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छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के जनकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सलाइन (आईवी फ्लुड) लगाने के बाद मरीजों की हालत बिगड़ने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। 27 जुलाई से 7 अगस्त 2025 के बीच आठ मरीजों में सलाइन लगाने के बाद कंपकपी (सिवरिंग), बुखार और अन्य जटिलताओं की शिकायतें दर्ज की गईं।
जांच में पता चला कि छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) द्वारा आपूर्ति की गई दो दवा कंपनियों की सलाइन रिंगर लैक्टेट (RL) और डेक्सट्रोज नॉर्मल सलाइन (DNS) इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में इन बैचों की सलाइन के उपयोग पर अस्थाई रोक लगा दी गई है, और सैंपल्स को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है।
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मरीजों की हालत बिगड़ने का सिलसिला
जनकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 27 जुलाई से 7 अगस्त 2025 तक लगातार मरीजों ने सलाइन लगाने के बाद असामान्य लक्षणों की शिकायत की। इन मरीजों को पेट दर्द, बुखार, और दस्त जैसी समस्याओं के लिए भर्ती किया गया था, लेकिन सलाइन (RL और DNS) चढ़ाने के बाद उनकी हालत और बिगड़ गई। मरीजों में कंपकपी, ठंड लगना, और अन्य गंभीर लक्षण देखे गए।
ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से पांच मरीजों को उत्तर प्रदेश की कंपनी विजन पेरेंटल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित RL सलाइन (बैच नंबर CG240705033) और तीन मरीजों को महाराष्ट्र की हसीब फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित DNS सलाइन (बैच नंबर CGF240383) लगाई गई थी।
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प्रदेश में सलाइन पर रोक, सैंपल जांच के लिए भेजे गए
सीजीएमएससी ने शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से दोनों बैचों विजन पेरेंटल की RL (बैच नंबर CG240705033) और हसीब फार्मास्युटिकल्स की DNS (बैच नंबर CGF240383) के उपयोग पर पूरे छत्तीसगढ़ में अस्थाई रोक लगा दी।
इन बैचों के सैंपल्स को गुणवत्ता जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है, और जांच रिपोर्ट 15 दिनों में आने की उम्मीद है। सीजीएमएससी के प्रबंध निदेशक रितेश अग्रवाल ने कहा, "हमने संबंधित बैचों के उपयोग पर रोक लगा दी है। सैंपल्स की जांच चल रही है, और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।"
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सलाइन की आपूर्ति और स्टॉक की स्थिति
सीजीएमएससी के रिकॉर्ड के अनुसार, सितंबर 2024 में जनकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को विजन पेरेंटल से RL की 2,000 बोतलें और हसीब फार्मास्युटिकल्स से DNS की 1,000 बोतलें आपूर्ति की गई थीं। रोक लगने के बाद अस्पताल में RL की 1,200 और DNS की 288 बोतलें स्टॉक में बची हैं।
2024-25 में सीजीएमएससी ने इन दोनों कंपनियों से 6.14 करोड़ रुपये की सलाइन खरीदी थी, जिसमें विजन पेरेंटल ने RL की 23 लाख बोतलें और हसीब ने DNS की 7.5 लाख बोतलें आपूर्ति की थीं। वर्तमान में सीजीएमएससी के पास RL की 4,000 और DNS की 4.24 लाख बोतलें स्टॉक में हैं। इनमें से संदिग्ध बैचों की सलाइन को तत्काल अलग कर लिया गया है।
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दवा कंपनियों पर सवाल
जांच में सामने आया कि RL सलाइन उत्तर प्रदेश की विजन पेरेंटल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जुलाई 2024 में निर्मित की गई थी, जिसकी एक्सपायरी जून 2027 है। वहीं, DNS सलाइन महाराष्ट्र के नागपुर की हसीब फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित है। दोनों बैचों को संदिग्ध और संभावित रूप से अमानक माना जा रहा है।
विशेषज्ञ डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया, "RL और DNS सलाइन से कंपकपी जैसे दुष्प्रभाव 100 में से 1-2 मामलों में हो सकते हैं, लेकिन 7-8 मरीजों में एक साथ ऐसी शिकायतें दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाती हैं।
दोषी कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी
सीजीएमएससी ने स्पष्ट किया है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, जिसमें आपूर्ति अनुबंध रद्द करना और कानूनी कदम उठाना शामिल हो सकता है। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे संदिग्ध बैचों की सलाइन का उपयोग तत्काल बंद करें और स्टॉक की विस्तृत जानकारी साझा करें।
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