गर्भवती, शिशुवती, सामान्य और गंभीर कुपोषित बच्चों को मिल रहा है एक ही रेडी-टू-ईट

छत्तीसगढ़ में पूरक पोषण आहार के नाम पर हितग्राहियों के साथ खिलवाड़ हो रहा है।महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से गर्भवती- शिशुवती माता, 6 महीने से 3 साल तक के नवजात और गंभीर कुपोषित बच्चों को एक ही जैसा पूरक पोषण आहार यानी रेडी टू ईट पैकेट दिया जा रहा है।

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VINAY VERMA
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छत्तीसगढ़ में पूरक पोषण आहार के नाम पर हितग्राहियों के साथ खिलवाड़ हो रहा है।महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से गर्भवती- शिशुवती माता, 6 महीने से 3 साल तक के नवजात और गंभीर कुपोषित बच्चों को एक ही जैसा पूरक पोषण आहार यानी रेडी टू ईट पैकेट दिया जा रहा है। जबकि इसके लिए सरकार सालाना लगभग 15सौ करोड रुपए खर्च करती है। कहा जाता है इससे प्रदेश में कुपोषण दूर होगा लेकिन, हकीकत इसके उलट है। द सूत्र के पड़ताल में सामने आया कि विभाग ने चारों प्रकार के हितग्राहियों के लिए अलग-अलग तरह के पैकेट तो बना दिए लेकिन सभी के अंदर एक ही आहार भरा हुआ है जबकि विशेषज्ञ बता रहे हैं सभी प्रकार के हितग्राहियों को उनके वजन के अनुसार अलग-अलग आहार की जरूरत होती है।

द सूत्र के पड़ताल में यह भी सामने आया कि पैकेट का वजन बढ़ाने के लिए प्रति 100 ग्राम के हिसाब से 27 प्रतिशत चीनी की मात्रा डाल दी गई है जबकि विशेषज्ञ इस प्रतिशतता पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं कि यह मात्रा शरीर के लिए बेहद ही नुकसान दायक हैं क्योंकि ICMR के मुताबिक गर्भवती शिशुवती महिला प्रतिदिन अधिकतम 25 ग्राम ही चीनी ले सकती है।  लेकिन इस रेडी टू ईट में दिए आहार से महिलाओं के शरीर मे 115% अधिक चीनी जा रहा। इसके अलावा गर्भवती, शिशुवती माता चाय, कॉफी, फल, जूस ले रही है तो ये मात्रा जरूरत से 400 से 500 प्रतिशत अधिक हो जाती है। विभाग के इस मनमानी का नतीजा छत्तीसगढ़ में कुपोषण का आंकड़े बढ़ते जा रहे। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक छग में गंभीर कुपोषण के कारण 34% बच्चों की लंबाई बाधित हो चुकी है।

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वजन बढ़ाने के लिए डाल रहे चीनी

छत्तीसगढ़ में दिए जा रहे हैं पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत रेडी टू ईट में गेहूं, चना, सोयाबीन, मूंगफली, सोयाबीन तेल, रागी के अलावा चीनी भी मौजूद होना बताया गया है। सबसे ज्यादा प्रतिशतता गेहूं की है इसके बाद चीनी की ही मात्रा है 100 ग्राम में जहां गेहूं 30% है तो वहीं चीनी की प्रतिशतता 27% है। इसके अलावा चना 20%, सोयाबीन 10%, मूंगफली 5%, सोयाबीन तेल 5%, और रागी 3 प्रतिशत है। विशेषज्ञों का कहना है कि निर्धारित मात्रा से चीनी की मात्रा लगभग 115% अधिक दी जा रही है जो शरीर के लिए नुकसान देय साबित हो सकती है। इसका मतलब है या तो रेडी टू ईट विशेषज्ञ द्वारा तैयार नहीं कर जा रहा या उनकी अनुशंसा नहीं मानी जा रही है और पैकेट का वजन बढ़ाने के लिए आहार में चीनी का उपयोग किया जा रहा है। क्योंकि चीनी सस्ती भी है, उसकी मात्रा बढ़ने से आहार बनाने की लागत कम हो जाएगी।

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लगातार बढ़ रहे एनीमिया के मामले (आंकड़े प्रति 1000 में)

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य को लेकर स्थिति खराब है। रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में न केवल एनीमिया का आंकड़ा बढ़ा है बल्कि NFHS 5 के अनुसार छत्तीसगढ़ में गंभीर कुपोषण के कारण 34% बच्चे बौने हो गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 6 से 59 माह के बच्चों में साल 2015 की तुलना में 2021 में 1 हजार बच्चों में से 41 की जगह 64 बच्चे एनिमिक हैं। एनिमिक महिलाओ की संख्या 45 से बढ़कर 61 हो गई है। वहीं 15 से 49 साल के पुरुषों का आंकड़ा भी प्रति 1 हजार में 22 से 27 हो गया है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक छत्तीसगढ़ में जहाँ 2015 के दौरान प्रति हजार 10.9 छोटे बच्चे संतुलित आहार लें रहे थे वो आंकड़ा कम होकर 9.3 हो गया है। बॉडी मास इंडेक्स की बात करें तो महिलाओं का बॉडी मास 26.7 की तुलना में घटकर 23.1 हुआ है वहीं पुरुषों का बॉडी मास 24.1 से घटकर 17.1 हुआ है। आंकड़े दिखा रहे हैं कि छत्तीसगढ़ का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गड़बड़ होता जा रहा है।

द सूत्र की पड़ताल में  गर्भवती,शिशुवती, गंभीर कुपोषित सहित छोटे बच्चों को प्रतिदिन कितना आहार लेना है, यह जानने के कोशिश की तो सामने आया कि व्यक्तियों को प्रतिदिन कितना आहार लेना है, केंद्र सरकार इसके तो मानक निर्धारित किए हैं लेकिन पूरक पोषण आहार यानी रेडी टू ईट के नहीं... ऐसे में राज्य अपने अनुसार रेडी टू ईट तैयार कर रहे हैं। हमने जब अन्य राज्यो में मिलने वाले रेडी टू ईट की तुलना की तो कई राज्यो में शुगर की मात्रा ही नहीं है। 

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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जानकारी भी नहीं

आंगनवाड़ी में मिलने वाले सभी कैटेगरी के पैकेट का वजन अलग अलग है। जैसे- गर्भवती-शिशुवती महिलाओं के पैकेट का वजन 900 ग्राम है तो गंभीत कुपोषित बच्चों के पैकेट का वजन 12सौ ग्राम, वहीं 6 माह से अधिक उम्र के बच्चों के लिए 750 ग्राम का पैकेट तय है। हितग्राहियों को ये पैकेट प्रति सप्ताह के हिसाब से 1 पैकेट देना है। लेकिन किसे कितना आहार लेना है ये न तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ को स्पष्ट है और न ही हितग्राहियों को..ऐसे में कैसे इस योजना का फायदा मिलेगा, इसकी चिंता विभाग को करनी चाहिए।

सालाना लगभग 15 सौ करोड़ का बजट

छतीसगढ़ में महिलाएं और बच्चे कुपोषित थे। जिसके कारण से यह योजना कई सालों से यहाँ संचालित है, कई बार खामियों को शिकायत हुई तो इस काम को छत्तीसगढ़ राज्य बीज निगम को दे दिया। बजट भी बढ़ाकर सालाना लगभग 15 सौ करोड़ का कर दिया गया लेकिन हालत जस की तस बनी हुई है।

चीनी की प्रतिशतता चौकाने वाली

मनमानी तो हो ही रही है, इसमें आहार विशेषज्ञों और डॉक्टरों की राय के अनुसार शारीरिक जरूरत, अवस्था और उम्र की आवश्यकता को ध्यान में न रखकर एक ही जैसे पोषक तत्वों को डाला जाता है जो राष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन है। पैकेट में चीनी की प्रतिशतता तो चौकाने वाली है। ICMR के मुताबिक प्रतिदिन जितना ज्यादा शुगर लेना है, उससे भी 115% ज्यादा है। इसके अलावा अन्य खाने से भी व्यक्ति के शरीर मे शुगर जा रहा होगा। इसपर ध्यान देने की जरूरत है।
डॉ राकेश गुप्ता, प्रदेश अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ हेल्थ प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया

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