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रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में टीचर की नौकरी देने के बहाने रायपुर के एक NGO पर करोड़ों के फर्जीवाड़े के आरोप लगे हैं। NGO के डायरेक्टर ने सैकड़ों बेरोजगार युवक-युवतियों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के लिए भेज दिया। इनसे कहा गया कि इन्हें हर महीने NGO की ओर से सैलरी दी जाएगी।
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300 लोगों से की ठगीइसके बदले में NGO सिक्योरिटी डिपॉजिट के लिए अलग-अलग जिलों के करीब 300 लोगों से 2 से 5 लाख तक वसूल कर लिए गए। कुछ महीने बीतने के बाद आरोपी डायरेक्टर लोगों से वसूले गए करोड़ों रुपए लेकर भाग गया। ठगे जाने का एहसास होने पर 2 दर्जन पीड़ितों ने रायपुर के सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई है। |
विज्ञापन देख झांसे में आए लोगजानकारी के मुताबिक री इंडिया स्किल वेलफेयर फाउंडेशन के डायरेक्टर राजू रात्रे और अल्फिजा फातिमा हैं। इन्होंने रायपुर के अंबेडकर चौक शहीद वीर नारायण सिंह परिसर में ऑफिस खोल रहा है। आरोपियों ने सरकारी स्कूलों में टीचर के पद पर नौकरी लगवाने के लिए विज्ञापन छपाया था। इसे देखकर ही लोग झांसे में आ गए। पीड़ित डायरेक्टर ने बताया कि उनका NGO स्कूलों में निशुल्क शिक्षा देने का काम करता है। इसके बदले टीचर को हर महीने 22 हजार रुपए की सैलरी दी जाती है। |
सिक्यूरिटी डिपॉजिट के नाम पर वसूली
इस मामले में आरोपियों ने रोजगार की तलाश कर रहे युवक-युवतियों से सिक्योरिटी डिपॉजिट के तौर पर 2 से 5 लाख रुपए तक की वसूली की। पीड़ितों का कहना है कि 'उन्हें रायपुर शहर के अलग-अलग सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए भी भेजा गया। NGO की तरफ से जॉइनिंग लेटर में कहा कि इस इसके जरिए आप 58 साल तक नौकरी करोगे'।
करीब चार महीने ही मिली सैलरी
पीड़ितों ने बताया कि NGO कि ओर से शुरुआत के तीन-चार महीने लोगों को पढ़ाने के बदले सैलरी भी दी। लेकिन इसके बाद टालमटोल शुरू हो गया। कई पीड़ित लोगों ने करीब साल भर स्कूलों में नौकरी की। लेकिन उन्हें सैलरी नहीं मिली। NGO का स्टाफ लगातार सैलरी को लेकर उन्हें झांसा देता रहा।
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रायपुर में दो दर्जन लोग बने शिकारASP कीर्तन राठौर ने बताया कि, इस NGO ने कई अलग-अलग जिलों के करीब 300 लोगों को अपना शिकार बनाया है। उनसे सिक्योरिटी डिपॉजिट के बहाने 2 से 5 लाख रुपए वसूल लिए गए। अकेले रायपुर में ही करीब दो दर्जन से ज्यादा लोग इस गिरोह के शिकार बने हैं। |
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डायरेक्टर फरार
पीड़ितों ने बताया कि NGO में डायरेक्टर के अलावा कई बिचौलिए भी थे। जिन्होंने पैसे लिए हैं। 1 जुलाई 2025 से NGO ने अपना दफ्तर बंद कर दिया है। डायरेक्टर भी मोबाइल बंद कर फरार हो गया।
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