पहली ही परीक्षा में साय सरकार फेल, अब इस भर्ती पर भी उठे सवाल

पीएससी घोटाले को चुनावी मुद्दा बनाकर सरकार में आई साय सरकार की साख पर सवाल खड़े होने लगे हैं। जिस मुद्दे पर बीजेपी ने सरकार बनाई, अब वही मुद्दा बूमरेंग की तरह उसकी तरफ लौट आया है।

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Kanak Durga Jha
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Sai govt failed first exam now questions being raised recruitment
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पीएससी घोटाले को चुनावी मुद्दा बनाकर सरकार में आई साय सरकार की साख पर सवाल खड़े होने लगे हैं। जिस मुद्दे पर बीजेपी ने सरकार बनाई, अब वही मुद्दा बूमरेंग की तरह उसकी तरफ लौट आया है। जी हां, बात हो रही है छत्तीसगढ़ पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा की। सरकार ने पहले तो मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन जब यह इस फर्जीवाड़े में एक आरक्षक ने अपनी जान ही दे दी तो, मामला आउट ऑफ कंट्रोल हो गया। नतीजा, सरकार को भर्ती प्रक्रिया को रद्द करना पड़ा, लेकिन बात इतनी ही नहीं है। छत्तीसगढ़ में वन विभाग की भर्ती परीक्षा पर भी सवाल उठने लगे हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा के बाद अब वन विभाग की भर्ती परीक्षा पर सवाल क्यों उठ रहे हैं, आइए आपको बताते हैं विस्तार से...

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टाइम टेक्नोलॉजी कंपनी बढ़ा रही शक

छत्तीसगढ़ में पुलिस व अन्य विभागों में फिजिकल टेस्ट के लिए सरकार ने हैदराबाद की कंपनी टाइम टेक्नाेलॉजी के साथ करार किया है। यह कंपनी अभ्यर्थियों के शरीर में एक डिवाइस लगाती है। यह डिवाइस उसकी फिजिकल परफॉर्मेंश का मेजरमेंट लेती है। यानी कि किसी अभ्यर्थी ने 500 मीटर की दौड़ कितने सेकंड में पूरी की है, यह रिकॉर्ड टाइम टेक्नोलॉजी कंपनी की ओर से लगाई गई डिवाइस से लिया जाएगा। पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में भी टाइम टेक्नोलॉजी कंपनी की ओर डिवाइस लगाई गई थी। इसी डिवाइस के डेटा में फर्जीवाड़ा सामने आया है। सबसे बड़ी बात वन रक्षक भर्ती परीक्षा में भी फिजिकल मेजरमेंट के लिए भी इसी टाइम टेक्नॉलोजी कंपनी की सेवाएं ले गई थीं। 

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आरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े का खुलासा कैसे हुआ

जिन्होंने दौड़ में भाग नहीं लिया, उन्हें भी दिए गए नंबर जानकारी के अनुसार पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि जांच टीमों को पता चला है कि ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने दौड़ में भाग ही नहीं लिया, उन्हें भी नंबर दे दिए गए हैं। इसके अलावा शून्य नंबर पाने वाले अभ्यर्थियों को सात नंबर तक दे दिए गए हैं।

प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हैदराबाद की जिस टेक्निकल कंपनी को जिम्मेदारी दी गई थी, उसके द्वारा अनियमितता किए जाने की जानकारी सामने आ रही है। हैदराबाद की कंपनी के साथ ही स्थानीय पुलिस विभाग के कर्मचारियों की संलिप्तता की जानकारी भी जुटाई जा रही है।

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शनिवार को रामपुर गांव में एक आरक्षक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। यह आरक्षक राजनांदगांव रेंज में चल रही पुलिस भर्ती प्रक्रिया में ड्यूटी पर तैनात था। बीती रात आरक्षक पुलिस लाइन से निकला और सुबह उसकी लाश रामपुर के खेत में मिली। बताया जा रहा है कि आरक्षक अनिल रत्नाकर ने बीती रात को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

भर्ती के लिए खैरागढ़ पुलिस बल का जवान पिछले कई दिनों से स्थानीय 8वीं बटालियन में ड्यूटी में था। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों पुलिस भर्ती में कथित गड़बड़ी उजागर होने के बाद जवान तनाव में था। आरक्षक के खुदकुशी करने की घटना को गड़बड़ी से ही जोड़कर देखा जा रहा है। आरक्षक मूलतः महासमुंद के सरायपाली का रहने वाला था। सूत्रों के अनुसार जवान की भूमिका भर्ती प्रक्रिया में संदिग्ध रूप से सामने आई है। 

 

FAQ

पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े का खुलासा कैसे हुआ?
पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में यह खुलासा हुआ कि कुछ अभ्यर्थियों, जिन्होंने दौड़ में भाग नहीं लिया, उन्हें भी नंबर दे दिए गए। यहां तक कि शून्य नंबर पाने वाले अभ्यर्थियों को सात नंबर तक दिए गए। इस गड़बड़ी में हैदराबाद की टाइम टेक्नोलॉजी कंपनी और स्थानीय पुलिस विभाग के कर्मचारियों की संलिप्तता की जानकारी सामने आई है।
वन विभाग की भर्ती परीक्षा पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?
वन विभाग की भर्ती परीक्षा में भी फिजिकल मेजरमेंट के लिए टाइम टेक्नोलॉजी कंपनी की सेवाएं ली गई थीं, जो पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार मानी जा रही है। इसी कारण वन विभाग की भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे हैं।
संदिग्ध आरक्षक अनिल रत्नाकर की आत्महत्या का क्या संबंध भर्ती घोटाले से है?
संदिग्ध आरक्षक अनिल रत्नाकर, जो भर्ती प्रक्रिया में ड्यूटी पर तैनात था, ने आत्महत्या कर ली। उसके सुसाइड नोट में लिखा था कि "इसमें सब शामिल हैं।" इस घटना को भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी और उस पर पड़े मानसिक तनाव से जोड़ा जा रहा है।

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