बीएसएफ से आईपीएस बने यशपाल सिंह पर उठे सवाल, केंद्र सरकार ने मांगी रिपोर्ट

बीएसएफ से राज्य पुलिस में विलय होकर आईपीएस बने यशपाल सिंह की नियुक्ति पर अब सवाल खड़े हो गए हैं। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और संघ लोक सेवा आयोग के सचिव को पत्र जारी कर जांच के निर्देश दिए हैं।

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Harrison Masih
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Questions raised on Yashpal Singh IPS from BSF Central Government sought report the sootr
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बीएसएफ से राज्य पुलिस में विलय होकर आईपीएस बने यशपाल सिंह की नियुक्ति पर अब सवाल खड़े हो गए हैं। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सचिव को पत्र जारी कर विवादित आईपीएस अवार्ड की जांच के निर्देश दिए हैं। यशपाल सिंह वर्तमान में मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी के पुलिस अधीक्षक (SP) के रूप में पदस्थ हैं।

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ये है मामला:

रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता विवेक सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में यशपाल सिंह की आईपीएस नियुक्ति को लेकर शिकायत की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि नियमों को दरकिनार कर यशपाल सिंह को गलत तरीके से वरिष्ठता (Seniority) दी गई। कैडर व्यवस्था का उल्लंघन हुआ है।

यशपाल सिंह के खिलाफ ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) की जांच लंबित थी, फिर भी उन्हें आईपीएस बना दिया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह शिकायत गृह मंत्रालय को अग्रेषित की, जिसके बाद 13 जून 2025 को जांच के निर्देश जारी हुए।

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गंभीर आरोप और केंद्रीय हस्तक्षेप:

गृह मंत्रालय ने पत्र में कहा है “आईपीएस नियुक्ति में एमएचए की भूमिका सीमित है, लेकिन आरोप गंभीर हैं और जांच आवश्यक है।“

इसके साथ ही यह जांचने को भी कहा गया है कि क्या नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताएं हुईं? क्या UPSC को ईओडब्ल्यू जांच की जानकारी दी गई थी?

सेवा विलय और बैच विवाद:

यशपाल सिंह मूलतः BSF अधिकारी थे, जिन्हें छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस सेवा में विलय किया गया। उन्हें 1997 बैच अलॉट किया गया, जबकि विशेषज्ञों के अनुसार उन्हें विलय वर्ष के अनुसार बैच मिलना चाहिए था। इससे राज्य पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी जूनियर हो गए और यशपाल सिंह को 2019 में आईपीएस मिल गया।

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विरोध और आपत्तियाँ:

छत्तीसगढ़ पीएससी और राज्य पुलिस अधिकारी संघ ने यशपाल की नियुक्ति को कैडर नीति के विपरीत बताया था। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने बीएसएफ अफसर को राज्य पुलिस में शामिल करने पर लिखित आपत्ति दर्ज की थी, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया।

CBI जांच की मांग भी उठी

शिकायतकर्ता ने इस पूरे मामले की CBI जांच कराने की मांग की है ताकि प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके। यशपाल सिंह की आईपीएस नियुक्ति अब केंद्र और आयोग के संयुक्त जांच के दायरे में आ चुकी है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो छत्तीसगढ़ में पुलिस कैडर और नियुक्तियों की प्रक्रिया को लेकर बड़ी बहस खड़ी हो सकती है।

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