रायपुर नगर निगम में बीजेपी 15 साल बाद फिर बनाएगी अपना ये रिकॉर्ड
Raipur Municipal Corporation sabhaapati : इस बार सभापति के लिए सदन का संचालन अन्य बार की अपेक्षा ज्यादा मुश्किल नहीं है। वजह, विपक्षी पार्टी कांग्रेस से महज सात पार्षद चुनकर निगम पहुंचे हैं।
Raipur Municipal Corporation sabhaapati : रायपुर नगर निगम में महापौर और पार्षदों का निर्वाचन होने के बाद सभापति चयन की तैयारियां तेज हो गई हैं। निगम के 70 में 60 पार्षद भाजपा के हैं। ऐसे में सभापति भी बीजेपी का बनना ही तय है।
बीजेपी ने रायपुर समेत प्रदेश के सभी नगर निगम में सभापति का नाम फाइनल करने हर नगरीय निकाय में एक-एक पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर दी है। रायपुर में सभापति को लेकर कुछ नामों की चर्चा जोरों पर है।
निगम की सामान्य सभा के संचालन में सभापति की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। संवैधानिक पद होने के साथ ही यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है। सामान्य सभा का संचालन उस समय और कठिन हो जाता है, जब सदन में पक्ष और विपक्ष के पार्षदों की संख्या लगभग बराबर हो।
एक तरफ महापौर और उनकी परिषद तथा पार्षद होते हैं तो दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष और उनके पार्षद होते हैं। सभापति या तो सत्ता पक्ष से होता या विपक्ष से। इस साल हुए चुनाव को मिलाकर पिछले पांच कार्यकाल में चार बार महापौर का चुनाव डायरेक्ट हुआ है। बीजेपी से दो बार महापौर बने हैं और दोनों बार यह स्थिति है कि सभापति भी उन्हीं की पार्टी से चुने गए। 2004 में सुनील सोनी महापौर थे। उस समय बीजेपी से ही रतन डागा सभापति चुने गए थे।
साल 2025 में मीनल महापौर चुनी गई हैं। इस बार भी बीजेपी से सभापति बनना तय है। यानी महापौर और सभापति एक ही पार्टी के रहेंगे। इस बार सभापति के लिए सदन का संचालन अन्य बार की अपेक्षा ज्यादा मुश्किल नहीं है। क्योंकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस से महज सात पार्षद चुनकर निगम पहुंचे हैं।
रायपुर नगर निगम में सभापति चयन को लेकर बीजेपी की स्थिति क्या है ?
रायपुर नगर निगम में महापौर और पार्षदों के निर्वाचन के बाद सभापति चयन की तैयारियां तेज हो गई हैं। निगम के 70 में से 60 पार्षद बीजेपी के हैं, जिससे सभापति का चयन भी बीजेपी से ही होना तय है। बीजेपी ने प्रदेश के सभी नगर निगमों में सभापति के चयन के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है।
मीनल को सभापति बनने की राह में कौन सी विशेषताएँ सहायक होंगी ?
मीनल के लिए सभापति बनने की राह इस बार अन्य बारों के मुकाबले आसान होगी। इसका कारण यह है कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पास महज सात पार्षद हैं, जिससे सदन का संचालन करने में कोई ज्यादा कठिनाई नहीं होगी। इस बार बीजेपी के पास बहुमत होने के कारण सदन का संचालन सरल होगा।
पिछले कुछ वर्षों में रायपुर नगर निगम में महापौर और सभापति के चयन की प्रक्रिया में क्या बदलाव आए हैं ?
पिछले पांच कार्यकालों में चार बार महापौर का चुनाव डायरेक्ट हुआ है। इन पांच कार्यकालों में दो बार महापौर बीजेपी से चुने गए हैं, और दोनों बार सभापति भी बीजेपी से ही चुने गए। 2004 में, महापौर सुनील सोनी के समय भी बीजेपी से रतन डागा सभापति चुने गए थे।