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छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाय) के तहत एक बड़ा घोटाला सामने आया है। 228.22 करोड़ रुपए का यह घोटाला उस दौरान हुआ, जब राज्य में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार सत्ता में थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अधिकारियों ने कमीशनखोरी के चक्कर में बिना स्वीकृति वाले गांवों में भी सड़कों का निर्माण दर्शाकर धन की बंदरबांट की। कुछ मामलों में फर्जी बिल और वाउचर के माध्यम से पैसे का गबन किया गया।
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यहां तक कि कुछ लेन-देन व्यक्तिगत खातों से भी किए जाने की आशंका है। इस पूरे मामले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अवर सचिव विश्वनाथ नाग ने तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी और आइएफएस अधिकारी आलोक कटियार के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की है। वहीं, तत्कालीन मुख्य अभियंता अरविंद कुमार राही और आर. बारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। बताया जा रहा है कि इन अधिकारियों ने मिलकर इस पूरे मामले में खेल किया है।
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चुनाव से पहले अमानत राशि में हेराफेरी
जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के अधिकारियों ने योजना की राशि का दुरुपयोग किया। चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकांश खर्च विधानसभा चुनाव 2023 से ठीक पहले किया गया। सूत्रों के मुताबिक ठेकेदारों द्वारा जमा की गई अमानत राशि में हेराफेरी की गई है।
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इन मदों में हुआ सरकारी धन का दुरुपयोग
अब तक की जांच में जिन मदों में अनियमितता सामने आई है, उनमें 26.35 करोड़ रुपए की अतिरिक्त निष्पादन सुरक्षा निधि, 57.95 करोड़ की सुरक्षा निधि, 37.60 करोड़ की निष्पादन गारंटी, 58.64 करोड़ की रायल्टी, 20.89 करोड़ का जीएसटी और 26.79 करोड़ की अग्रिम व क्षतिपूर्ति राशि शामिल हैं।
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