सरकार को रास आई सिर्फ कॉल मी की सर्विस, ढाई साल में लेबर में दिए 60 करोड़ से ज्यादा के वर्कर

छत्तीसगढ़ में कॉल मी सर्विसेस नाम की प्लेसमेंट एजेंसी की सर्विस सरकार को खूब रास आ रही है। शिकायतें मिलने के बाद भी राज्य सरकार ने बीते ढाई सालों में इसी एजेंसी को करीब 61 करोड़ रुपये का भुगतान किया। ये भुगतान अकेले श्रम विभाग का है।

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Arun Tiwari
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रायपुर। सरकार और ठेकेदारों के गठजोड़ के सिस्टम में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो वाकई में कमाल करते हैं। ऐसे ही कमाल की एजेंसी के बारे में हम आपको बता रहे हैं। छत्तीसगढ़ में सरकारी प्लेसमेंट एजेंसी के चयन को लेकर बड़ा सवाल उठ रहा है। कॉल मी सर्विसेस नाम की प्लेसमेंट एजेंसी की सर्विस सरकार को खूब रास आ रही है। शिकायतें मिलने के बाद भी राज्य सरकार ने बीते ढाई सालों में इसी एजेंसी को करीब 61 करोड़ रुपये का भुगतान किया। ये भुगतान अकेले श्रम विभाग का है,जहां सरकारी निर्माण कार्यों के लिए वर्कर की जरुरत होती है।

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द सूत्र ने सरकारी दस्तावेजों की पड़ताल इसलिए की क्योंकि कॉल मी को काम देने के बारे में हाल ही में हुए विधानसभा सत्र में वरिष्ठ नेता अजय चंद्राकर और धर्मलाल कौशिक ने सवाल उठाए थे। इसमें क्वालिटी सर्विस का मुद्दा इसलिए नहीं है क्योंकि श्रम विभाग को काम के लिए क्वालिफाइड लोग नहीं बल्कि वर्कर चाहिए थे। सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों और सपोर्ट स्टाफ के लिए लगातार इसी एजेंसी से सेवाएं ली जा रही हैं। जबकि इस एजेंसी पर कार्य की गुणवत्ता, समय पर भुगतान न करना, और कर्मचारियों के शोषण जैसे आरोप दर्ज हैं। 

60 करोड़ की कॉल 

छत्तीसगढ़ सरकार के पास दर्जनों प्लेसमेंट एजेंसियां रजिस्टर्ड हैं। इन एजेसियों के जरिए सरकार आउटसोर्स कर्मचारी लेती है। बदले में इनको एक बड़ा एमाउंट दिया जाता है,जिससे ये उन वर्कर्स को पेमेंट करती हैं। इन एजेंसियों में से एक प्लेसमेंट एजेंसी है कॉल मी सर्विसेस। साल 2021 से काम शुरु करने वाली इस एजेंसी ने सभी को पीछे छोड़ दिया है। बार-बार मिली शिकायतों के बाद भी प्लेसमेंट का अधिकांश काम इसी एजेंसी को दिया जा रहा है। सरकार को जब भी आउटसोर्स कर्मचारियों की जरुरत होती है तत्काल कॉल मी को कॉल कर दिया जाता है। इस एजेंसी के संचालक राजकुमार बोथरा हैं। पिछले 3 सालों में कॉल मी को 61 करोड़ 25 लाख का काम मिल चुका है।

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भूपेश सरकार ने भी दिया काम

इस एजेंसी की पिछली भूपेश सरकार से भी सेटिंग थी और इस बीजेपी सरकार से भी सेटिंग है। भूपेश सरकार ने इसको एक साल में 20 करोड़ का काम दिया तो बीजेपी सरकार ने इसको डेढ़ साल में 41 करोड़ का काम दे दिया। ये कॉल मी एजेंसी वही है जिसके बाउंसरों ने मेकाहारा अस्पताल में पत्रकारों के साथ मारपीट की थी। इस एजेंसी ने पिछले ढाई साल में श्रम विभाग को 61 करोड़ के वर्कर मुहैया कराए। इस एजेंसी पर सवाल द सूत्र का नहीं है बल्कि इस पर सवाल तो बीजेपी के वरिष्ठ नेता अजय चंद्राकर और धर्मलाल कौशिक विधानसभा में उठा चुके हैं।   

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कॉल मी की साल दर साल कमाई 

साल 2023 :
श्रम आयुक्त संगठन कार्यालय को 75 वर्कर दिए। इसके लिए 2 करोड़ का भुगतान किया गया। 
छत्तीसगढ़ भवन एवं कर्मकार मंडल को 627 वर्कर दिए। इसके लिए 18 करोड़ का भुगतान किया गया।
छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल को 22 वर्कर दिए। इसके लिए 65 लाख का भुगतान किया गया। 
कर्मचारी राज्य बीमा को 48 वर्कर दिए। इसके लिए 47 लाख का भुगतान किया गया। 
कॉल मी सर्विस को इस साल कुल 21 करोड़ 38 लाख रुपए का भुगतान किया गया। 

  • साल 2024 :
    श्रम आयुक्त संगठन कार्यालय को 81 वर्कर दिए। इसके लिए 2 करोड़ 58 लाख का भुगतान किया गया। 

  • छत्तीसगढ़ भवन एवं कर्मकार मंडल को 710 वर्कर दिए। इसके लिए 23 करोड़ 25 लाख का भुगतान किया गया।

  • छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल को 21 वर्कर दिए। इसके लिए 60 लाख का भुगतान किया गया।
  •  
    कर्मचारी राज्य बीमा को 38 वर्कर दिए। इसके लिए 1 करोड़ का भुगतान किया गया। 

  • कॉल मी सर्विस को इस साल कुल 27 करोड़ 54 लाख रुपए का भुगतान किया गया। 

साल 2025 :

श्रम आयुक्त संगठन कार्यालय को 82 वर्कर दिए। इसके लिए 1 करोड़ 31 लाख का भुगतान किया गया। 


  • छत्तीसगढ़ भवन एवं कर्मकार मंडल को 710 वर्कर दिए। इसके लिए 10 करोड़ 38 लाख का भुगतान किया गया।

  • छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल को 22 वर्कर दिए। इसके लिए 27 लाख 19 हजार का भुगतान किया गया। 

  • कर्मचारी राज्य बीमा को 38 वर्कर दिए। इसके लिए 35 लाख 15 हजार का भुगतान किया गया। 

  • कॉल मी सर्विस को इस साल कुल 12 करोड़ 32 लाख रुपए का भुगतान किया गया। 

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कॉल मी सर्विस के खिलाफ मिली ये शिकायतें 

  •  क्रेडा के विभिन्न क्षेत्रीय,जिला,जोनल कार्यालय और उर्जा पार्क में कार्यरत कर्मचारियों को अचानक हटा दिया गया। 
  • मजदूर संघ की शिकायत में कहा गया कि बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया गया। 
  • 7 कर्मचारियों को तीन माह का वेतन नहीं दिया गया। 
  • कर्मचारियों के शोषण और मनमानी की शिकायत।
  • पत्रकारों के साथ बीआर अंबेडकर अस्पताल में मारपीट।
  • ये शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने इसमें संज्ञान लिया और कर्मचारियों को वेतन दिलवाया गया।  
  • शिकायत करने वालों के नाम इसलिए नहीं बताए जा रहे क्योंकि इसमें उनकी सुरक्षा और रोजगार का सवाल है। 

कई प्लेसमेंट एजेंसी हैं रजिस्टर्ड

सरकार के पास कई प्लेसमेंट एजेंसियां रजिस्टर्ड हैं लेकिन सबसे ज्यादा काम कॉल मी को ही मिल रहा है। यदि ये निर्माण एजेंसी होती तो क्वालिटी पर बात हो सकती थी। लेकिन बात वर्कर की है, वो भी इसी एजेंसी से लिए जा रहे हैं। यह सिर्फ एक विभाग की बात है जबकि हर विभाग में इस एजेंसी की सेवाएं ली जा रही हैं। 

 

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