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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर नगर निगम ने सड़कों से आवारा मवेशियों को हटाने के लिए जोन कमिश्नरों को जिम्मेदार बनाया और उनके संपर्क नंबर भी जारी किए। लेकिन इस फरमान के 15 दिन बाद भी स्थिति जस की तस है। शहर की सड़कों पर मवेशी बेरोकटोक घूम रहे हैं, और जिम्मेदार जोन कमिश्नर कॉल उठाने तक को तैयार नहीं। काऊ कैचर की टीमें भी समय पर नहीं पहुंच रही हैं, जिससे नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन कार्रवाई में ढिलाई
शहर के विभिन्न हिस्सों में मवेशियों का सड़कों पर जमावड़ा आम बात हो गई है। राठौर चौक, तेलघानी नाका, स्टेशन रोड और खालसा स्कूल के आसपास मवेशियों के झुंड राहगीरों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। जोन-10 के कमिश्नर विवेकानंद दुबे को शिकायत करने पर जवाब मिला कि काऊ कैचर की टीम दूसरे रूट पर व्यस्त है। जोन-2 के कमिश्नर डॉ. आरके डोंगरे ने बताया कि उनकी टीम डब्ल्यूआरएस कॉलोनी में है और बाद में स्टेशन रोड पहुंचेगी, लेकिन शाम तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जोन-4 के कमिश्नर अरुण ध्रुव ने तो फोन ही नहीं उठाया।
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15 दिनों में 450 मवेशी पकड़े
नगर निगम का दावा है कि पिछले 15 दिनों में 450 से अधिक मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस भेजा गया है। मवेशी मालिकों से जुर्माना वसूलकर और दोबारा सड़कों पर मवेशी न छोड़ने की चेतावनी देकर उन्हें वापस सौंपा जा रहा है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि शिकायतों के आधार पर रोजाना कार्रवाई हो रही है, लेकिन सड़कों पर मवेशियों की मौजूदगी उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है।
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अभियान जारी, लेकिन नतीजे अधूरे
रायपुर की महापौर मीनल चौबे ने कहा कि मवेशियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। रोजाना 10 से 12 मवेशी पकड़े जा रहे हैं, और मालिकों से जुर्माना वसूलकर सख्त हिदायत दी जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि जब जोन कमिश्नर शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई नहीं कर रहे और फोन तक नहीं उठा रहे, तो यह अभियान कितना प्रभावी है?
नागरिकों की परेशानी और अनुत्तरित सवाल
सड़कों पर मवेशियों के कारण यातायात और पैदल यात्रियों को दिक्कत हो रही है। नगर निगम ने जिम्मेदारी तो तय की, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से नागरिकों का भरोसा डगमगा रहा है। अगर जोन कमिश्नर शिकायतों पर ध्यान नहीं देंगे, तो सड़कों से मवेशियों को हटाने का अभियान सिर्फ कागजी साबित होगा।
जोन कमिश्नरों की जवाबदेही सुनिश्चित हो
रायपुर नगर निगम का मवेशी हटाने का अभियान सराहनीय है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता और समय पर कार्रवाई न होने से इसकी प्रभावशीलता कम हो रही है। नागरिकों की शिकायतों का त्वरित समाधान और जोन कमिश्नरों की जवाबदेही सुनिश्चित किए बिना यह अभियान अपने लक्ष्य को पूरी तरह हासिल नहीं कर पाएगा।
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