मप्र महिला एवं बाल विकास विभाग की गजब महिमा, एक ही फर्म को 14 साल से ठेके !

मध्य प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग में सांठगांठ से एक ही ग्रुप को बीते 14 सालों से ठेका दिए जाने का खेल जारी है। यह ग्रुप हर बार नाम बदलकर ठेके पाते रहा है।

author-image
Ravi Awasthi
एडिट
New Update
mahila evam bal vikas
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

भोपाल। 
मप्र महिला एवं बाल विकास में सामानों की खरीदी के मामले में गड़बड़ी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। जबकि पोषण आहार व यूनिफॉर्म घोटालों को लेकर विभाग पहले ही बदनामी ​झेलता रहा है। इससे सरकार की किरकिरी भी होती रही।

नया मामला आईसीडीएस योजना अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों यानी नौनिहालों के लिए खरीदी जाने वाली सामग्रियों का है। विभाग ने इन केंद्रों के लिए प्री स्कूल किट्स,कुर्सियां,भोजन परोसे जाने वाले बर्तन व कारपेट आदि के लिए हाल ही में निविदाएं बुलाईं। निविदाकर्ताओं के दस्तावेजों को पूरी तरह परखा नहीं गया। विभाग ने जल्दबाजी में करोड़ों रुपए का ठेका सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज कन्ज्यूमर कोआपरेटिव सोसायटी को दे दिया गया। निविदाकर्ता ने अपनी बिड में कहा कि वह चैन्नई स्थित फनस्कूल कंपनी द्वारा उत्पादित सामग्री प्रदाय करेगा। इसके लिए उसे संबंधित कंपनी ने अधिकृत किया है।

यह भी पढ़ें..  रायसेन महिला एवं बाल विकास विभाग में फर्जी भुगतान, RTI से हुआ खुलासा

फनस्कूल की चिट्ठी ने खोली कलई

इधर,फनस्कूल प्रबंधन को इस बात की भनक लगते ही उसने विभाग प्रमुख रशिम अरुण शमी को एक पत्र लिखकर सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज कन्ज्यूमर कोआपरेटिव सोसायटी को ऐसी किसी आपूर्ति के लिए अधिकृत किए जाने से इंकार किया है। पत्र में कहा गया कि निविदकर्ता ने ठेका पाने उनकी कंपनी के नाम का दुरुपयोग किया। यदि  निविदाकर्ता की ओर से इस तरह को कोई आथोराइजेशन पत्र उनकी फर्म के नाम से पेश किया गया तो वह फर्जी हो सकता है। 

कंपनी के खुलासे के बाद बढ़ी दुविधा

सूत्रों के मुताबिक,फनस्कूल कंपनी के इस खुलासे के बाद विभाग की दुविधा बढ़ गई है। उसने इसकी जांच भी शुरू कर दी है। अब यदि शिकायत कर्ता कंपनी की बात सही साबित होती है तो  उसे यह ठेका निरस्त करना पड़ सकता है,इससे बचने प्रकरण में लीपापोती भी शुरू हो गई है। 

यह भी पढ़ें.. सिंगरौली में EOW की दबिश, महिला एवं बाल विकास विभाग पर कसा शिकंजा

14 सालों से ही एक ही ग्रुप को ठेका

सूत्रों का दावा है कि महिला एवं बाल विकास विभाग में एक ग्रुप सक्रिय है। जो अलग-अलग नामों से बीते 14 सालों से लगातार ठेके लेते रहा। विभाग के अधिकांश ठेके आदित्य ट्रेडिंग,एलेक्स इंडस्ट्रीज,प्ले ग्रो टॉय इंडिया प्रायवेट लिमिटेड,विल्सन ग्रीन लिमिटेड को मिलते रहे हैं। इस बार नाम बदलकर एक बड़ी राशि का ठेका सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज कन्ज्यूमर कोआपरेटिव सोसायटी के नाम से हासिल किया गया। जबकि इन सभी कंपनियों के संचालक सिर्फ दो लोग हैं। हर बार नाम बदलकर ठेका पाने में सफल होते हैं।जो बिना विभागीय सांठगांठ के संभव नही, लेकिन सामग्री उत्पादनकर्ता कंपनी की सजगता से इस गोरखधंधे की कलई खुल गई। 

यह भी पढ़ें..  महिलाओं को सशक्त बना रही मध्यप्रदेश सरकार : महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट 81 प्रतिशत बढ़ा

32 फीसद कम रेट,फिर भी ठहराया अयोग्य

सूत्रों के अनुसार,दिल्ली की एक फर्म विनिशमा टेक.प्रा.लि.को अयोग्य बताकर ​निविदास्पर्धा से बाहर कर दिया गया। जबकि इस फर्म ने ठेका पाने में सफल रही फर्म की तुलना में अपने रेट 32 प्रतिशत रेट कम रखे ​थे। ठेका देने में किए गए पक्षपात के खिलाफ फर्म ने अब उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया है।

इस मामले में विभागीय आयुक्त सूफिया कुरैशी ने कहा कि संबंधित पत्र में दर्ज नंबर पर हमने भी बात की।प्रथमदृष्टया यह पत्र ही फर्जी लगता है। इसके बाद भी हम संबंधित कंपनी से मेल के जरिए इसकी पुष्टि करने की कोशिश करेंगे। 

 

यह भी पढ़ें..  मध्यप्रदेश में पोषण आहार घोटाले पर कांग्रेस हमलावर, मुख्य सचिव के खिलाफ लोकायुक्त में की शिकायत