त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के अंतिम चरण में जिले के कोंटा ब्लॉक में आज यानी 23 फरवरी काे चुनाव हुआ। आजादी के बाद पहली बार बस्तर के धूर नक्सली इलाके गांव पूवर्ती में मतदान हुआ। मतदान कराने के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल के जवान तैनात किए गए थे।
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पूवर्ती की बदल रही तस्वीर
नक्सलग्रस्त इलाका होने की वजह से अब तक निर्वाचन आयोग पूवर्ती समेत दर्जनों गांवों को सुरक्षित इलाकों में शिफ्ट करता रहा है। यह पहला मौका है, जब पूवर्ती जैसे बेहद नक्सल प्रभावित गांव में लोकतंत्र के महापर्व का आगाज पंचायत चुनाव से हुआ। बीते साल फरवरी महीने में पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण की अगुवाई में पूवर्ती में सुरक्षा कैंप खोला गया। इसके बाद से इलाके की तस्वीर बदलती नजर आ रही है।
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पूवर्ती में कैंप खुलने से बदला महौल
कैंप खुलने के बाद सीआरपीएफ की मदद से फील्ड अस्पताल की शुरुआत की गई। सुरक्षाबलों ने गुरुकुल के नाम से स्कूल खोला है। 40 सालों से पीएलजीए के गढ़ के रूप में रही है पूवर्ती गांव की पहचान: बीते 40 सालों से पूवर्ती की पहचान नक्सलियों के पीएलजीए का गढ़ के रूप में रही है। करीब एक-डेढ़ साल में सुरक्षाबलों की मदद से इलाके की तस्वीर बदल रही है। हर चुनाव में जहां नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार के नारे नजर आते थे।
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8 सरपंच व 570 पंच निर्विरोध चुने पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधियों को ग्राम स्तर पर निर्विरोध निर्वाचित किया गया है। सरपंच के 8 पदों और पंच के 570 पदों पर अभ्यर्थियों को निर्विरोध निर्वाचित कर दिया है। वहीं अंतिम चरण में कोंटा ब्लॉक के 4 जिला पंचायत सदस्य, 19 जनपद सदस्य, 59 सरपंच और 352 पंच पदों के लिए मतदान होगा।
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