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छत्तीसगढ़ में खेल और खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए शुरू किए गए खेल अवॉर्ड एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। खेल और युवा कल्याण विभाग ने वर्ष 2023 और 2024 के लिए 76 खिलाड़ियों और कोचों की अंतरिम सूची जारी की थी, लेकिन इसमें से 64 नामों पर आपत्तियां दर्ज की गई हैं। आधे से ज्यादा नामों पर सवाल उठने से चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। खिलाड़ी और खेल संगठन इस सूची को लेकर नाराज हैं, और 31 अगस्त 2025 को होने वाली निर्णयन समिति की बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हैं। सवाल यह है कि क्या यह बैठक खिलाड़ियों की नाराजगी को शांत कर पाएगी, या खेल अवॉर्ड का यह विवाद और गहराएगा?
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विवाद का केंद्र वीर हनुमान सिंह अवॉर्ड
प्रतिष्ठित वीर हनुमान सिंह अवॉर्ड विवादों का कारण है। यह विवाद प्रत्येक वर्ष होता है। यह अवार्डकोचों को दिया जाता है। इस बार भी वही स्थिति है। इस बार सूची में किकबॉक्सिंग के कोच तारकेशमिश्रा का नाम शामिल किया गया, जिस पर कयाकिंग-केनोइंग के कोच अशोक साहू ने तीखी आपत्ति जताई है। साहू का कहना है कि किकबॉक्सिंग को छत्तीसगढ़ में मान्यता मिले अभी पांच साल भी पूरे नहीं हुए हैं, जबकि कयाकिंग-केनोइंग ने लगातार राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ के लिए पदक जीते हैं। फिर भी, उनकी दावेदारी को नजरअंदाज किया गया। साहू ने तंज कसते हुए कहा, "पिछले साल भी मेरी दावेदारी को टेबल से गायब कर दिया गया था। क्या यह चयन प्रक्रिया सिर्फ दिखावा है?"
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पदक जीता, अवॉर्ड में ठगा गया
महासमुंद के हैंडबॉल खिलाड़ी मनीष चंद्राकर ने भी चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया कि 2023 के राष्ट्रीय खेलों में उनकी टीम ने कांस्य पदक जीता था, और खिलाड़ियों को नगद पुरस्कार भी दिया गया। लेकिन जब अवॉर्ड की बारी आई, तो खेल विभाग ने हैंडबॉल की मान्यता को लेकर सवाल उठाते हुए उनके नाम को सूची से बाहर कर दिया। उनकी यह शिकायत चयन प्रक्रिया में पक्षपात और असमानता के आरोपों को और हवा दे रही है।
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टीम गेम्स में एक से ज्यादा नाम नियमों की अनदेखी?
टीम गेम्स में खिलाड़ियों के चयन को लेकर भी विवाद गहराया है। अंतरिम सूची में नेटबॉल से अपूर्व यदु और राजेश राठौर, जबकि सॉफ्टबॉल से भूपेंद्र कुमार गढ़े का नाम शामिल किया गया है। खेल जगत में यह सवाल उठ रहा है कि जब नियम के अनुसार टीम गेम्स में एक ही खिलाड़ी को अवॉर्ड दिया जा सकता है, तो एक ही खेल से कई नामों को कैसे शामिल किया गया? यह मामला चयन समिति की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है और नियमों की अनदेखी की ओर इशारा करता है।
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पैरा तीरंदाजों की अनदेखी
पैरा तीरंदाजी को लेकर सर्वाधिक गंभीर आपत्ति है। छत्तीसगढ़ तीरंदाजी संघ के पदाधिकारी कैलाश मुरारका के मुताबिक, साल 2023 और 24 में पैरा तीरंदाजों ने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते, लेकिन उनकी उपलब्धियों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। मुरारका ने गुस्से में पूछा, "क्या दिव्यांग खिलाड़ियों की मेहनत और उपलब्धियां खेल विभाग के लिए कोई मायने नहीं रखतीं? यह उनके साथ घोर अन्याय है।" पैरा खिलाड़ियों की इस उपेक्षा ने खेल विभाग की संवेदनशीलता पर भी सवाल उठाए हैं।
चयन प्रक्रिया पर सवालों का सैलाब
इस विवाद ने खेल विभाग की चयन प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा कर दिया है। खिलाड़ियों और खेल संगठनों ने कई गंभीर सवाल उठाए हैं।
76 में से 64 नामों पर आपत्ति : जब इतनी बड़ी संख्या में नामों पर सवाल उठ रहे हैं, तो क्या चयन प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है?
वीर हनुमान सिंह अवॉर्ड का बार-बार विवाद : हर साल इस अवॉर्ड को लेकर बवाल क्यों मचता है? क्या चयन में कोई सुनियोजित पक्षपात हो रहा है?
पदक विजेताओं की अनदेखी : राष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ी अवॉर्ड से वंचित क्यों रह जाते हैं?
पैरा खिलाड़ियों की उपेक्षा :दिव्यांग खिलाड़ियों की उपलब्धियों को लगातार नजरअंदाज करने का जिम्मेदार कौन है?
टीम गेम्स में नियमों का उल्लंघन : एक ही खेल से कई खिलाड़ियों को नामित करने का आधार क्या है?
पारदर्शिता की मांग
यह विवाद छत्तीसगढ़ के खेल जगत में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि खेल अवॉर्ड जैसी सम्मान प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए।
पारदर्शी चयन मानदंड : अवॉर्ड के लिए स्पष्ट औरमापदंड निर्धारित किए जाएं, जिन्हें सार्वजनिक किया जाए।
आपत्तियों के लिए खुला मंच : खिलाड़ियों को अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए एक ऑनलाइन और समयबद्ध प्रक्रिया शुरू की जाए।
स्वतंत्र समिति : चयन प्रक्रिया में पक्षपात के आरोपों को कम करने के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन हो।
पैरा खिलाड़ियों के लिए विशेष श्रेणी :दिव्यांग खिलाड़ियों की उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए अलग से श्रेणी बनाई जाए।
खेल विभाग की चुप्पी और भविष्य
खेल और युवा कल्याण विभाग ने अभी तक इन आपत्तियों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। 31 अगस्त को होने वाली निर्णयन समिति की बैठक में इन आपत्तियों पर विचार किया जाएगा, लेकिन खिलाड़ियों का गुस्सा और अविश्वास चरम पर है। कई खिलाड़ियों का कहना है कि अगर उनकी शिकायतों का समाधान नहीं हुआ, तो वे विरोध प्रदर्शन या कानूनी रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
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