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Police commissioner system in Raipur-Bilaspur : अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की तैयारी कर रही है। सबसे पहले इसकी शुरुवात रायपुर और बिलासपुर से की जाएगी। इसके बाद इसे दुर्ग में लागू किया जाएगा।
गृह विभाग के अधिकारी मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम का अध्ययन कर चुके हैं। पंचायत चुनाव हो जाने के बाद सरकार इस संबंध में कोई फैसला ले सकती है। बढ़ते अपराधों के मामले में विष्णु सरकार हमेशा निशाने पर रही है। पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे।
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क्राइम कंट्रोल की तैयारी
सरकार अब क्राइम कंट्रोल के लिए प्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने जा रही है। इसकी शुरुआत रायपुर और बिलासपुर से की जाएगी। सरकार 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू कर सकती है। रायपुर और बिलासपुर के बाद यह सिस्टम दुर्ग में लागू किया जाएगा।
अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार यह प्रणाली लागू करने पर विचार कर रही है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस के अधिकार बढ़ जाते हैं। पुलिस को जिला मजिस्ट्रेट और एग्जीक्यूटेव मजिस्ट्रेट के पॉवर मिल जाते हैं। पुलिस के पास अभी इस तरह के अधिकार नहीं होते हैं।
पुलिस की टीम मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर में लागू कमिश्नर सिस्टम का अध्ययन कर चुकी है। पंचायत चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद सरकार रायपुर और बिलासपुर में कमिश्नर सिस्टम लागू कर सकती है।
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रायपुर में अपराध
साल 2023 :
हत्या - 63
बलात्कार -223
चोरी - 1588
डकैती - 5
साल 2024 :
हत्या - 70
बलात्कार -218
चोरी - 1420
डकैती - 2
बिलासपुर में अपराध :
साल 2023 :
हत्या - 36
बलात्कार -172
चोरी - 843
डकैती - 2
साल 2024 :
हत्या - 47
बलात्कार -218
चोरी - 720
डकैती - 2
इस तरह होता है काम
पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने पर कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के आईपीए को पुलिस कमिश्नर बनाया जाता है। शहरों को अलग अलग जोन में बांटा जाता है। हर जोन में एक डीसीपी की तैनाती होती है जो एससपी की तरह जोन में काम करता है।
दो से चार थानों में एक एसीपी बनाया जाता है। कानून व्यवस्था से जुड़े सभी मुद्दों पर पुलिस कमिश्नर सीधे फैसले ले सकते हैं। एडीएम और एसडीएम की पॉवर पुलिस को मिल जाती है। यह पॉवर मिलने से पुलिस गुंडा एक्ट और रासुका भी लगा सकती है।
सामान्यत: कलेक्टर यानी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियंत्रण के अधिकार होते हैं। इस पद पर आईएएस अधिकारी बैठते हैं। पुलिस कमिश्नर सिस्टम में यह अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं जो आईपीएस होते हैं।
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इस सिस्टम के फायदे
इस सिस्टम का फायदा ये है कि कानून व्यवस्था की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को डीएम के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता। पुलिस खुद हालात के हिसाब से फैसला ले सकती है। कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसले लेने का अधिकार पुलिस को मिल जाता है।
इसमें होटल लाइसेंस, हथियार लाइसेंस और बार लाइसेंस देने का अधिकार भी शामिल होता है। धरना प्रदर्शन की अनुमति, स्थिति बिगड़ने पर लाठी चार्ज का फैसला भी पुलिस ले सकती है। जमीन संबंधी विवादों को निपटाने का अधिकार भी पुलिस को मिल जाता है।
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