्य VIP's के लिए होते हैं। बताया जा रहा है कि एक ट्रैक सूट की कीमत लगभग 5000 रुपए के आसपास होती है। आयोजन के एक दिन पहले 500 VIP's के घर रात को ट्रैकसूट पहुंचा दिए जाते हैं, जिसे यह सुबह पहन कर आयोजन स्थल पर आते है। अगर VIP's को ट्रैकसूट नहीं मिलता तो आयोजन में नहीं पहुंचते। इसी आंकड़े को माने तो लगभग ट्रैकसूट पर ही 25 लाख खर्च कर दिए गए हैं।
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2 करोड़ अनुमानित खर्च
समाज कल्याण विभाग की माने तो हर साल के लिए दिवस मनाने के लिए दो करोड़ का ही बजट ही आवंटित है। उसके बावजूद खर्च 8-9 करोड़ रुपए किया जा रहा। समाज कल्याण विभाग इसके लिए पैसे भी जारी कर देता है।
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18 महीनों से नहीं दे रहे मानदेय
शासन जिस तरह से दिवस मना कर लोगों को जागरूक करने का दावा करता है यह महज एक दिखावा ही है क्योंकि जिन प्रशिक्षकों पर असली में लोगों को सिखाने और जागरूक करने का जिम्मा है उन्हें ही 18 महीना से मानदेय नहीं दे रही। ऐसे में वह नाराज है कई बार उन्होंने आयोग से मानदेय देने की गुहार लगाई है। लेकिन, हर बार केवल फाइल चलने का बहाना कर इन्हें वापस कर दिया जाता है।
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2014 से मनाया जा रहा दिवस
दिवस की शुरुआत साल 2014 में हुई थी। जिसके बाद छत्तीसगढ़ में आयोग के गठन का प्रस्ताव तैयार हुआ। कोरोना के दौरान जब लोगों का रुझान बढ़ा तो आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा ने प्रदेश भर में 70 प्रशिक्षकों को नियुक्त किया। इन्हें बाकायदा ट्रेनिंग भी दी गई। 8 हजार रुपया महीना मानदेय भी तय किया गया। प्रशिक्षकों का कहना है कि अगर आयोग का यही रवैया रहा तो वह आयोग से जुड़कर सिखाना बंद कर देंगे।
खर्च में भी सन्देह
अंतरराष्ट्रीय दिवस के दिन टेंट, नाश्ता और टी शर्ट का भी वितरण होना बताया जाता है लेकिन इन खर्च का हिसाब निकाला जाय तो 200 रु प्रति टीशर्ट की दर से 5000 टी शर्ट की कीमत 10 लाख रुपए, टेंट पर खर्च 1 करोड़ रुपए वहीं नाश्ते पर अधिकतम खर्च 20 लाख रुपए भी मान ले तो भी ट्रैक शूट मिलाकर यह राशि 1 करोड़ 55 लाख रुपए ही होती है।
विभाग के खर्च हमेशा से विवादों में
वैसे तो यह समाज कल्याण विभाग हमेशा से विवादों में रह है। नियुक्ति से लेकर आयोजन तक के कई मामले कोर्ट तक भी पहुंचे हैं। आयोग का भी संचालन इसी विभाग के द्वारा होता है। ऐसे में सन्देह नहीं है कि इस दिवस को मनाने में गड़बड़ी हो रही हो।
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