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छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में जो हो जाए वही कम है। सरकार पर लगातार के आरोप लग रहे हैं कि वो नौकरशाही पर लगाम नहीं लगा पा रही। सरकार पर अफसरशाही हावी है जिसके कई उदाहरण सामने आ रहे हैं।
विष्णु के सुशासन के गुब्बारे की हवा यही अफसर निकाल रहे हैं। नवा रायपुर बसाने के लिए नदी के कैचमेंट में रईसों की कॉलोनी की योजना बना ली गई और उसके टेंडर भी निकल गए। वहीं घोटालों की जांच तो हो रही है लेकिन इस जांच में उन पर कोई आंच नहीं आ रही। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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कैचमेंट में कॉलोनी का टेंडर
नवा रायपुर में बसाहट के लिए सरकार नए नए प्लान तैयार कर रही है। इन नए प्लान में अफसर खूब खेला कर रहे हैं। नवा रायपुर में आली्शान रेसीडेंशियल कॉलोनी बनाने के लिए टेंडर निकाले गए हैं। यहां पर हाई सोसायटी यानी रईसों के लिए बंगले बनाने की योजना है। लेकिन यह कॉलोनी कहां बनेगी इस पर जरा गौर फरमाइए। यह कॉलोनी नदी के कैचमेंट में बनेगी।
वाह साहब एक तरफ तो प्रकृति संवारने के लिए पीपल के पेड़ लगाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ नदी के कैचमेंट में ही रईसों के लिए आवासीय कॉलोनी बनाने के टेंडर निकाल दिए गए। दरअसल इसमें एक और पेंच है। इस नदी के कैचमेंट को पहले खत्म कर दिया गया यानी पूर दिया गया। अब उसी को जमीन मानकर वहां पर हाई सोसाइटी के लिए कॉलोनी बनाने की तैयारी कर ली गई।
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सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि किसी वॉटर बॉडी के कैचमेंट के 50 मीटर दायरे में कोई पक्का निर्माण नहीं होगा। लेकिन अटल विकास प्राधिकरण को इसकी कोई चिंता नहीं है। वहीं साहबों के मनोरंजन के लिए पानी में तैरता रिसॉर्ट बनाने की योजना भी तैयार है। अब तो स्लोगन हमने बनाया है हम ही संवारेंगे की जगह ये होना चाहिए कि हमने बनाया है हम ही उजाड़ेंगे।
घोटालेबाजों पर नहीं आंच, जांच पर जांच
हम बात कर रहे हैं आरआई विभागीय परीक्षा स्कैम का। इस परीक्षा में कई पटवारी प्रमोट होकर आरआई बन गए। सब साहबों के नाते रिश्तेदार थे। कमिश्नर लैंड रिकार्ड ऑफिस के जिन लोगों ने 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान आरआई एग्जाम में खेला किया, उसी पैटर्न पर उन लोगों ने ही 2023 के विधानसभा चुनाव और नई सरकार बनने के दरम्यान परीक्षा में घालमेल कर डाला।
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बात जब खुली तो जांच कमेटी बना दी गई। जांच कमेटी के चेयरमैन इतने दबाव में थे कि उन्होंने जांच की महज रस्म आदायगी की और एक और जांच की सिफारिश कर दी। इसकी लीपापोती के लिए राजस्व विभाग ने एसीएस होम को इंवेस्टिगेशन के लिए पत्र लिख दिया। जबकि, गृह विभाग कोई जांच एजेंसी नहीं है। एसीएस होम ने मीडिया से कहा भी, उन्हें थाने में रिपोर्ट दर्ज कराना चाहिए। यानी हुआ कुछ नहीं और जांच भी हो गई।
बीजेपी में सांय सांय गुटबाजी
बीजेपी ने भले ही निकाय चुनाव में बंपर जीत हासिल की हो लेकिन पंचायत चुनाव में खूब गुटबाजी चली है। बीजेपी नेताओं ने अपनी पार्टी के समर्थित उम्मीदवारों के खिलाफ अपने समर्थक उतारे जिससे समर्थित उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा। अभनपुर ब्लॉक के तीन जिपं सदस्य चुनाव हार गए तो सोशल मीडिया के स्टेट संयोजक जनपद सदस्य की सीट नहीं निकाल पाए।
सूत्रों की मानें तो पार्टी ने जिन पार्टी समर्थित लोगों को चुनाव में उतारा था, उनको वहां के लोकल नेताओं ने पसंद नहीं किया और अपने लोगों को खड़ा कर दिया। यही वजह रही कि अभनपुर में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा। जशपुर में बीजेपी तीन सीट हार गई। उसके पीछे भी वहां के लोकल नेताओं की जिद रही।
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एक सांसद के भाई की टिकट के खिलाफ वहां के नेताओं गुट बनाकर उनको हराने में खूब जोर आजमाइश कर ली। इसके पीछे कारण रहा कि नेताजी वहां से अगला विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं और वे किसी को वहां का दावेदार बनाना नहीं चाहते। सूरजपुर और मनेंद्रगढ़ में भी ऐसा ही हुआ।
आगे चलकर विधायक टिकिट का दावेदार न बन जाएं, इसलिए योग्य प्रत्याशियों का पत्ता काट दिया गया। ये तो कुछ उदाहरण हैं बाकी पूरे प्रदेश में यही हुआ है। यही कारण है कि कांग्रेस दावा कर रही है कि उसके समर्थित उम्मीदवार ज्यादा जीते हैं।