PHE सब इंजीनियर भर्ती में आरक्षण रोस्टर विवाद, हाईकोर्ट ने तीन अफसरों को किया तलब

पीएचई में सब इंजीनियर भर्ती को लेकर आरक्षण रोस्टर पालन न करने का मामला हाई कोर्ट पहुंचा है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन का आरोप लगाया है, जिस पर कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है।

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Harrison Masih
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CG PHE recruitment dispute: छत्तीसगढ़ के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) की सब इंजीनियर (सिविल) भर्ती एक नए विवाद में फंस गई है। याचिकाकर्ता रश्मि वाकरे ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि विभाग ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया। मामला जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की सिंगल बेंच में सुनवाई के लिए आया, जिसमें अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के सचिव और पीएचई सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही, अनुसूचित जनजाति (ST) महिला संवर्ग में होने वाली नियुक्ति को फिलहाल अपने अधीन रख लिया है।

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क्या है पूरा मामला? 

मार्च 2025 में पीएचई विभाग ने सब इंजीनियर (सिविल) के 118 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया। इनमें 102 सामान्य पद और बैकलॉग पद शामिल नहीं थे। विज्ञापन में 52 पद अनारक्षित, 15 SC, 20 ST और 15% OBC के लिए आरक्षित रखे गए। याचिकाकर्ता का आरोप है कि यह आरक्षण प्रतिशत 29 नवंबर 2012 के संशोधित रोस्टर और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है।

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याचिकाकर्ता का पक्ष

रश्मि वाकरे, जो ST वर्ग की उम्मीदवार हैं, का कहना है कि 2012 के संशोधन के अनुसार ST वर्ग के लिए 32% आरक्षण लागू होना चाहिए, लेकिन पीएचई ने केवल 20% ही दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट आदेश दिया था कि नियुक्तियां 29 नवंबर 2012 के आरक्षण रोस्टर के अनुसार होंगी, जब तक अंतिम आदेश न आ जाए। सामान्य प्रशासन विभाग ने 3 मई 2023 को सभी विभागों को पत्र जारी कर पालन का निर्देश दिया था, लेकिन पीएचई ने इसे नजरअंदाज किया। इस गलती के कारण वह चयन प्रक्रिया में आगे नहीं बढ़ पाईं।

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कोर्ट में पेश दलीलें

अधिवक्ता संदीप दुबे ने अदालत को बताया कि आरक्षण प्रतिशत में की गई यह कटौती सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। अन्य विभाग जैसे लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग और लोक सेवा आयोग, ST वर्ग को 32% आरक्षण का लाभ दे रहे हैं।

लेकिन पीएचई ने अपने अलग मापदंड बनाकर SC, ST और OBC के लिए तय प्रतिशत घटा दिया।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

19 सितंबर 2022 को हाई कोर्ट ने जिला स्तरीय आरक्षण व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किया था। राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और SLP दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में कहा कि नियुक्तियां 29 नवंबर 2012 के रोस्टर के अनुसार होंगी और यह उल्लेख भी होगा कि ये नियुक्तियां अंतिम आदेश के अधीन रहेंगी।

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PHE भर्ती विवाद

पीएचई भर्ती में आरक्षण विवाद से जुड़ी अहम बातें

  • याचिका दायर – रश्मि वाकरे ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।

  • आरोप – पीएचई विभाग पर आरक्षण रोस्टर का पालन न करने और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप।

  • कोर्ट का रुख – हाई कोर्ट ने चीफ सिकरेट्री और संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।

  • आरक्षण विवाद – एसटी वर्ग को 32% आरक्षण की जगह केवल 20% दिया गया।

  • मामले की निगरानी – भर्ती प्रक्रिया अब कोर्ट की निगरानी में रहेगी।

आरक्षण रोस्टर विवाद

कोर्ट की मौजूदा कार्यवाही

हाई कोर्ट ने मामले में मुख्य सचिव, GAD सचिव और पीएचई सचिव को नोटिस जारी किया है। जवाब मिलने तक ST महिला संवर्ग में भर्ती प्रक्रिया रोक दी गई है। अगली सुनवाई में यह तय होगा कि भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी या उसमें संशोधन करना होगा।

FAQ

पीएचई सब इंजीनियर भर्ती विवाद क्या है?
यह विवाद अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए तय 32% आरक्षण का पालन न करने को लेकर है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि पीएचई विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और राज्य सरकार के सर्कुलर के बावजूद केवल 20% आरक्षण लागू किया।
मामले में कोर्ट ने क्या कदम उठाया है?
हाई कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में अनुसूचित जनजाति महिला संवर्ग से जुड़ी नियुक्ति को अपने अधीन रखते हुए राज्य सरकार, सामान्य प्रशासन विभाग और पीएचई विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में क्या आदेश है?
सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर 2012 के आरक्षण रोस्टर के अनुसार भर्ती प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया था और सभी नियुक्तियों को अंतिम आदेश के अधीन रखने को कहा था।

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